घूर्णन स्पेक्ट्रोस्कोपी , दृढ घूर्णी ,घूर्णन स्पेक्ट्रम रेखाओं की तीव्रता   ,  non rigid rotor in hindi

घूर्णन स्पेक्ट्रोस्कोपी (rotational spectroscopy or microwave spectroscopy) :
क्षेत्र : सूक्ष्म तरंगे (microwaves) 0.1 cm से 30 cm
घूर्णन स्पेक्ट्रोस्कोपी में विद्युत चुम्बकीय विकिरणों के (microwaves) क्षेत्र की विकिरणों को काम में लिया जाता है।

घूर्णन स्पेक्ट्रम के लिए आवश्यक शर्त (condition of rotational spectroscopy)

वे गैसीय अणु जिनमें स्थायी द्विध्रुव आघूर्ण होता है , विद्युत क्षेत्र की उपस्थिति में घूर्णन स्पेक्ट्रा देता है। ऐसे अणु घूर्णन सक्रीय होते है।
जैसे – विषम परमाण्विक अणु , HCl , CO,NO आदि।
ठोस एवं द्रव अवस्था में अणु घूर्णन स्पेक्ट्रम नहीं देते क्योंकि इन अवस्थाओ में अंतराआण्विक आकर्षण बल अधिक होते है।
हल्के द्विपरमाणुक अणु for IR क्षेत्र में घूर्णन स्पेक्ट्रा देते है जबकि भारी द्विपरमाणुक अणु एवं बहुपरमाणुक अणु सूक्ष्म तरंग क्षेत्र में घूर्णन स्पेक्ट्रा देते है।

दृढ घूर्णी (rigid rotation)

 . माना की एक अणु उस अक्ष पर घूर्णन करता है जो उसके गुरुत्व केंद्र से गुजरती है , इस स्थिति में दोनों ओर के आघूर्ण का मान समान होगा अर्थात
m1r1 = m2r2
माना r = r1 + r2
जब अणु अक्ष पर घूर्णन करता है तो इसके जडत्व आघूर्ण का मान निम्न होता है 
I = Σmi ri2
यहाँ mi = परमाणु का द्रव्यमान
r= गुरुत्व केंद्र से दूरी
घूर्णन स्पेक्ट्रा के लिए चयन नियम /वर्ण नियम (selection rule)
एक दृढ द्विपरमाणुक अणु के लिए वे ही घूर्णन संक्रमण सम्पन्न होते है जिनमे घूर्णन क्वांटम संख्या के मान में अंतर इकाई हो।
अर्थात J = ±1

घूर्णन स्पेक्ट्रम रेखाओं की तीव्रता

घूर्णन संक्रमण में प्राप्त स्पेक्ट्रम रेखाओं की तीव्रताए समान नही होती है।
घूर्णन स्पेक्ट्रम रेखाओं की तीव्रता इस बात पर निर्भर करती है की उच्च ऊर्जा स्तर वाले अणुओं का घनत्व कितना है।
स्पेक्ट्रम रेखाओं की तीव्रता अणुओं की सापेक्ष संख्या जो विभिन्न घूर्णन स्तर में जाते है , उन पर भी निर्भर करती है , अत: स्पेक्ट्रम रेखाओं की तीव्रता निम्न दो कारको पर निर्भर करती है –
1. वोल्टजमान population (आबादी)
2. अपभ्रष्टता   (degeneracy )
बन्ध लम्बाई का निर्धारण : दृढ़ घूर्णी मोडल के लिए घूर्णन स्पेक्ट्रम रेखाओं का अन्तराल समान होता है।
अत: स्पेक्ट्रमी रेखाओं की आवृति का मान ज्ञात किया जा सकता है।
किसी द्विपरमाणुक अणु के लिए जडत्व आघूर्ण I एवं दोनों परमाणु के मध्य की दूरी (बंध लम्बाई r) को ज्ञात कर सकते है
r = (i/u)1/2

 non rigid rotor in hindi

द्विपरमाणुक अणु में उपस्थित रासायनिक बंध पूर्णत: दृढ नहीं होते है।
ये बंध कुछ सीमा तक प्रत्यास्थ (elastic) होते है , इस कारण द्विपरमाणुक अणु के घूर्णन के दौरान दोनों परमाणुओं के द्रव्यमान पर बाहर की ओर उपकेंद्रीय बल कार्य करता है।
जिससे बंध लम्बाई का मान बढ़ जाता है इसके अलावा रासायनिक बंध के प्रत्यास्थ होने के कारण इसमें कम्पन्न भी सम्भव होता है।
इस कारण बंध लम्बाई का मान बढ़ने से जडत्व आघूर्ण I का मान बढ़ जाता है।