mollusca benefits and disadvantages in hindi मोलस्का के हानि लाभ क्या है | मोलस्का के मुख्य लक्षण क्या हैं ?
मोलस्कों से हानि-लाभ
उपयोगी मोलस्क कुछ मोलस्क मनुष्य के लिए बहुत ही लाभदायी हैं। मोतिया शिपलों और विविध समुद्री मोलस्कों के मोटे कवचों को कारखानों में काट-छांटकर गोल आकार दिया जाता है , उनमें छेद बनाये जाते हैं और उनपर पालिश चढ़ायी जाती है जिससे सीप के बढ़िया मोतिया बटन बनते हैं।
यदि कवत्र वैल्व और आंचल के बीच कोई बालू का या अन्य प्रकार का कण घुस जाये तो उसपर धीरे धीरे सीप का प्रावरण चढ़ता है और फिर वह मोती का रूप धारण कर लेता है। विशेपकर बड़े और आबदार मोती हिन्द और प्रशान्त महासागरों के उष्णकटिबंधीय तटों के पास समुद्री सीपों में पाये जाते हैं । आयस्टर सी कोंब (समुद्री कंघी ), कटल-मछली और आक्टोपस इत्यादि जैसे कई मोलस्कों का उपयोग मनुष्य द्वारा भोजन के रूप में किया जाता है। नरम कवचों वाले युवा बाइवैल्व मोलस्कों और पानी के कई कुंडलाकार कवचों वाले मोलस्कों को मछलियां और जलपंछी बहुत बड़ी मात्राओं में चट कर जाते हैं ।
हानिकर मोलस्क
कुछ दूसरे प्रकार के मोलस्क मनुष्य के लिए प्राणघातक सिद्ध होते हैं। उदाहरणार्थ, बड़े बड़े आक्टोपस (आकृति २८) कभी कभी गोताखोरों और मोती निकालने वालों पर धावा बोल देते हैं। वे अनगिनत चूषकों वाली अपनी पेटियों जैसी स्पर्शिकाओं को मनुष्य के शरीर के चारों ओर लपेट देते हैं और फिर उसे नीचे खींच ले जाकर डुबो देते हैं। मोती निकालनेवाले गोताखोरों का बहुत खतरनाक दुश्मन ट्राइडेक्ना हैं जो एक भीमाकार बाइवैल्ब समुद्री मोलस्क है (आकृति २६)। इसके कवच डेढ़ मीटर तक लंबे हो सकते हैं और ऐसे मोलस्क का वजन ५०० किलोग्राम तक। जब किसी असावधान गोताखोर की टांग या हाथ ट्राइडेक्ना के कवच के वैल्वों के बीच पकड़ जाता है तो वह मनुष्य जैसे ‘मौत के शिकंजे‘ में ही फंस जाता है। गोताखोर इस जंतु को ऐसा ही कहते भी हैं। यह भीमाकार मोलस्क वैल्वों को ऐसे जोर से बंद कर लेता है कि मनुष्य की हड्डियां चकनाचूर हो जाती हैं।
पोत-कृमि (प्राकृति ३० ) नामक समुद्री मोलस्क एक खतरनाक लकड़ीखोर है। उसके शरीर का आकार कृमि जैसा होता है और लंबाई कवच के बीस गुना के बराबर। छोटा-सा बाइवैल्व कवच उसके लिए बरमे का काम देता है।
पोत-कृमि दक्षिणी सागरों पर चलनेवाले जहाजों के काठ से बने हिस्से बड़ी शीघ्रता से नष्ट कर देते हैं और एक-दो वर्ष की अवधि में मोटे से मोटे लट्ठों को लुगदी बना देते हैं।
मोलस्कों में कुछ भयानक कृषि-नाशक जंतु भी शामिल हैं। इनमें से उद्यानकीट का फैलाव बहुत ज्यादा है (आकृति ३१)।
अंगूरी घोंघे की तरह उद्यान-कीट के भी मुलायम शरीर, स्पर्शिकाओं सहित सिर और एक चैड़ाश्, सपाट पाद होता है। उद्यान-कीट की पीठ की ओर एक कूबड़ होता है। यह कूबड़ कवच और आंचल-गुहा के शेषांश धारण करता है । प्रांचल-गुहा में एक गोल श्वसन-द्वार खुलता है। परिवर्दि्धत कवच के अभाव में उद्यान-कीट केवल नम स्थानों में ही जी सकता है। उद्यान-कीट भारी संख्या में तभी दिखाई देते हैं जब शरद और ग्रीष्म गरम और नम हो । उद्यान-कीट अधिकतर रात ही में दिखाई पड़ते हैं। दिन में वे आश्रय स्थानों में रहते हैं और झुटपुटे में भोजन ढूंढने के लिए बाहर निकलते हैं।
इसके अंडे नन्हे नन्हे पारदर्शी दानों जैसे होते हैं और मछली के अंड-समूहसे लगते हैं। उद्यान-कीट नम जगहों में और किसी चीज के नीचे सहारा लेकर अंडे देता है, जैसे किसी गड्ढे पर पड़े हुए तख्ते के नीचे , गोभी की क्यारी में फटकर गिरे हुए गोभी के पत्तों के नीचे या ऐसे ही दूसरे स्थानों में।
उद्यान-कीट विरोधी उपाय उद्यान-कीट शीतकालीन युवा फसलों को और साग-सब्जियों को भारी नुकसान पहुंचा सकते हैं। गरम और नम शरदवाले वर्षों में ये विशेष नुकसानदेह सिद्ध होते हैं।
उद्यान-कीटों के आश्रय-स्थानों पर सुपरफास्फेट के बारीक पाउडर का छिड़काव करके उन्हें नष्ट किया जा सकता है। यह पाउडर उद्यान-कीट की त्वचा पर गिरकर उसे विषाक्त कर देता है और साथ साथ जमीन को उपजाऊ बनाता है।
पल्वराइजर (आकृति ३२ ) से सुपरफास्फेट तथा अन्य विषैले पाउडर छिड़के जाते हैं।
यदि पल्वराइजर उपलब्ध न हो तो विषैला पाउडर एक जालीदार थैली में डाल दो, थैली एक लंबी लाठी के सिरे में बांध दो और उसे उद्यानकीट-ग्रस्त पौधों पर झटकते जानो।
मोलस्क समूह
शिपला, अंगूरी घोंघा, उद्यान-कीट तथा उपर्युक्त समुद्री मोलस्क, मोलस्क समूह के कीट हैं। इन प्राणियों की एक दूसरे से तुलना करने पर हम देख सकते हैं कि इनमें से हर प्राणी के मुलायम शरीर और एक पूरा या अधूरा कवच होता है। आंचल और पाद मोलस्क की विशेष इंद्रियां हैं।
मोलस्क जमीन पर रहते हैं और पानी में भी। विशेषकर समुद्र में इनकी बहुतायत होती है।
कृमियों की अपेक्षा मोलस्कों की संरचना कहीं अधिक जटिल होती है और धरती पर इनका जन्म कृमियों के बाद हुआ है।
प्रश्न – १ . मोती क्या होते हैं और वे कैसे प्राप्त किये जाते हैं ? २. पोत-कृमि क्या नुकसान पहुंचाता है? ३. उद्यान-कीट और अंगूरी घोंघे में क्या अंतर है ? ४. उद्यान-कीटों के खिलाफ क्या कार्रवाइयां की जाती हैं रू ५. मोलस्क समूह के प्राणियों की क्या विशेषताएं हैं ?
व्यावहारिक अभ्यास – १. शरद ऋतु में अपने स्कूली या घरेलू बगीचे में या जंगल की खुमियों पर उद्यान-कीट ढूंढ लो। एक छड़ी से उद्यान-कीट का स्पर्श करो और उसकी सुरक्षात्मक प्रतिवर्ती क्रिया का निरीक्षण करो। उद्यान-कीट को चलते और भोजन करते समय देखो। उसे देखकर उसका चित्र बनायो। २. जमीन पर पड़े तन्नों या गोभी के पत्तों के नीचे उद्यान-कीट के अंडे ढूंढ निकालो और उनकी जांच करो। ३. यदि स्कूली बगीचे में उद्यानकीट नजर आयें तो उनके आश्रय-स्थानों पर सुपरफास्फेट , आयरन सल्फेट, राख या अनबुझे चूने का पाउडर छिड़क दो। अपने अध्यापक के नेतृत्व में यह काम करो।