JOIN us on
WhatsApp Group Join Now
Telegram Join Join Now

हिंदी माध्यम नोट्स

Categories: BiologyBiology

कॉर्डेटा संघ का उद्गम और पूर्वज परम्परा (origin and ancestry of chordata in hindi)

(origin and ancestry of chordata in hindi) कॉर्डेटा संघ का उद्गम और पूर्वज परम्परा : जबकि निम्न कॉर्डेट्स सहित आधुनिक कॉर्डेट्स के बारे में बहुत कुछ ज्ञात हो चुका है , उनका उद्गम अस्पष्ट ही बना हुआ है। किन निम्न जीवो से यह उत्पन्न हुए है , इसके निर्धारण में वैज्ञानिकों को अभी तक सफलता नहीं मिल पायी है। उनके आरम्भिक पूर्वज संभवतः कोमल शरीर युक्त थे , उन्होंने कोई निश्चित जीवाश्म अवशेष नहीं छोड़े। ज्ञात कशेरुकियों के प्राचीनतम जीवाश्म उत्तर कैम्ब्रियन स्तरों में पाए गए है इसलिए यह कैम्ब्रियन काल से पूर्व उत्पन्न हुए होंगे। अधिकतर वैज्ञानिक यह मानते है कि कॉर्डेट्स अकशेरुकियो से उत्पन्न हुए है।

कॉर्डेट्स का उद्गम नॉन कॉर्डेट समूहों से स्पष्ट करने के लिए अनेक मत प्रस्तुत हुए है लेकिन उनमे बहुत सी खामियां है जिससे वे संतोषजनक नहीं है।

एक मत सीधे एकाइनोडर्मस से कॉर्डेटा के उद्गम का समर्थन करता है। एकाइनोडर्मस के बाईपिन्नेरिया लारवा और हेमीकॉर्डेटा के टॉरनेरिया लारवा के मध्य पाई जाने वाली अद्भुत समानताओं को सामान्य पूर्वज परम्परा का एक अच्छा प्रमाण माना गया है। गारस्टांग का सुझाव था कि किसी पूर्वज एकाइनोडर्मस का कोई मुक्तप्लावी ऑरिक्युलेरिया लारवा शावकीजनन द्वारा , अर्थात कायान्तरण के बिना ही लारवा जीवन काल के प्रसार और लैंगिक प्रजनन द्वारा , कॉर्डेट्स में विकसित हो गया।

अधिकतर जन्तु वैज्ञानिक (रोमर , बैरिल , बैरिंगटन आदि) कॉर्डेट्स की ड्यूटेरोस्टोम विकास रेखा के पक्ष में है , जिसके अनुसार एकाइनोडर्मेटा , हेमीकॉर्डेटा और कॉर्डेटा संघो की भ्रूण वैज्ञानिक और जैव रासायनिक प्रमाणों के आधार पर सामान्य पूर्वज परम्परा सिद्ध होती है। प्रोटोकॉर्डेट्स आदि कॉर्डेट पूर्वजों और कशेरुकियों के मध्य संबंधक कड़ी प्रदान करते है। विभेदन संभवत: कैम्ब्रियन काल से भी बहुत समय पूर्व हो चूका था।

कशेरुकियो के सर्वप्रथम अवशेष उत्तर कैम्ब्रियन और आर्डोविसियन कल्पो की चट्टानों में पाए गए थे। तत्पश्चात साइल्यूरियन कल्प में प्रचुर मछलियाँ पाई गयी जो डिवोनियन कल्प में असंख्य हो गयी। आगामी कल्पो में उभयचरों , सरीसृपों , पक्षियों और स्तनधारियों का विकास प्रदर्शित होता है।

कॉर्डेटा संघ के प्रमुख प्रविभाग (major subdivision of phylum chordata)

वस्तुत: कॉर्डेटा संघ ऐसे अनेक समूहों का एक विषमजातीय संकलन है जो एक दूसरे से विस्त्तृत भिन्नता लिए और एक दुसरे के प्रति विभिन्न प्रकार की बन्धुताओं को दर्शाते है। कॉर्डेटा संघ की वर्गिकीय रूप रेखा अथवा वर्गीकरण के अंतर्गत यह समूह अपनी विशेष संरचनाओं अथवा लक्षणों के आधार पर साधारणतया दीर्घत्तर कार्यशील विभागों अथवा प्रविभागों में व्यवस्थित किये जाते है। इन प्रविभागों अथवा टेक्सा को वर्गीकरण के विभिन्न तंत्रों में विभिन्न क्रमों अथवा कोटियों में रखा गया है। कॉर्डेटा संघ के मुख प्रविभाग अथवा टैक्सा निम्न परिभाषिक के अंतर्गत आते है।

1. उपसंघ और वर्ग : कॉर्डेटा संघ को पहले सुगमतापूर्वक 3 अथवा 4 प्राथमिक प्रविभागों में पृथक किया गया है जिन्हें उपसंघ कहते है। ये पृष्ठ रज्जु के लक्षण पर आधारित है।

उपसंघ 1. हेमीकॉर्डेटा अथवा एडीलोकॉर्डेटा

उपसंघ 2. यूरोकॉर्डेटा या कंचुकी

उपसंघ 3. सिफैलोकॉर्डेटा

उपसंघ 4. कशेरुकी अथवा वर्टिब्रेटा

उपसंघ हेमीकॉर्डेटा (हेमी = अर्ध + कॉर्डेटा  = रज्जु ) को लम्बे समय से परंपरागत ढंग से निम्नतम कॉर्डेटा माना जाता रहा है। परन्तु आधुनिक कार्यकर्ता हेमीकॉर्डेटा के तथाकथित पृष्ठरज्जु को वास्तविक नोटोकॉर्डेटा नहीं बल्कि एक स्टोमोकार्ड अथवा मुख अन्धना (अंधवर्ध) मानते है। इसलिए हेमीकॉर्डेटस को कॉर्डेट्स से निकाल दिया गया है। और इसे अब एक स्वतंत्र अकशेरुकी लघु संघ माना जाता है।

उपसंघ यूरोकॉर्डेटा (यूरो = पुंछ + कॉर्डेटा = रज्जु ) के अंतर्गत 3 वर्ग (लारवेसिय , एसिडिएसिया तथा थैलीएसिया) आते है।

उपसंघ सिफैलोकॉर्डेटा (kephale = head सिर + कॉर्डेटा  = रज्जु) के अंतर्गत मात्र एक वर्ग (लेप्टोकार्डी) आता है। उपसंघ कशेरुकी अथवा वर्टिब्रेटा (वर्टिब्रेटस = रीढ़) को 9 वर्गों (ऑस्ट्रेकोडर्मी , रेप्टीलिया , साइक्लोस्टोमैट , प्लैकोडर्मी , कॉन्ड्रिक्थीज , ऑस्टिक्थीज , एम्फिबिया , और मैमेलिया) में विभाजित किया गया है।

2. प्रोटोकॉर्डेटा और यूकॉर्डेटा : कॉर्डेटा संघ के अंतर्गत आने वाले प्रथम दो उपसंघ (यूरोकॉर्डेटा और सिफैलोकॉर्डेटा ) सभी समुद्री , अपेक्षा छोटे और कशेरुकदण्ड अथवा रीढ़ के बिना होते है। उनको सम्मिलित रूप से अकशेरुकी कॉर्डेटा या प्रोटोकॉर्डेटा (प्रोटोस = प्रथम + कॉर्डेटा = रज्जु) कहा जाता है क्योंकि उन्हें प्रारंभिक , आदि (प्रिमिटिव) , सीमारेखीय या प्रथम कॉर्डेट्स माना जाता है जो पूर्वज कॉर्डेट प्रभव अथवा स्टॉक के बहुत निकटसम्बन्धी थे। एक समय प्रोटो कॉर्डेटा को एक पृथक संघ माना जाता था जिमसे हेमीकॉर्डेटा तीसरे उपसंघ के रूप में आता था। वर्तमान में , हेमीकॉर्डेटा एक स्वतंत्र अकशेरुकी लघु संघ माना जाता है , जबकि यूरोकॉर्डेटा और सिफैलोकॉर्डेटा वास्तविक कॉर्डेट उपसंघ माने जाते है। इसलिए प्रोटोकॉर्डेटा शब्द की अब कोई भी आधिकारिक या पदीय वर्गीकीय स्थिति नहीं है बल्कि मात्र वर्णात्मक है। इसका प्रयोग दोनों या तीनो उपसंघों के मध्य कोई घनिष्ठ सम्बन्ध नहीं दर्शाता वरन ये केवल अत्यधिक प्रगतिशील कशेरुकियो से उनकी साधारण स्थिति की विषमता को दर्शाता है।

तीसरा उपसंघ वर्टिब्रेटा जिसमे रीढ़ या कशेरुकदंड होता है , अधिक प्रगतिशील माना जाता है तथा कॉर्डेटा संघ के यूकॉर्डेटा प्रविभाग में आता है। कभी कभी प्रोटोकॉर्डेट्स को निम्न कॉर्डेट्स भी कहते है , जबकि कशेरुकियो या यूरोकॉर्डेट्स को उच्च कॉर्डेट्स कहा जाता है।

3. पीसीज और टेट्रापोडा : नैथोस्टोमैटा का आधारभूत विभाजन दो अधिवर्गों में किया जाता है – पीसीज एवं चतुष्पादी अथवा टेट्रापोड़ा। अधिवर्ग पीसीज के अंतर्गत सभी प्रकार की मछलियाँ आती है जो वस्तुतः जलवासी होती है और जिनके पंख युग्मित होते है। कभी कभी मछली जैसे एग्नेथन्स भी इसके अंतर्गत रखे जाते है। अधिवर्ग चतुष्पादी अथवा टेट्रापोडा में चार पाद वाले स्थलीय कशेरुकी आते है जिनमे उभयचर , सरीसृप , पक्षी और स्तनी सम्मिलित है।

4. ऐनम्नियोटा और ऐम्नियोटा : कशेरुकियो को समूहों में बाँटने का एक अन्य अत्यंत महत्वपूर्ण तरीका उनके भ्रूण के परिवर्धन के तरीके अथवा पैटर्न पर निर्भर करता है। यह एक विशेष झिल्ली , जिसे ऐम्नियन कहते है। कि उपस्थिति पर आधारित है। यह झिल्ली विकसित हो रहे भ्रूण को एक तरल के आशय में जकड़े रहती है और पृथ्वी पर अंडे देने की क्षमता प्रदान करती है। जिन जंतुओं में यह झिल्ली विद्यमान होती है वे ऐम्नियोटा समूह में आते है जिसके अंतर्गत रेप्टिलिया , एवीज और मैमेलिया वर्ग आते है। जो जन्तु ऐम्नियन झिल्ली रहित होते है , ऐनम्नियोटा कहलाते है। जिसमे साइक्लोस्टोम्स , मछलियाँ और एम्फिबिया आते है। कभी कभी ऐनम्निओटस को निम्न कशेरुकी एवं एम्नियोट्स को उच्च कशेरुकी कहा जाता है।

Sbistudy

Recent Posts

सती रासो किसकी रचना है , sati raso ke rachnakar kaun hai in hindi , सती रासो के लेखक कौन है

सती रासो के लेखक कौन है सती रासो किसकी रचना है , sati raso ke…

22 hours ago

मारवाड़ रा परगना री विगत किसकी रचना है , marwar ra pargana ri vigat ke lekhak kaun the

marwar ra pargana ri vigat ke lekhak kaun the मारवाड़ रा परगना री विगत किसकी…

22 hours ago

राजस्थान के इतिहास के पुरातात्विक स्रोतों की विवेचना कीजिए sources of rajasthan history in hindi

sources of rajasthan history in hindi राजस्थान के इतिहास के पुरातात्विक स्रोतों की विवेचना कीजिए…

3 days ago

गुर्जरात्रा प्रदेश राजस्थान कौनसा है , किसे कहते है ? gurjaratra pradesh in rajasthan in hindi

gurjaratra pradesh in rajasthan in hindi गुर्जरात्रा प्रदेश राजस्थान कौनसा है , किसे कहते है…

3 days ago

Weston Standard Cell in hindi वेस्टन मानक सेल क्या है इससे सेल विभव (वि.वा.बल) का मापन

वेस्टन मानक सेल क्या है इससे सेल विभव (वि.वा.बल) का मापन Weston Standard Cell in…

3 months ago

polity notes pdf in hindi for upsc prelims and mains exam , SSC , RAS political science hindi medium handwritten

get all types and chapters polity notes pdf in hindi for upsc , SSC ,…

3 months ago
All Rights ReservedView Non-AMP Version
X

Headline

You can control the ways in which we improve and personalize your experience. Please choose whether you wish to allow the following:

Privacy Settings
JOIN us on
WhatsApp Group Join Now
Telegram Join Join Now