Madras Agricultural Pests and Diseases Act in hindi मद्रास कृषि पीड़क एवं रोग अधिनियम कब पारित किया गया था ?
पहले से ही स्थापित पीड़कों का फैलाव रोकने का विधान
भारत सरकार के विनाशकारी कीट एवं पीड़क अधिनियम ने देश के राज्यों को यह अधिकार दे रखा था कि वे अपने क्षेत्र में खतरनाक कीट पीड़कों के फैलने को रोकने हेतु आवश्यक नियम बना सकते हैं। मद्रास कृषि पीड़क एवं रोग अधिनियम 1919 में पारित हुआ था ताकि किसी पीड़क, रोग अथवा खरपतवार को राज्य के एक भाग से दूसरे भाग में फैलने को रोका जा सके और उत्पादकों के ऊपर ही जिम्मेदारी डाली गयी थी कि उन्हें ही निर्धारित उपचार कदम उठाने होंगे। इस अधिनियम के अंतर्गत राज्य सरकार को यह अधिकार होगा कि वह किसी कीट को पीड़क घोषित करें ताकि अधिनियम के अंतर्गत प्रावधानों को कड़ाई से लागू कराया जा सके। उन्हें यह भी घोषित करना होता है कि कौन-कौन से क्षेत्र प्रभावित हैं, क्या-क्या उपचार उपाय किए जाने हैं, अधिनियम के अंतर्गत कौन से सरकारी कर्मचारी निरीक्षण अफसर होंगे, और वह कालावधि भी जिनके लिए यह अधिसूचना लागू रहेगी। यदि कोई कृषक अथवा भवन-वासी अधिनियम में अपेक्षित नियंत्रण उपाय नहीं अपनाता तो निरीक्षक अधिकारी स्वयं इन उपायों को करेंगे और उसमें खर्च हुए धन की भूमि राजस्व के साथ-साथ वसूली की जाएगी, तथा इसके अलावा कृषक पर मुकदमा भी चलाया जाएगा।
जब सिट्रस पौधों के पीड़क ष्कॉटनी कुशल स्केलष् आइसीरिया पर्चेजाई का आक्रमण नीलगिरी पर्वतों एवं कोडाइकनाल की सीमाओं के भीतर पाया गया तो उसके आगे फैलने को रोकने के कदम उठाए गए। तब किसी भी ऐसे पौधे को, जिसे इसके विकल्पी परपोषियों की सूची में शामिल किया गया था बिना जांच और धूमन किए अधिसूचित क्षेत्र में ले जाया जाना कतई मना था।
बोध प्रश्न 5
सन् 1919 में मद्रास कृषि पीड़क एवं रोग अधिनियम किसलिए पारित किया गया था?
स्थापित पीड़कों के नियंत्रण के अधिसूचित अभियानों का विधान
बीते काल में राज्य पीड़क अधिनियम को निम्नलिखित पांच पीड़कों के लिए लागू किया गया था रू .
ं) काले सिर वाले केटरपिलर (इल्ली), ओपिसाइना ऐरेनोसेला का एक बहुत बड़ा प्रकोप तब के मद्रास राज्य में दक्षिण कन्नड़ में
मंगलोर के 8km दायरे में रिपोर्ट किया गया। परंतु बताए गए उपचार कृषकों को ठीक नहीं लगे। तब 1 जनवरी 1923 को उस संग्रसित क्षेत्र में एक अधिनियम जारी किया गया और 1927 में उसे समूचे पश्चिमी घाट पर लागू किया कि उत्पादकों की तमाम प्रभावित पत्तियों को हटाकर उन्हें जला दिया जाना होगा। बाद में इस अधिनियम को आंध्र प्रदेश के गुंटूर तथा कृष्णा जिलों में भी जारी किया। मगर बाद में जब पता लगा कि पीड़क को जैविक नियंत्रण उपायों द्वारा प्रभावशाली रूप में नष्ट किया जा सकता था तब इस अधिनियम को वापस ले लिया गया।
इ) रुंएदार कुशल शल्क कीट आइसीरिया पर्चेजाई (Icerya purchai) का सन् 1928 में नीलगिरी पर्वतों पर लगभग 120 एकड़
क्षेत्र में आक्रमण देखा गया। ऐसा खतरा समझा गया कि यह इलाका इस पीड़क के लिए एक प्रजनन क्षेत्र का कार्य कर सकता है, सन् 1929 के आरम्भ में एक पीड़क अधिनियम जारी किया गया। उसी वर्ष के अंत तक काक्सीनेलिड परभक्षी रोडोलिया कार्डिनेलिस (Rodolia cardinalis) को वहां बसा कर पीड़क का नियंत्रण कर लिया गया और इसलिए अधिनियम हटा दिया गया।
ब) कॉफी की बेरी का छेदक हाइपोथेनेमस हैम्पियाई (Hypothenemus hampei) कॉफी का एक बहुत गंभीर पीड़क है। सन्
1927 में अफ्रीका से दक्षिण भारत में आयातित काफी-बीजों के प्रेषित माल की दो खेमों में इस पीड़क को पाया गया। ऐसा खतरा था. कि यह पीड़क संभवतरू पहले ही हमारे यहां आ चुका होगा इसलिए दक्षिण भारत के सभी कॉफी उगाने वाले क्षेत्रों में इसकी व्यापक खोज-पड़ताल की जाने लगी तथा भारत सरकार के पीड़क अधिनियम के अंतर्गत काफी के बिना-भुने बीजों के और आगे आयातित किए जाने पर प्रतिबंध लगा दिया गया। इस सबके बावजूद भारत में यह बीटल कॉफी का एक गंभीर पीड़क बन चुका है।
क) गन्ने के शीर्ष बेधक सोफैगा एक्सप्टेलिस (Scirpophaga excerptalis) के नियंत्रण हेतु 1958 में राज्य सरकार ने
तिरुचिरापल्ली जिले के कुछ भागों में तथा सालेम एवं कोएम्बटूर जिले के कुछ भागों में यह पीड़क अधिनियम लागू किया। इसके अनुसार गन्ने के उन तमाम प्ररोहों को, जिन पर शीर्ष बेधक लगा हुआ था को तोड़कर नष्ट कर देना था।
म) मवेशी मक्खी स्टोमोक्सिस कैल्सिट्रेन्स (Stomoxys calcitrans) का सन् 1943 में सिद्धाउत क्षेत्र (जो इस समय आंध्र प्रदेश में
है) के भीतर बहुत बड़ा प्रकोप फैला था। इसे मूंगफली की खली में प्रजनन करते पाया गया जिसे तरबूज के खेतों में खाद के रूप में लगाया जाता था। लोगों को सलाह दी गयी कि वे मूंगफली की खली के अलावा कोई भी अन्य खाद लगाएं लेकिन कृषकों में इसका कोई असर नहीं दिखायी पड़ा, तब पीड़क अधिनियम लगाया गया जिसके अनुसार खाद के रूप में इस खली को लगाना वर्जित कर दिया गया।
बोध प्रश्न 6
ऐसे पांच पीड़कों के सामान्य नाम सूचीबद्ध कीजिए जिन पर बीते जमाने में राज्य पीड़क अधिनियम लगाया गया था रू
क)
ख)
ग)
घ)
ड.)