(when and how neutron was discovered) न्यूट्रॉन की खोज कब और किसने की : न्यूट्रॉन की खोज 1932 में जेम्स चेंडविक द्वारा की गयी थी।
1920 में जब अर्नेस्ट रदरफोर्ड द्वारा प्रोटॉन की खोज की गयी तो तब चेंडविक ने उनके साथ काम किया था तब यह अनुमान लगाया गया था की परमाणु में कोई आवेश रहित कण भी पाये जाने की उम्मीद है क्योंकि उस समय परमाणु भार और परमाणु क्रमांक के मान अलग अलग आ रहे थे।
इसके बाद अलग अलग वैज्ञानिको ने कई प्रयोग किये और कुछ हद तक यह अनुमान लगाया की परमाणु में इलेक्ट्रॉन और प्रोटोन के अलावा भी कोई कण उपस्थित हो सकते है।
तब 1932 में जब जेम्स चेंडविक इंग्लैंड की कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय में काम कर रहे थे तब उन्होंने अपने प्रयोगों से इस बात की पुष्टि की , कि परमाणु में एक अन्य कण भी पाया जाता है जिस पर कोई आवेश नही पाया जाता है और जिसका भार प्रोटोन के भार के बराबर होता है , जेम्स चेंडविक ने इस कण को ” न्यूट्रॉन ” नाम दिया।
अत: न्यूट्रॉन का आविष्कार जेम्स चेंडविक द्वारा 1932 में किया गया।
1920 में जब अर्नेस्ट रदरफोर्ड द्वारा प्रोटॉन की खोज की गयी तो तब चेंडविक ने उनके साथ काम किया था तब यह अनुमान लगाया गया था की परमाणु में कोई आवेश रहित कण भी पाये जाने की उम्मीद है क्योंकि उस समय परमाणु भार और परमाणु क्रमांक के मान अलग अलग आ रहे थे।
इसके बाद अलग अलग वैज्ञानिको ने कई प्रयोग किये और कुछ हद तक यह अनुमान लगाया की परमाणु में इलेक्ट्रॉन और प्रोटोन के अलावा भी कोई कण उपस्थित हो सकते है।
तब 1932 में जब जेम्स चेंडविक इंग्लैंड की कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय में काम कर रहे थे तब उन्होंने अपने प्रयोगों से इस बात की पुष्टि की , कि परमाणु में एक अन्य कण भी पाया जाता है जिस पर कोई आवेश नही पाया जाता है और जिसका भार प्रोटोन के भार के बराबर होता है , जेम्स चेंडविक ने इस कण को ” न्यूट्रॉन ” नाम दिया।
अत: न्यूट्रॉन का आविष्कार जेम्स चेंडविक द्वारा 1932 में किया गया।
न्यूट्रॉन की उपस्थिति का अनुमान कैसे चला
जब रदरफोर्ड ने प्रोटोन की खोज की थी तो बताया था की किसी परमाणु में जितने proton होते है उतना ही उसका परमाणु क्रमांक होता है , जब परमाणु भार की बात आई तो देखा गया की परमाणु भार परमाणु क्रमांक के दुगुने से थोडा अधिक पाया गया।
परमाणु में ये अधिक मान ही इस बात का संकेत दिया की परमाणु में प्रोटॉन , इलेक्ट्रॉन के अलावा भी अन्य कोई कण उपस्थित है जिसे बाद में जेम्स चेंडविक ने न्यूट्रॉन नाम दिया।
न्यूट्रॉन की खोज के बाद
परमाणु भार = परमाणु क्रमांक (प्रोटोन) + न्यूट्रॉन की संख्या
प्रयोग (experiment)
जेम्स चेंडविक ने एक प्रयोग किया जिसमे बेरिलियम तत्व पर alpha कणों की बोछार की और देखा की इसमें से विकिरण उत्पन्न हुई उन्होंने इसका कारण परमाणु में उपस्थित किसी अनावेषित कण को बताया।
और इस अनावेषित कण को उन्होंने न्यूट्रॉन नाम दिया।
इसके बाद ही जेम्स चेंडविक ने isotop को भी परिभाषित किया और बताया की यह न्यूट्रॉन की अलग अलग संख्या के कारण होता है जिससे परमाणु द्रव्यमान में अंतर आ जाता है। इसके लिए 1935 में जेम्स चेंडविक को भौतिक विज्ञान के नोबेल पुरस्कार भी दिया गया।