(musical sound in hindi) संगीतिक या सुस्वर ध्वनि क्या है , परिभाषा , उदाहरण : वह ध्वनि जिसको सुनने से हमारे कानों को सुख का अनुभव होता है उस ध्वनी को संगीतक या सुस्वर ध्वनि कहते है।
जब कोई संगीतकार किसी विशेष पिच की तरंगे बाजाता है जिससे उनका यन्त्र कम्पन्न उत्पन्न करता है और वह उस पिच की ध्वनी निकल जाती है।
जब एक से अधिक तरंग आपस में मिश्रित की जाती है तो एक विशेष प्रकार का जटिल ध्वनि तरंगो का एक पैटर्न बनता है जिससे भी कई प्रकार के सुस्वर उत्पन्न होते है जिनकी आवृत्तियाँ अलग अलग हो सकती है , अलग अलग आवृति होने पर उत्पन्न संगीतक ध्वनि भी अलग अलग उत्पन्न होती है।
उदाहरण : गिटार , बाँसुरी आदि से उत्पन्न संगीत कानों को मधुर लगता है और सुख का अनुभव कराता है इसलिए इन्हें संगीतिक अथवा सुस्वर ध्वनि के उदाहरण कहा जाता है।
शोर क्या है (what is noise)
वे ध्वनियाँ जो हमें बुरी लगती है अर्थात जो हमारे कानो को असुख का अनुभव कराती है , जिनको सुनने से मनुष्य चिडचिडापन महसूस करता है उन्हें शोर कहते है।
यदि कोई ध्वनि हमारे कानों को सुख का अनुभव नहीं कराती है इसका तात्पर्य है की वह शोर ध्वनी है , इनकी कोई निश्चित आवृत्ति नहीं होती है , ये स्वत: उत्पन्न हो जाती है जैसे जब आप गेट को बंद करते है तो उससे निकलने वाली आवाज यदि तेज और बार बार आये तो आपका मन खराब और चिडचिडा हो जाता है क्योंकि यह शोर है , वाहनों से निकलने वाली आवाज , हॉर्न की आवाज आदि।
संगीतिक या सुस्वर ध्वनि की विशेषताएँ
संगीतक ध्वनी की कुछ विशेषता होती है जिन्हें आगे विस्तार से समझाया गया है
१. प्रबलता (loudness) : ध्वनि का वह गुण जिसके कारण इसे धीमा या तीव्र किया जा सकता है , इस गुण को प्रबलता कहते है।
२. गुणता (quality) : ध्वनि का वह गुण जो एक समान की तीव्रता और आवृत्ति वाली दो ध्वनियों में स्पष्ट रूप से अंतर कर सके।
३. तारत्व (pitch) : ध्वनि का वह गुण जो इसकी तीक्ष्ण अर्थात पतली और मोटी ध्वनी में अंतर स्पस्ट कर सके।
जिस ध्वनि का तारत्व उच्च होता है वह ध्वनि पतली और उच्च आवृत्ति की होती है।
जिस ध्वनी का तारत्व निम्न होता है वह ध्वनि मोती और निम्न आवृत्ति की होती है।
यही कारण है की महिलाओं की आवाज का तारत्व पुरुषो की तुलना में अधिक होता है और महिलाओं की आवाज सुनने में अधिक प्रिय लगती है।