इस्लामिक सम्मेलन संगठन (ओ आई सी) क्या है | oic full form in hindi Organisation of Islamic Cooperation

Organisation of Islamic Cooperation , oic full form in hindi इस्लामिक सम्मेलन संगठन (ओ आई सी) क्या है किसे कहते है ? स्थापना कब हुई थी ?

इस्लामिक सम्मेलन संगठन (ओ आई सी)
ओ आई सी की स्थापना मई 1971 में की गयी थी। इसके गठन के पीछे राबात ( मोरक्को ) में 1969 के सितम्बर महीने में संपन्न मुस्लिम राष्ट्राध्यक्षों के शिखर सम्मेलन, मार्च 1970 में साउदी अरबिया के जेहाद में संपन्न मुस्लिम विदेश मंत्रियों के सम्मेलन तथा 1970 में कराची में संपन्न हुए मुस्लिम विदेश मंत्रियों के सम्मेलन का हाथ है। मौजूदा समय में इसके 45 सदस्य हैं: अफगानिस्तान, अल्जीरिया, बहराइन, बेनिन, ब्रुनेई, बुरकीना फासो, कमरुन, चाड, कोमोरोस, जिबुती, मिस्र, गैबन, मांबिया, गायना, गाया, बिसाव, इंडोनेशिया, ईरान, इराक, जोर्डन, कुवैत, लेबनान, लिबिया, मलयेशिया, मालद्वीप, माली मोरीतानिया, मोरक्को, नाइजर, नाइजेरिया, ओमन, पाकिस्तान, पेलेएटाइन, कावर, साउदी अरबिया, सिनेगल, सिपेरा, लिओन, सोमालिया, सुडान, सीरिया, तुनुसिया, टर्की, युगांडा, संयुक्त अरब अमीरात तथा यमन।

लक्ष्य और उद्देश्य
1972 में अंगीकृत चार्टर में इस्लामिक सम्मेलन संगठन के निम्नलिखित उद्देश्य तय किये गये हैं:
1) सदस्य राज्यों के बीच इस्लामिक एकजुटता को बढ़ावा देना,
2) सदस्य राज्यों के बीच आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक, वैज्ञानिक व दूसरे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में सहयोग को मजबूत करना, तथा जो सदस्य राज्य अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के सदस्य है उनके बीच मंत्रणा करना।
3) नस्लवादी अलगाव व भेदभाव को समाप्त करने का प्रयास करना और उपनिवेशवाद की हर शक्ल का निटाना।
4) न्याय पर आधारित अंतर्राष्ट्रीय शांति व सुरक्षा के समर्थन में आवश्यक कार्रवाई करना,
5) पवित्र स्थलों की सुरक्षा के लिए किये जा रहे प्रयासों में समन्वय कायम करना, फिलीस्तीनी लोगों के संघर्ष को समर्थन देना और उनके अधिकारों को वापस दिलाना तथा उनके राष्ट्र को मुक्त करना।
6) मर्यादा, स्वतंत्रता और राष्ट्रीय अधिकारों की सुरक्षा के मद्देनजर सभी मुस्लिम आवाज की लड़ाई को मजबूत कराना,
7) सदस्य राज्यों व दूसरों देशों के बीच सहयोग व समझ की बढ़ोतरी के लिए माकूल माहौल तैयार करना।

इस्लामिक सम्मेलन संगठन के अंग (निकाय)
विगत वर्षों में आई ओ सी अपने सदस्य राज्यों के आर्थिक, सांस्कृतिक, मानवीय व राजनीतिक मुद्दों के क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने की सक्रिया कोशिश करती रही है। इसके लिए उसने कार्यक्रमों की शुरुआत की है तथा 20 करोड़ अमरीकी डॉलर की पूँजी के साथ इस्लामिक पुनर्बीमा निगम का गठन किया है। संगठन पूरी दुनिया में मुसलिम समुदायों की शिक्षा को संरक्षण देता है तथा इस्लामिक एकजुटता कोष की सहायता से नाइजर, युगांडा तथा मलेशिया में इस्लामिक विश्वविद्यालयों की स्थापना की है। राजनीतिक क्षेत्र में इसकी गतिविधियाँ फिर भी फिलीस्तीन और फिलीस्तीन मक्ति मोर्चा को मान्यता देने तक ही समिति रही है। 1981 के शिखर सम्मेलन में जेरूसलम व इजरायल अधिकृत क्षेत्र की मुक्ति के लिए जिहाद । पवित्र युद्ध-अनिवार्य रूप से सैनिक अर्थ में नहीं का आव्हान किया गया था। साथ ही इसमें इजरायल के आर्थिक बहिष्कार की बात भी शामिल थी। पिछले 15 सालों में यह अफगानिस्तान से रूसी सैनिकों को हटाने की मांग भी करता रहा। वास्तव में सम्मेलन में मुस्लिम देशों से 1980 के ओलम्पिक में भाग न लेने के लिए कहा गया था। जब तक कि अफगानिस्तान से रूसी सैनिकों की वापसी नहीं हो जाती । यद्यपि राजनीतिक क्षेत्र में सहयोग व सहमति कायम करने में यह बहुत सफल नहीं रहा है। फिर भी यह एक महत्वपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय समुदाय समूह है।