natural pest control methods in hindi प्राकृतिक उत्पादों से आप क्या समझते हैं? पीड़क-प्रबंधन के लिए प्राकृतिक उत्पाद कीट प्रबन्धन ?
पीड़क-प्रबंधन के लिए प्राकृतिक उत्पाद
हमारे पूर्वजों ने नाना प्रकार के पादप आधारित उत्पाद, फसलों के अवशेष पदार्थ, जैसे कि भूसा, छिलका, राख, जंतु-उत्पाद जैसे कि गाय का मूत्र, गाय का गोबर और दूध तथा खनिज पदार्थ जैसे कि लाल मिट्टी, बालू आदि को पीड़कों से बचाने के लिए और फसलों को पोषण प्रदान करने के लिए इस्तेमाल किया है। इनमें से अधिकांश पदार्थ निरापद, जैवनिम्नीकरणीय, कम समय तक बने रहने वाले और किसानों के इलाकों में उनके आसपास आसानी से मिल जाने वाले हैं, और आज वैज्ञानिक इन्हीं पर अपना ध्यान आकर्षित कर रहे हैं। सुदूर गाँवों में और आदिम क्षेत्रों में मिलने वाली ऐसी बहुमूल्य वस्तुएँ लगातार शहरीकरण और असीमित मानव महत्वाकांक्षा के कारण अब समाप्त होने की कगार पर हैं।
किसी भी समस्या का हल खोजना एक लगातार चलने वाली प्रक्रिया है। किसान ऐसे ही दलों की तलाश में रहते हैं जो उनकी आवश्यकताओं पर आधारित हैं क्योंकि वे अपनी सीमाओं, उत्तरदायित्वों और संभावनाओं को बेहतर समझ सकते हैं। किसान नए-नए तरीकों को खोजने में इतने जागरूक थे कि उन्होंने ऐसे सस्ते और स्थानीय रूप से उपलब्ध पदार्थों, जैसे घीकुँवार (aloe) तंबाकू, सिसल (बांस), बकायन (Persian lilac), नीम, यूकेलिप्टस, पार्थीनियम, अरंडी, मूत्र, गोबर, राख, मिर्च, लहसुन, साबुन, दूध के उत्पाद, फार्म खाद (arm yard manure) आदि का इस्तेमाल करके पीड़कनाशियों, जिनमें अनाज की सुरक्षा प्रदान करने वाले पदार्थ भी शामिल हैं, को बचाने का प्रयत्न करते हैं (तालिका 9.2)।
अपरिष्कृत पादप कीटनाशियों का भी पिछली अनेक शताब्दियों से इस्तेमाल किया जाता रहा है, और इनके बारे में संसार भर की जनजातीय अथवा परंपरागत संस्कृतियों में उल्लेख मिलता है तथा बाद में इन्हें यूरोप और अमरीका में भी प्रयोग किया जाने लगा। लंबे समय से परपरांगत रूप से इस्तेमाल किए जाने वाले उत्पादों में ये शामिल हैं रू भारत में नीम, पूर्वी, एशिया और दक्षिणी अमरीका में रोटेनॉन, फारस (ईरान) में पायरिश्रम तथा केन्द्रीय एवं दक्षिणी अमरीका में चीकू । पीड़क-प्रबंधन में इस्तेमाल किए जाने वाले कुछ प्राकृतिक उत्पादों का विवरण तालिका 9.2 में दिया गया है।
बोध प्रश्न 4
प) प्राकृतिक उत्पादों से आप क्या समझते हैं?
पप) पीड़क-प्रबंधन में इस्तेमाल किए जाने वाले सात प्राकृतिक उत्पादों के नाम बताइए।
पपप) रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए (कम-से-कम चार पीड़कों के नाम लिखिए, लेकिन अधिक पीड़कों के नाम भी लिख सकते हैं)
क) ………………………………के लिए नीम एक प्रभावी परंपरागत कीटनाशी है।
ख) फसल पर राख का छिड़काव करके फसल को………………………………के संक्रमण से बचाया जा सकता है।
ग) चावल और हल्दी को एक साथ पकाकर खेत में छितराने से फसल को………………………………से बचाया जा सकता है।
उत्तरमाला –
4) प) पीड़क-नियंत्रण के लिए प्रयुक्त होने वाला कोई ऐसा पदार्थ जो या तो पेड़-पौधों से प्राप्त हुआ हो, खनिज हो, अथवा किसी
जंतु, से प्राप्त हुआ हो, अथवा इन सबको मिला-जुला कर बनाया गया पदार्थ ।
पप) भूसी, कवच, राख, गाय का मूत्र, गाय का गोबर, दूध और खनिज
पपप) क) ऐफिड, चींटियाँ, टिड्डी दल, और भंडारित अनाज के पीड़क
ख) रेड पंपकिन बीटल, तथा अन्य पीड़क
ग) अंरडी का सेमीलूपर (csator semilooper)
पीड़क-प्रबंधन के बारे में मिथ्या धारणाएँ और मान्यताएँ
हमारे समाज में लोगों के अनपढ़ होने के कारण अक्सर अन्ध विश्वास पैदा हो जाते हैं। जिनके कारण अंततरू न केवल पीड़क-प्रबंधन के कार्यक्रमों में बाधा पड़ती है बल्कि उनका निराकरण हो जाता है। यहाँ कुछेक सामान्य उदाहरण दिए गए हैं रू
प) यदि आप ऐसे स्थानों को जाएं, जैसे कि अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) अथवा समाचार पत्रों को पढ़ें तो आप
देखेंगे कि जिन लोगों के रोगी अस्पताल में दाखिल हैं उन लोगों का विश्वास है कि उनके द्वारा दिया गया भोजन यदि बंदर खा लें तो उनके रोगियों को जो उपचार अस्पताल में दिया जा रहा है उससे फायदा होगा और इस प्रकार वे कुशलपूर्वक अपने घर वापस आ सकेंगे। इसलिए, इन रोगियों के परिचारक, जो इस प्रकार के अंधविश्वासों में यकीन करते हैं, अस्पताल के प्रांगण में बंदरों को किसी न किसी प्रकार खाना खिलाने की कोशिश करते हैं चाहे उन्हें अस्पताल के अधिकारीगण ऐसा करने के लिए कितना ही मना क्यों न करें। इसका परिणाम यह हुआ है कि बंदरों का उपद्रव अपनी चरम सीमा तक पहँच चुका है और कभी-कभी इनके काटने के कारण रेबीज के गंभीर मामले उत्पन्न हो जाते हैं।
पपद्ध आप भलीभांति जानते हैं कि चूहे को, जो भगवान गणेश का प्रतीक है कुछ रूढ़िवादी अथवा अंधविश्वासी लोग प्रायरू नहीं मारते चाहे वह उनके घरों में अथवा खेतों में कितना ही क्यों न नुकसान पहुँचाएँ।
पपप) इसी प्रकार, मिथ्या धारणाओं और मान्यताओं वाले ऐसे भी लोग हैं जिनका पक्का विश्वास है कि दीमक की बाँबियों के भीतर कोबरा साँप रहता है, इसलिए वे इस बाँबी को पूजने का एक स्थान मानते हैं। इस प्रकार के अनेक उदाहरण हैं जिनका, अपनी बुद्धि और वैज्ञानिक चिंतन के आधार पर, आप स्वयं विश्लेषण कर सकते हैं। अक्सर, वैज्ञानिक व्याख्याएँ ऐसी. धारणाओं का समर्थन नहीं करतीं, इसलिए इन्हें अंधविश्वासों की श्रेणी में रखते हैं।
बोध प्रश्न 5
पद्ध बंदरों की जानबूझ कर देखभाल क्यों की जाती है और अस्पतालों में रोगियों के परिचारक उन्हें क्यों खिलाते हैं?
पप) श्दीमक की बॉबीश् शब्द की व्याख्या कीजिए।
पपप) चूहा-प्रबंधन में प्रमुख अंधविश्वासी प्रतिबंध क्या है?
क्योंकि किसानों द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले प्राकृतिक उत्पाद और खेती की विभिन्न पद्धतियाँ पारिस्थिति अनुकूली (मबवतिपमदकसल) हैं इसलिए उनकी वैज्ञानिक अभिपुष्टि करना आवश्यक है ताकि उन्हें प्च्ड कार्यक्रमों में शामिल किया जा सके। अनेक शोधकर्ताओं ने छैज्ञम् (नीम बीज मिगी अर्क), गाय मूत्र, लहसुन और अन्य अनेक प्राकृतिक उत्पादों के कीट-पीड़कों के खिलाफ वैज्ञानिक जाँच-परख की है। ये उत्पादन कीट-पीड़कों के विरुद्ध अत्यधिक प्रभावी बताए गए हैं।
उत्तरमाला –
उत्तर
बोध प्रश्न
5) प) देखिए भाग 9.6
पप) दीमक की बॉबी दीमक का घोंसला होता है जो या तो जमीन के नीचे बना होता है अथवा जमीन के ऊपर और यह मिट्टी से
बनी एक संरचना होती है जो दीमकों की श्रमिक जाति द्वारा विशिष्ट रूप से बनायी जाती है। प्रायरू यह संरक्षित क्षेत्रों में
दिखाई देते हैं और इनकी ऊँचाई हमारी ऊँचाई से भी अधिक होती है।
पपप) क्योंकि चूहा भगवान गणेश का प्रतीक है, इसे अनेक लोग नहीं मारते, यहाँ तक कि यह उनकी फसलों और घरेलू सामान को
भी नुकसान पहुंचाता है।