मुख और मुख गुहिका क्या है ? (Mouth and Buccal Cavity in hindi) : यह आहारनाल की अग्र द्वार है जो कि दो ओष्ठों द्वारा रक्षित होता है। मुख , मुख गुहा में खुलता है। मुख गुहिका की लाइनिंग उत्पत्ति में एक्टोडर्मल होती है। (जबकि gut उत्पत्ति में एण्डोडर्मल होती है। )
(a) वेस्टीब्यूल और तालू : वेस्टीब्यूल मसुडो और ओष्ठो के बीच की जगह है और तालू मुख गुहा की छत है। तालु दो प्रकार के होते है –
- कठोर तालू
- कोमल तालू
कठोर तालू भोजन को पकड़ने के लिए तालू वलियों द्वारा सपोर्टेड होते है और पश्च कोमल तालू में पेशीय हैंगिंग (लटकी हुई) पाई जाती है। जिसे तालू गैढीका या कौवा कहते है। जो कि निगलने के दौरान अंत नासा छिद्रों को ढक देती है।
(b) जीभ : यह पेशीय संरचना है। मुखगुहा में उपस्थित होती है। एक झिल्ली द्वारा मुख गुहा की फर्श से जुडी होती है जिसे Frenulum lingua कहते है। यह कंकालीय पेशियों से बनी होती है।
(c) अंकुर :
(i) फिलिफार्म या सुत्राकार अंकुर : नालवत , धागेनुमा छोटे , संख्या में अधिक होते है। स्वाद कलिकाएँ अनुपस्थित होती है।
(ii) कवक रूपी या क्षत्राकार या फंजीफ़ार्म : ये जिव्हा के शिखर और पाशर्व किनारों पर पाए जाते है। इसमें नमकीन और खट्टे स्वाद के लिए स्वाद कलिकाएँ होती है। मशरूम जैसी संरचना होती है।
(iii) परिवेशित या सरकमवेलेट अंकुर : आकार में सबसे बड़े उल्टे V आकार के , आधार में उपस्थित और संख्या में कम होते है। कडवे स्वाद के लिए कलिकाएँ उपस्थित होती है। (Chillies में कोई स्वाद नहीं होता – ये जलन उत्पन्न करती है।)
(d) लार ग्रंथियां : लार मुखगुहा को नम बनाये रखती है। मानव में निम्नलिखित लार ग्रंथियाँ पायी जाती है।
(i) सबलिंग्यूअल : यह सबसे छोटी लार ग्रंथि होती है। जीभ के निचे उपस्थित होती है और bartholin’s duct द्वारा मुख गुहा में खुलती है।
(ii) पैरोटिड : यह सबसे बड़ी लार ग्रंथि होती है। ये पिन्ना के पास गालो में उपस्थित होती है। इसकी नलिका को stensen’s duct कहते है जो कि वेस्टिब्यूल में खुलती है। इसमें संक्रमण और सुजन से मम्पस हो जाते है जो कि वायरल बीमारी है।
(iii) सब मैक्सीलरी ग्रंथि : यह सबमेन्डिब्युलर के नाम से भी जानी जाती है तथा निचले जबड़े के पश्च सिरे की ओर उपस्थित होती है। यह मिश्रित ग्रंथि है , यह सीरम , म्यूकस और सिरोम्यूकस एसिनाई युक्त होती है। इसकी नलिका व्हार्टन नलिका है। लार में एमाइलेज होता है जो 6.7 से 7.2 pH पर कार्य करता है और स्टार्च को माल्टेज में परिवर्तित कर देता है। यह लारीय स्त्रावण का मुख्य भाग बनाती है।
(iv) infraorbital (इन्फ्रा ऑर्बिटल) : मानव में अनुपस्थित होती है। यह आँखों के नीचे उपस्थित होती है। उदाहरण : खरगोश।
(e) दांत : दांत निर्माण करने वाली कोशिकाएं odontoblasts है। दांत उत्पत्ति में एक्टो-मीजोडर्मल होते है। इनेमल दांत का सफ़ेद पदार्थ और यह शरीर का कठोरतम पदार्थ होता है। यह दांतों का आवरण बनाता है।
डेंटिन दांत का मुख्य भाग है। डेंटिन दांत का आइवरी है। दांत की गुहिका पल्प गुहा कहलाती है जिसके द्वारा दांत की पोषण आपूर्ति होती है। दन्त गुहिका में तंत्रिका , शिरा और धमनिका पायी जाती है। इनेमल एमीलोब्लास्ट कोशिकाओ से व्युत्पन्न होता है। (उत्पत्ति – एक्टोडर्मल) जबकि ओडोन्टोब्लास्ट कोशिकाओ द्वारा डेंटिन स्त्रावित होता है। (उत्पत्ति मीजोडर्मल) इनेमल हाइड्रोक्सीएपेटाइट का शुद्ध रूप है।
दाँतो के प्रकार
Tonsils (टॉन्सिल्स)
- नासाग्रसनी / ग्रसनी टॉन्सिल
- पेलेटाइन / फोसियल टोंसिल
- लिंग्वल टॉन्सिल
- ट्यूबल टॉन्सिल
ग्रसनी के लसीका उत्तक और मुख गुहा एक वलय जैसे क्रम में व्यवस्थित होते है। जिसके संगठित रूप को “Waldeyer’s ring” कहा जाता है।