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द्रव्य तरंगे अथवा दे ब्रोग्ली तरंग , गुण , द्रव्य तरंगों की तरंग दैर्ध्य (theory of matter waves de broglie in hindi)

By   November 20, 2018

(theory of matter waves de broglie in hindi) द्रव्य तरंगे अथवा दे ब्रोग्ली तरंग , गुण , द्रव्य तरंगों की तरंग दैर्ध्य : सन 1925 में फ़्रांस के वैज्ञानिक लेविस डी ब्रोग्ली ने द्रव्य के द्वेती प्रकृति के बारे में बताया था , उन्होंने बताया कि जिस प्रकार विकिरणों की द्वैत प्रकृति होती है ठीक उसी प्रकार द्रव्य की भी द्वेत प्रकृति होती है।

उन्होंने द्रव्य की द्वैत प्रकृति को निम्न परीक्षणों के आधार पर दिया –

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पूरा ब्रह्मांड द्रव्य (matter) का तथा विद्युत चुम्बकीय तरंगों का बना होता है और इसी रूप में पूरे ब्रह्माण्ड की ऊर्जा विद्यमान रहती है अत: स्वभाविक है कि द्रव्य तथा विद्युत चुम्बकीय तरंगों को आपस में एक दुसरे रूप में बदला जा सकता है।

डी ब्रोग्ली के द्रव्य के द्वेत स्वभाव के सिद्धांत में उन्होंने यह बताया कि जब कोई द्रव्य गति करता है तो गति करते हुए द्रव्य तरंग की तरह व्यवहार करता है तथा चूँकि यह द्रव्य गतिशील अवस्था में तरंग की तरह व्यवहार करता है अत: इस स्थिति में द्रव्य व्यतिकरण , विवर्तन आदि घटना भी प्रदर्शित करता है।

जब द्रव्य स्थिर अवस्था या विराम अवस्था में रहता है तो यह कण की तरह व्यवहार करता है।

इस प्रकार द्रव्य द्वेत प्रकृति प्रदर्शित करता है , गतिशील अवस्था में द्रव्य को दे ब्रोग्ली तरंग या द्रव्य तरंगे कहा जाता है।

डी ब्रोग्ली तरंगों की तरंग दैर्ध्य

माना किसी फोटोन की ऊर्जा निम्न है –

E=hυ=hc/λ            – – (1)

यहाँ h = प्लांक नियतांक = 6.626 070 150 x 10-34 J⋅s

c =  प्रकाश का वेग , v = फोटोन की आवृत्ति , λ = फोटोन की तरंग दैर्ध्य

फोटोन की स्थिर अवस्था या विराम अवस्था में द्रव्यमान शून्य होता है लेकिन गतिशील अवस्था में आइन्स्टाइन के आपेक्षिकता सिद्धांत द्वारा ऊर्जा का मान निम्न होगा –

E=mc2 – – (2)

समीकरण 1 और समीकरण 2 को हल करने पर फोतों का संवेग

P=mc=hc/cλ=h/λ    – – (3)

या डी-ब्रोगली तरंगों की तरंग दैर्ध्य निम्न होगी –

λ = h/p 

ध्यान दे कि फोटोन को हमने माना है लेकिन हम यहाँ फोटोन के स्थान पर पदार्थ का कण मान रहे है जिसका द्रव्यमान m है और p संवेग है उस स्थिति में इस कण का λ निम्न होगा .

द्रव्य तरंगों के गुण 

द्रव्य तरंग निम्न गुण प्रदर्शित करती है –

  • सूत्र से देख सकते है कि जिन कणों का भार अधिक होता है उनकी डी ब्रोग्ली तरंग दैर्ध्य छोटी होती है।
  • जो कण जितने अधिक वेग से गति करता है उसकी तरंग दैर्ध्य उतनी ही अधिक छोटी होती है।
  • जब कोई कण स्थिर अवस्था में होता है तो उससे सम्बद्ध तरंग दैर्ध्य शून्य होती है अत: जब कण गतिशील हो उससे सम्बद्ध तरंग दैर्ध्य तभी परिभाषित है।