हैलोजन के ऑक्सी अम्ल (oxoacids of halogens in hindi) , संरचना , ऑक्सीकरण अवस्था अंक , गुण , नाम , सूत्र

(oxoacids of halogens in hindi) हैलोजन के ऑक्सी अम्ल : हम यहाँ हैलोजनो के ऑक्सी अम्लों के बारे में अध्ययन करेंगे , जैसा कि हम जानते है कि 17 वें वर्ग में अर्थात हैलोजन तत्वों में फ्लोरीन, क्लोरीन, ब्रोमीन, आयोडीन और एस्टेटिन , इन पांच तत्वों को शामिल किया गया है।
हैलोजन शब्द का अभिक्रिया होता है वे तत्व जो लवण बनाते है , 17 वें समूह में एस्टाटिन (As) एक मात्र ऐसा तत्व है जो रेडियो एक्टिव होता है , तथा इस ग्रुप के तत्वों में संयोजकता कक्ष या आखिरी कक्ष में 7 इलेक्ट्रॉन पाए जाते है अत: इस ग्रुप के तत्वों को उत्कृष्ट गैसों का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास ग्रहण करने के लिए केवल एक इलेक्ट्रॉन की आवश्यकता होती है। अधिक नाभिकीय प्रभाव के कारण इस समूह के तत्वों का आकार अन्य समूह के तत्वों की तुलना में कम होता है इसलिए इस समूह के तत्वों में इलेक्ट्रॉन त्यागने की प्रवृति न के बराबर होती है या ये तत्व इलेक्ट्रॉन नहीं त्यागते है बल्कि ये तत्व एक इलेक्ट्रॉन ग्रहण करके अपना अष्टक पूर्ण करने की कोशिश करते है।
हैलोजन विभिन्न प्रकार के ऑक्सीअम्ल बनाते है।

हैलोजन के ऑक्सी अम्ल के गुण

हम जानते है कि फ़्लोरिन का आकार बहुत ही छोटा होता है और इसकी विद्युत ऋणता का मान भी बहुत अधिक होता है , यही कारण है कि फ्लोरिन केवल एक ओक्सी अम्ल बनाता है और वह HOF होता है जिसे हम फ्लोरिक (I) अम्ल या हाइपोफ्लोरो अम्ल कहते है।
इसके अलावा अन्य तत्वों कई ऑक्सी अम्ल बनाते है लेकिन इनमे से अधिकांश शुद्ध हैलोजन में पृथक नहीं किये जा सकते है , ये हैलोजन के ओक्सी अम्ल या तो जलीय विलयन के रूप में या लवण के रूप में स्थायी अवस्था में रहते है।
सामान्यता हैलोजन चार ऑक्सी अम्ल की श्रेणी बनाते है जो निम्न प्रकार है –
हाइपोहैलस अम्ल : इनकी ऑक्सीकरण अवस्था +1 होती है।
हैलस अम्ल : इनकी ऑक्सीकरण अवस्था +3 होती है।
हैलिक अम्ल : इनकी ऑक्सीकरण अवस्था +5 होती है।
परहैलिक अम्ल : इनकी ऑक्सीकरण अवस्था +7 होती है।
जैसा कि हमने ऊपर पढ़ा कि फ़्लोरिन केवल एक ऑक्सी अम्ल बनाता है उसे फ्लुओरिक अम्ल या हाइपो फ्युओरस कहते है।
क्लोरिन चार ऑक्सी अम्ल बनाता है , जो निम्न प्रकार है –
HOCl (हाइपोक्लोरस अम्ल), HOClO (क्लोरस अम्ल), HOClO2 (क्लोरिक अम्ल) और HOClO3 (पर्क्लोरिक अम्ल) ।
इसी प्रकार ब्रोमिन तीन ओक्सी अम्ल बनाता है जो निम्न है –
HOBr (हाइपोक्रोमस अम्ल), HOBrO2 (ब्रोमिक अम्ल) और HOBrO3 (पर्ब्रोमिक अम्ल)
इसी तरह से आयोडीन भी तीन ऑक्सी अम्ल बनाता है –
HOI (हाइपोआयोडस अम्ल), HOIO2 (आयोडिक अम्ल) और HOIO3 (पिरिओडिक अम्ल)
क्लोरिन के ओक्सी अम्लों की संरचना निम्न प्रकार होती है –
ऑक्सी अम्लो में मध्यस्थ परमाणु का संकरण sp3 होता है , याद रखे कि प्रत्येक ओक्सी अम्ल में एक X-OH बंध पाया जाता है तथा अधिकतर ओक्सी अम्लो में X=O बन्ध उपस्थित रहता है।
यहाँ x हैलोजन को प्रदर्शित करता है , हैलोजन और ऑक्सीजन के मध्य यह द्विबंध d , π-π प्रकृति का होता है।
ऑक्सो अम्लो में एक हाइड्रोजन (H) परमाणु ऑक्सीजन (O) परमाणु से जुड़ा रहता है हैलोजन से नहीं इसलिए सभी हैलो अम्लों में एक OH होने के कारण ये सभी क्षारीय अम्ल होते है।
हैलोजन तत्वों की विद्युत ऋणता और छोटे आकार के कारण हैलोजन तत्वों की ऑक्सीकरण अवस्था बढ़ने के साथ साथ इन तत्वों की अम्लीय क्षमता भी बढती जाती है।
यहाँ कुछ हैलोजन के ओक्सो अम्लो के सूत्र और उनकी संरचना को प्रदर्शित किया जा रहा है –