देम्बू समाज क्या है (Ndembu Society in hindi)  देम्बू अनुष्ठानों के प्रकार (Types of Ndembu Rituals)

Ndembu Society in hindi देम्बू समाज क्या है देम्बू अनुष्ठानों के प्रकार (Types of Ndembu Rituals) किसे कहते है अर्थ बताइए ?

 देम्बू समाज (Ndembu Society)
जैसा कि पहले कहा जा चुका है कि देम्बू, दक्षिण मध्य अफ्रीका के उत्तर पश्चिम जाम्बिया में स्थित है (वे स्वयं को कांगों के महान प्रमुख वान्तियानवा के वंशज मानते हैं)। यूरोप के संपर्क में आने से जाम्बिया के अनेक भागों में जनजातीय धर्म जिन में जनजातीय एकता, सगोत्र संबंध और बड़ों का सम्मान जैसे मूल्यों पर जोर दिया जाता है, उनका धीरे-धीरे अंत हो रहा है। अनेक जनजातियों के लोग अब आधुनिक उद्योगों में मिल कर काम करते हुए एक नई अर्थव्यवस्था के सहभागी बन गए हैं। टर्नर भाग्यशाली था कि उसका शोध ऐसी जगह पर हुआ जहाँ के लोगों में जनजातीय धर्मों का हास (जैसा कि पहले कहा जा चुका है) अधिक तेजी से शुरू नहीं हुआ था।

भौगोलिक स्थिति और आर्थिक जीवन (Geographical Setting and Economic Life)
टर्नर ने मविनिलुंगा क्षेत्र में गहन अध्ययन किया । जहाँ 18000 देम्बू थे। ये लोग एक गाँव में, लगभग प्रत्येक 7000 वर्ग मील पर दर्जन भर झोपड़ियों के रूप में बिखरे हुए थे। यह इलाका मुख्यतः जंगल था जिस में अनेक नदी नाले थे।

देम्बू की छोटी सी अर्थव्यवस्था है अर्थात वे केवल अपनी आवश्यकताओं के लिए अन्न पैदा करते हैं। मंडुआ जिससे बीयर बनती है और मदई के साथ ‘कसावा‘ वहां की मुख्य सब्जी है जिसे महिलाएं उगाती हैं। पुरुष शिकार करते हैं। शिकार केवल पुरुषों का कार्य है और उस के साथ अनेक अनुष्ठान और वर्जनाएं जुड़ी हुई हैं। अब संक्षेप में देम्बू समाज के संरचनात्क सिद्धांत को देखें जिस के आधार पर देम्बू समाज की व्यवस्था मातृसत्तात्मक वंश और पुरुष आवास के आधार पर हुई है। देम्बू समाज के अनुष्ठानों और धर्म का गूढ़ अध्ययन करने में यह सहायता करेगा। इसके बाद हम वंश और रीति-रिवाजों के ऐसे प्रकार पर अपना ध्यान केन्द्रित करेंगे जो विशेषरूप से केवल देम्बू समाज से ही संबंधित हैं।

जनजातीय एकता, सगोत्र संबंध और बड़ों को सम्मान देना, जाम्बिया की जनजातियों के मुख्य धार्मिक मूल्य हैं।

मातृ सत्तात्मक वंश और पुरुष आवास (Matrilineal Descent and Virilocal Residence)
देम्बू की गिनती मातृ सत्तात्मक वंशों में होती है अर्थात नवजात शिशु (लड़का या लड़की) अपनी मातृ कुल का माना जाता है। मातृ सत्तात्मक वंशों के अधिकांश समाजों में पत्नीस्थानिक आवास देखने को मिलते हैं। किंतु देम्बू की संस्कृति में पुरुष आवास ही स्वीकृत है, यानि लड़का अपनी पत्नी को अपने साथ ले जाता है। इस मातृ सत्तात्मक वंश और पुरुष आवास के ताल-मेल से कुछ विशेष जटिलताएं उत्पन्न हो जाती हैं।

चूंकि यहाँ व्यक्ति अपने मातृ कुल का होता है अतः वह उस कुल की प्राथमिक या गुप्त संपत्ति का सहभागी होता है। साथ ही उसे यह भी अधिकार है कि वह अपनी पत्नी को उसके कुल से अलग अपने पैतक आवास पर भी ले जा सकता है। और महिलाएं, जिन पर ग्रामों की सामाजिक निरंतरता निर्भर है, अपने गाँव से पति के गाँव में बसने जाती हैं। इन समाजों में तलाक और विधवा विवाह खूब प्रचलित हैं। इसलिए महिला का लगातार एक गाँव । से दूसरे गाँव जाना बना रहता है। पुरुष अधिकाधिक अपने बेटे को साथ रखने का प्रयास करते हैं और जैसा कि हम आगे देखेंगे कि बाप-बेटे के संबंधों के अनेक अनुष्ठान हैं। इस से मातृ पक्ष और पितृ पक्ष के बीच तनाव होता है। जो कि इस मातृ सत्तात्मक समाज में शक्तिशाली पुरुष पक्ष का होता है। देबू समाज में व्यक्ति, परिवार और समाज में स्थानीय गतिशीलता सामान्य बात है। गाँव स्थिर नहीं है, उनके समूह लगातार बनते बिगड़ते रहते हैं। वे निरंतर परिवर्तनशील है (संक्षेप में देबू की भौगोलिक और सामाजिक स्थिति का विवरण लेने के पश्चात अब हम देम्बू की अनुष्ठान व्यवस्था से परिचत हो लें। अतः अब यह स्पष्ट है कि देम्बू समाज की समूची संकल्पना और विचारधारा ऐसे समाजों से बिल्कुल भिन्न है जिनमें गाँव परिवर्तनशील नहीं है बल्कि विश्लेषण की दृष्टि से स्थिर इकाई है।

 देम्बू अनुष्ठानों के प्रकार (Types of Ndembu Rituals)
विक्टर टर्नर ने मविनिलुंगा (डूपदपसनदहं) में 21-22 वर्ष तक शोध कार्य किया। इस बीच वह कई देम्बू अनुष्ठानों में गया। उन्हें देख कर उनके विषय में जानकारियाँ प्राप्त की। जैसा कि वह कहता है ‘‘इन शिकारियों की अपेक्षाकृत स्थिर और नीरस अर्थव्यवस्था और घरेलू जीवन और अविकसित खेती व्यवस्था और धार्मिक जीवन की मनोहर प्रतीक्षात्मकता को देखना एक रोमांचकारी और ज्ञानवर्धक अनुभव था‘‘ (टर्नर, 1967: 87) टर्नर के अनुसार देम्बू अनुष्ठान दो प्रकार के होते हैंः 1) जीवन के महत्वपूर्ण क्षणों के अनुष्ठानय 2) पीड़ा से संबद्ध अनुष्ठान।

1) जीवन के महत्वपूर्ण क्षणों के अनुष्ठान (स्पमि-ब्तपेपे त्पजनंसे) इन का संबंध ‘‘किसी व्यक्ति के शारीरिक और सामाजिक विकास जैसे जन्म, वयःसंधि (यौवन), मृत्यु (टर्नर 1967ः7) से है । हर प्रकार के समाज में अनेक अनुष्ठान होते हैं जो कि जीवन और समाज की एक स्थिति से दूसरी में प्रवेश की पहचान है। महत्वपूर्ण अनुष्ठानों का संबंध मात्र उस व्यक्ति विशेष से नहीं है। वे विभिन्न सामाजिक संबंधों में परिवर्तन का भी द्योतक है। उदाहरण के लिये भारतीय समाज में विवाह व्यक्ति की सामाजिक स्थिति में परिवर्तन का द्योतक हैं। लड़का/ लड़की किसी के पुत्र या पुत्री मात्र नहीं रहते बल्कि पति और पत्नी हो जाते हैं। इन महत्वपूर्ण अनुष्ठानों के परिणामस्वरूप माता-पिता, भाई बहन मित्र के साथ संबंधों में एक सहज परिवर्तन आ जाता है। निश्चित बचपन और यौवन के दिन बीत गए, अब व्यक्ति गृहस्थी हो जाता है। देम्बू समाज के महत्वपूर्ण अनुष्ठानों में लड़के और लड़की को दीक्षित करने का समारोह भी होता है। लिंग के अनुसार इन अनुष्ठानों का प्रकार और प्रयोजन अलग होता है। लड़कों का खतना (लिंग के अग्र भाग की त्वचा हटाई जाती हैं) किंतु उसी तरह लड़की की भगशिश्न को नहीं काटा जाता। लड़की को दीक्षित करने के समारोह को कांगा कहा जाता है जिस में लड़की को कम्बल ओढ़ के एक वृक्ष के नीचे पूरे दिन निश्चल लेटना पड़ता है। लड़कों का खतना सामूहिक रूप से होता है जबकि लड़कियाँ एक-एक कर के दीक्षित होती हैं। लड़कों को यौवन से पूर्व दीक्षित किया जाता है, जबकि लड़कियों को यौवन के आरंभ में । लड़कों को दीक्षित करने का मुख्य उद्देश्य उनमें जनजातीय मूल्यों अर्थात शिकार की कला और यौन निर्देशों का संस्कार देना है जबकि लड़कियों की दीक्षा उनके विवाह और मातृत्व की तैयारी का प्रतीक है। दीक्षा लड़के के शिकार और लड़की को प्रजनन के योग्य बनाता है। पुरुषों के शिकार की भूमिका अत्यधिक आनुष्ठानिक है जब कि औरतों के लिए खेती पर उतना जोर नहीं दिया जाता। संक्षेप में हम यह कह सकते हैं कि प्रारंभिक दीक्षा में पुरुषों में उर्वरता और औरतों में प्रजनन की प्रक्रिया पर जोर दिया जाता है।

फिर भी, इन दोनों अनुष्ठानों में एक बात सामान्य है कि दोनों में अपने से बड़ों का सम्मान दिया जाता है।

कार्यकलाप 1
अपने समाज में जीवन के महत्वपूर्ण क्षणों से जुड़े अनुष्ठान (Life crisis rituals) में से किसी एक का चयन करें और बताएं कि उस में भाग लेने वाले लोगों के जीवन में वह क्या परिवर्तन लाता है। लगभग 500 शब्दों का एक लेख लिखें और यदि संभव हो तो अपने अध्ययन केंद्र के अन्य विद्यार्थियों के लेखों से उस की तुलना करें।

2) संकटकालीन अनुष्ठान (Rituals of ffAliction) देम्बू के धार्मिक जीवन में संकटकालीन कर्मकांड का विशेष महत्व है अर्थात दुर्भाग्यों का संबंध मृतकों की आत्माओं या छायाओं के साथ माना जाता है। प्रचलित विश्वास है कि मृत संबंधियों की छाया कब्र से निकल कर परेशान करने आती हैं क्योंकि उन्हें (आत्माओं को) भुला दिया गया है या उपेक्षित या अप्रसन्न किया गया है। किसी आत्मा या छाया द्वारा पकड़ लिये जाने पर कोई संकट या विपदा ग्रस्त व्यक्ति एक बड़े आनुष्ठानिक जमघट का केंद्र बन जाता है। ठीक हो जाने पर वह व्यक्ति कोई छोटा सा श्चिकित्सक बन जाता है और सहायता करता है। जैसा कि टर्नर ने कहा है कि ‘‘विपदाओं (संकटों) के माध्यम से व्यक्ति धार्मिक ख्याति प्राप्त करता है।‘‘ (टर्नर, 1967: 10) देम्बू विश्वासों के आधार पर तीन प्रकार की विपदाएं (संकट) स्पष्ट की गई हैं। वे निम्न प्रकार हैं।

प) किसी (मृत) शिकारी की आत्मा शिकार करने में समस्या (संकट) उत्पन्न कर सकती है।
पप) किसी (मृत) महिला की आत्मा किसी रिश्तेदारी की महिला के प्रजनन में समस्या उत्पन्न कर सकती हैं जैसे मासिक धर्म में अत्यधिक रक्त स्राव, बार-बार गर्भपात और बांझपन।
पपप) स्त्री-पुरुष दोनों की आत्मा स्वास्थ्य संबंधी समस्या जैसे दर्द, कंपकपी, वजन में कमी आदि जैसी समस्याएं उत्पन्न कर सकती है।
इन विपदाओं से निपटने के लिये इनके अनुरूप निम्नलिखित अनुष्ठान किये जाते हैंः
प) शिकारियों की उपासना, पप) गर्भाधान की उपासना और पपप) आरोग्य संबंधी उपासना, आइये संक्षेप में इन उपासनाओं की जानकारी प्राप्त करें।

1) शिकारियों की उपासना (The Hunting Cult): जैसा कि पहले बताया जा चुका है कि देम्बू जनजातियों में शिकार को अत्यधिक आनुष्ठानिक महत्व दिया गया है। यह मात्र खेल या आर्थिक गतिविधि से कहीं अधिक महत्वपूर्ण है। यह माना जाता है कि अदृश्य शक्ति किसी देम्बू युवक से कहती है कि उसे एक महान शिकारी बनना है इसी । कारण उसे सपने में उसके नाते के शिकारियों की आत्माएं दिखती हैं। इन सपनों के बाद शिकार में कोई दुर्घटना होती है, दूसरे शब्दों में विपदा (संकट) आती है। विपदाग्रसत शिकारी अनुष्ठान कर के शिकारियों की उपासना में प्रवेश करता है। जैसे-जैसे अनुष्ठान की क्रिया बढ़ती जाती है, वैसे-वैसे यह माना जाता है कि उसके शिकार करने में उसका दुर्भाग्य कम होता जाता है और धीरे-धीरे वह शिकार की कला में निपुण हो जाता है। अतः शिकार करने में पारंगत होना अधिकाधिक शिकार संबंधी अनुष्ठान करने के ढंग से जुड़ा हुआ है और देम्बू जनजाति में यह विश्वास है कि इससे उस शिकारी युवक के पास अलौकिक शक्ति बढ़ती जाती है। विश्वास किया जाता है कि इस शक्ति से शिकारी, शिकार को जल्दी देख लेता है, उसे अपनी ओर आकृष्ट कर सकता है और उनके सामने खुद को अदृश्य कर सकता है।
2) गर्भाधान की उपासना (Fertility Cults): प्रजनन की गड़बड़ियों से संबंधित कई अनुष्ठानों में टर्नर ने भाग लिया । गर्भपात और प्रसव के कठिन मामलों में कई बार टर्नर की पत्नी को सहायता करने का अनुरोध किया जाता था, टर्नर दंपति ने पाया कि अनेक महिलाएं एनीमिया (खून की कमी) से पीड़ित थीं और उनका आहार भी उन प्रोटीनों से रहित था जो कि अच्छे स्वास्थ्य के लिये आवश्यक है। फिर भी प्रजनन की इन अनियमितताओं के प्रति देब जनजाति का यह रवैया है कि किसी स्त्री संबंधी की आत्मा कब्र से निकल कर अपनी उस संबंधी स्त्री के शरीर में तब तक वास करती है जब तक अनुष्ठानों द्वारा उन्हें प्रसन्न नहीं कर दिया जाता । अधिकांशतः यह आत्मा उस स्त्री की नानी या माँ की आत्मा होती है जिसे उस स्त्री ने भुला दिया है। इस बात को टर्नर महत्वपूर्ण मानते हैं। वो कहते हैं कि……. यद्यपि उत्तराधिकार और विरासत स्त्रियों को ही मिलते हैं फिर भी वे विवाह के बाद अपने पति के गांव चली जाती है जो कि बहुधा उनके अपने गांव से बहुत दूर होता है और समय के साथ-साथ उनमें से बहुत सी स्त्रियाँ अपने मायके के पुराने संबंधी जो मर चुके हैं, को भूल जाती हैं……वहीं मायके की किसी प्रेत छाया द्वारा सताए जाने पर उन्हें यह याद दिलाता है कि उनकी पहली निष्ठा उनके मायके के प्रति है और वे बच्चा अपने पति के लिये नहीं बल्कि अपनी माँ के भाई और मायके के लिये पैदा करती है टर्नर 1967: 15)

प्रजनन की विभिन्न अनियमितताओं के लिये अलग-अलग अनुष्ठान हैं और प्रत्येक अनुष्ठान की तीन विशिष्ट अवस्थाएं होती हैं। पहला उपचार और नृत्य (नांच) इसके बाद एकान्त की अवस्था होती है। जिस में खाने-पीने की कुछ चीजों पर प्रतिबंध होता है और अंततः कुछ और उपचार और आनुष्ठानिक नृत्य जो कि विपदाग्रस्त लोगों को फिर से सामान्य जीवन के लिये तैयार करते हैं। प्रत्येक अनुष्ठान के लिये दवाओं का एक विशेष मिश्रण होता है। विशेष ताल और नृत्य होता है एक अलग पवित्र स्थान (जहाँ ये आत्माएँ प्रसन्न होती हैं) और अनुष्ठान के विशेष उपहार होते हैं। जब देम्बू लोग पीने और नाचने के लिये इकठठे होते हैं। प्रत्येक अनुष्ठान और विशेष कर उसकी अंतिम अवस्था सभी के लिए उत्सव मनाने का अवसर होता है।

3) आरोग्य की उपासना (Curative Cults): टर्नर के अनुसार ‘‘चिचंबा” और “कलेम्बा‘‘ दो ही देसी देम्बू आरोग्य उपासना हैं। अन्य उपासनाएं जिन पर टर्नर का ध्यान गया वे, यांगू टुकुकू और मासूदा अनुष्ठान हैं और जिन्हें अन्य जनजातियों से लिया गया है। इन अनुष्ठानों में उपचार करने वाला रोगी के साथ-साथ स्वयं पर भी दवाओं का प्रयोग करता है जिसके बाद दोनों को कँपकपी के दौरे पड़ते हैं। टूकुकू और मासुंदा अनुष्ठान मविनिलुंगा में बहुत अधिक लोकप्रिय हो गए हैं और इन्हें क्षयरोग से पीड़ित मरीजों के लिये किया जाता है और प्रचलित विश्वास है कि यह रोग यूरोपीय और अन्य जनजातियों की प्रेतात्मा के कारण होता है। अतः उपचार के तौर पर यूरोपीय खाना खिलाया जाता है, यूरोपीय कपड़े पहनाये जाते हैं और यूरोपीय गानों और नृत्यों की नकल की जाती है।

अतः हम पाते है कि देम्बू जाति के लिये अनुष्ठान जीवन के सभी पहलुओं अर्थात निजी जीवन चक्र से लेकर बीमार और प्रजनन की क्रियाओं में पाया जाता है। देम्बू समाज की प्रकृति और अनुष्ठानों के महत्व के विषय में जान लेने के बाद आइये अब हम दूसरे अनुभाग का अध्ययन करें। इस अनुभाग में हम एक विशेष अनुष्ठान अर्थात मुकांदा या लड़कों के खतने के विषय में जानेंगे।
हम ने यह विशेष अनुष्ठान इसलिये चुना है क्योंकि इसके द्वारा हम देम्बू समाज के विभिन्न तनावों को देख पाएंगे। साथ हम संबद्धता की उस शक्ति को भी देख पाएंगे जिससे जनजातीय एकता और अखंडता बनती है। किंतु यह सब आरंभ करने से पहले आइए बोध प्रश्न करें।

बोध प्रश्न 1
प) बताइए कि निम्नलिखित में से कौन या कथन सही या गलत हैः
प) देम्बू समाज में शिकार पूर्णतया औरतों का व्यवसाय है ( )
पप) देम्बू लड़कियों को दीक्षित करने के लिए उनका खतना किया जाता है। ( )
पपप) पुरुष दीक्षा संबंधी संस्कारों में जनजातीय एकता और यौन शिक्षा पर बल दिया जाता है। ( )
पप) निम्नलिखित कथन पूरे कीजिए।
प) देम्बू समाज में मातृ सत्तात्मक वंश………से जुड़ा है।
पप) ……….. और…………. के बीच प्रतिस्पर्धा देम्बू महिलाओं और उनके बच्चों के लिए होती हैं।

बोध प्रश्न 1 उत्तर
1) प) गलत पप) गलत पपप) सही
2) प) पुरुष पप) मामा, पिता पपप) उपचार, नृत्य