उपग्रह का कक्षीय वेग , परिक्रमण काल , उपग्रह की ऊर्जा (orbital velocity of satellite in hindi)

(orbital velocity of satellite in hindi)  उपग्रह का कक्षीय वेग : चूँकि हम जानते है कि कृत्रिम उपग्रह मानव निर्मित होते है अत: इनको ग्रह के चारों ओर ग्रह की कक्षा में मानव द्वारा ही स्थापित करना पड़ता है अत: किसी उपग्रह को किसी ग्रह के चारों ओर ग्रह की कक्षा में स्थापित करने के लिए जितना वेग आवश्यक होता है उस आवश्यक वेग के मान को उस उपग्रह की कक्षीय चाल या वेग कहा जाता है।

उपग्रह का परिक्रमण काल (time period of satellite in hindi)

जैसा कि हम जानते है कि उपग्रह किसी ग्रह के चारों ओर चक्कर लगता रहता है अर्थात परिक्रमा करता रहता है , अत: किसी उपग्रह द्वारा ग्रह के चारों ओर एक पूरा चक्कर लगाने में लगा समय अर्थात एक पूरा परिक्रमा करने में लगा समय उस उपग्रह का परिक्रमण काल कहलाता है।

उपग्रह की ऊर्जा (energy of satellite in hindi)

कोई भी उपग्रह किसी ग्रह के चारों ओर या तो दीर्घ वृत्ताकार या वृत्ताकार कक्षाओं में चक्कर लगाते रहते है , पृथ्वी के चारों ओर चक्कर लगा रहे उपग्रह वृत्ताकार मार्ग में परिक्रमा लगाते रहते है और इनका वेग निश्चित होता है।
पृथ्वी का गुरुत्वाकर्षण बल इन उपग्रहों पर इनकी गति के उर्ध्वाधर कार्य करता है।
जब भी कोई उपग्रह किसी ग्रह के चारों ओर परिक्रमा करता रहता है तो ग्रह का गुरुत्वाकर्षण बल उस पर कार्य करता है और उपग्रह में इस गुरुत्वाकर्षण बल के विरुद्ध इसकी स्थिति के कारण एक ऊर्जा रहती है जिसे स्थितिज ऊर्जा कहते है।
तथा उपग्रह इस ग्रह के चारों ओर गति कर रहा है इसलिए उपग्रह की इस गति के कारण उपग्रह में एक अन्य ऊर्जा निहित होती है जिसे गतिज ऊर्जा कहते है।
अत: किसी उपग्रह में दो प्रकार की ऊर्जा होती है एक स्थितिज ऊर्जा और दूसरी गतिज उर्जा।
उपग्रह की कुल ऊर्जा = गतिज ऊर्जा  + स्थितिज ऊर्जा