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luteinizing hormone in hindi , ल्यूटिनाइजिंग हार्मोन के कार्य क्या है , interstitial cell stimulating hormone
पढ़िए luteinizing hormone in hindi , ल्यूटिनाइजिंग हार्मोन के कार्य क्या है , interstitial cell stimulating hormone ?
ल्युटिनाइजिंग हॉरमोन अथवा अन्तराली कोशिका उद्दीपन हॉरमोन (Luteinizing hormone or interstitial cell stimulating hormone)
LH or ICSH बेसोफिल (basophils) कोशिकाओं द्वारा स्रवित यह हॉरमोन ग्लाइकोप्रोटीन प्रकृति का होता है। | जिसका अणुभार विभिन्न जंतुओं में 26,000 से 1,00,000 होता है। मादाओं में यह FSH का सहयोग कर अण्डोत्सर्ग (ovulation) कराता है एवं एस्ट्रोजन स्रवण क्रिया को प्रभावित करता हैं यह पीत पिण्ड (corpus luteum) के विकास हेतु आवश्यक होता है और एस्ट्रोजन व प्रोजेस्टिरीने हॉरमोन का स्रवण कराकर गर्भावस्था को बनाये रखता है। प्रोलैक्टिन के साथ मिलकर यह इन पर नियंत्रण भी करता है। नर जंतुओं के वृषणों में स्थित अन्तराली कोशिकाओं (interstitial cells) अथवा लैंडिंग की कोशिकाओं (Leyding’s cells) को लिंग हॉरमोन टेस्टोस्टीरॉन (testosterone) अर्थात् नर जनन हॉरमोन स्रवण हेतु उत्तेजित करता है।
हाइपोथैलमस द्वारा स्रवित ल्युटिनाइजिंग नियंत्रणकारी कारक (luteinizing hormone regulatory factor) LRF द्वारा यह संचालित होता है। LRE व FSH-LF एकसमान होते हैं।
एन्ड्रोजन व एस्ट्रोजन्स LRF के उत्पादन को संदमित करते हैं। LF व लिंग हॉरमोन्स के बीच ऋणात्मक पुनर्भरण पद्धति से परस्पर नियंत्रण रहता है। FSH व LH दोनों हॉरमोन्स का अध्ययन साथ ही किये जाता है ये एक दूसरे के सहयोगी हॉरमोन के रूप में कार्य करते हैं। इसका प्रभाव भी संयुक्त रूप से जनन अंगों पर होता है। FSH, LH एवं LTH सभी जनन क्रियाओं को प्रभावित करने वाले हॉरमोन है, अतः जनन हॉरमोन्स गोनेडोट्रोपिन्स (ogponeduceive hormones or gonadotropins) कहलाते हैं। पीयूष ग्रन्यिास ये(placenta ) व कुछ अन्य ऊत्तक भी इस प्रकार के प्रभाव उत्पन्न करने वाले हॉरमोन्स का सूक्ष्म मात्रा में स्रवण करते हैं।
मेलेनोसाइट उद्दीपक हॉरमोन (Melanocyte stimulating hormone) MSH
पीयूष ग्रन्थि के एडिनोहाइपोफाइसिस भाग़ के पार्स इन्टरमीडिया द्वारा यह हॉरमोन स्रवित किया जाता है। पॉलीपेप्टाइड प्रकृति के दो प्रकार के Q तथा BMSH 13, 18 या 22 अमीनों अम्ल से बने हॉरमोन पाये जाते हैं। MSH, ACTH दोनों में अमीनों अम्ल का अनुक्रम ( sequence) समान होता है, अत: ACTH भी MSH की भाँति मैलेनफोर को उत्तेजित करता है। इस हॉरमोन के प्रभाव म मेंढक में मेलेनोफोर वर्णक का वर्णक कोशिकाओं में वितरण प्रभावित होता है। पक्षियों व स्तनियों में इनका प्रभाव मैलनिन के संश्लेषण एवं अधचर्म में स्थानान्तरण पर होता है। अन्य जन्तुओं में वर्णकों (chromatophores) के वितरण द्वारा रंग परिवर्तन का क्रिया भी इनके द्वारा प्रभावित होती है। यह हॉरमोन इन्टरमिडिन (intermedin) के नाम से भी जाना जाता है।
इस हॉरमोन का संचालन हाइपोथैलेमस द्वारा स्रावित पेप्टाइड मेलेनोर्फासे नियंत्रणकारी कारक (melanophores regulatory factors) MRS द्वारा किया जाता है। ये कारक मेलेनोफोर उत्तेजक हॉरमोन मोचक कारक (melanophore stimulating hormone releasing factor) MSH-RF वं मेलोनोफोर उत्तेजक संदमनकारी कारक (melanophore stimpulating inhibitory factor) MSH-IF कहलाते हैं।
न्यूरोहाइपोफाइसिस द्वारा स्रवित हॉरमोन (Hormones secreted by neurohyophysis)
न्यूरोहाइपोफाइसिस द्वारा स्रवित हॉरमोन ऑक्सीटोसिन एवं वैसोप्रैसिन हाइपोथैलेमस के सुप्राऑप्टिक तथा पेरीवेन्ट्रिकुलर नाभिकों द्वारा उत्पन्न किये जाते हैं जो तंत्रिका तंतुओं द्वारा वहन कर न्यूरोहाइपोफाइसिस तक पाये जाते हैं। वैसोप्रैसिन लगातार स्रवित होता है, रक्त के परासरण दाब से इस हॉरमोन के मोचन में कमी व वृद्धि पर प्रभाव पड़ता है, अतः अनुमान है कि परासरण दाब के ग्राही (receptors) सुप्राऑप्टिक नाभिकी कोशिकाएँ होती है। मानसिक दाब, रक्त के आयतन में वृद्धि तथा ठण्ड के प्रकार इसके स्रवण में कमी होती है। स्तन ग्रन्थियों के सक्रिय भाग होने पर स्तनाग उद्दीपन की अभिक्रिया रूप में ऑक्सीटोसिन उत्पन्न होता है। गर्भकाल में गर्भाशय में फैलाव द्वारा एवं सम्भोग के दौरान भी ऑक्सीटोसिन का उत्पादन होता है।
न्यूरोहाइफोइसिस द्वारा स्रावित दोनों हॉरमोन पॉलिपेप्टाइड है। सभी कशेरूकियों मे ऑक्सीटोसन का उत्पादन होता है, किन्तु अस्थिल मछलियों, एम्फीबिका सूरीसृपों तथा पक्षियों में वेसोटोसिन (vasotocin) उत्पन्न किया जाता है। वैसोप्रैसिन भी स्तनधारियों में लाइसिन प्रति का या अर्जिनीन प्रकृति का उत्पन्न किया जाता है ।
(1) ऑक्सीटोसिन (Oxytocin )—– यह हॉरमोन मादा में गर्भाशय पेशियों के कुंचन प नियंत्रण एवं सभी प्रकार की चिकनी पेशियों, मूत्राशय भित्ति, पित्ताशय, आन्त्र आदि पर प्रभाव रखता है। स्तनग्रन्थियों से दुग्ध निष्कासन पर भी इसका प्रभाव होता है। सम्भोग के समय इनके स्रावित होने से गर्भाशय पेशियाँ कुचन पर शुक्राणुओं को मादा की फैलोपियन नलिकाओं तक बढ़ने में मदद करती है। प्रसव के समय शिशु को गर्भाशय से बाहर निकालने में इस हॉरमोन की आवश्यकता होती है। पक्षियों में इस हॉरमोन द्वारा कवच ग्रन्थि व योनि का कुंचन होता है जो अण्डा देने हेतु आवश्यक होता है। मछलियों में जनन व्यवहार भी इसके फलस्वरूप ही उत्पन्न होता है। ऑक्सीटोसिन प्रभाव को प्रोजेस्टिरॉन के प्रभाव द्वारा रोका जाता है। मादाओं में दुग्ध स्रावण के समय स्पर्श, दृष्टि या श्रवण उद्दीपनों के फलस्वरूप प्रतिवर्ती चाप उत्पन्न होकर ऑक्सीटोसिन का स्राव कराता है जो अग्र पीयूषिका से स्रावित होने वाले LH को प्रभावित कर दुग्ध का स्रावण अधिक मात्रा में कराता है। यह हॉरमोन पिटोसिन (pitosin) भी कहलाता है।
(2 ) वैसोप्रैसिन (Vasopressin ) — वैसोप्रैसिन या प्रिट्रेसिन (pitressin) हॉरमोन एन्टीडाइयूरेटिक हॉरमोन (anti diuretic hormone) ADH भी कहलाता है। यह वृक्क कोशिकाओं एवं वाहिनियों में जल अणुओं पुनः अवशोषण द्वारा मूत्र में जल की मात्रा नियंत्रण करता है। इसकी कमी से मूत्र जल की मात्रा में वृद्धि हो जाती है। यह रोग डाइबिटीज इन्सिपिड्स (diabetes insipitus) कहलाता है। इस हॉरमोन्स की मात्रा में वृद्धि होने पर मूत्र में जल की कमी हो जाती है। यह हॉरमोन परिधीय कोशिकाओं एवं धमनियों में पेशियों का कुंचन कर इन्हें संकीर्ण बना देता दाब में वृद्धि हो जाती है। ऑक्सीटोसिन द्वारा यह प्रभाव विपरीत दिशा में होता है अर्थात् रक्त वाहिनियों में फैलाव लाकर रक्त दाब में कमी लायी जाती है।
पीयूष ग्रन्थि की अपसामान्य अवस्थाएँ (Adnormal conditions of pituitary)
- अधोपीयूषिता (Hypopituitarism ) – पीयूष ग्रन्थि के कम सक्रिय होने अथवा हॉरमोन्स का स्रवण आवश्यकता से कम मात्रा में होने पर शिशुओं में बौनापन (dwarfism) वयस्कों में TSH की कमी से मिक्सोडेमा (myxoedema) व जनन हॉरमोन्स की कमी से बॉझपन आदि हो जाता है। पीयूष ग्रन्थि को शल्य क्रिया द्वारा निकाल देने पर भी इसी प्रकार सभी हारमोन्स की मात्रा कमी होने के कारण सिमन्ड का रोग (Simmond’s disease) उत्पन्न हो जाता है।
(ii) अतिपीयूषिता (Hyperpituitarism )— पीयूष ग्रन्थि के अधिक सक्रिय होने पर आवश्यकता से अधिक मात्रा में हॉरमोन्स स्रवित किये जाते हैं, इस कारण जाइजेन्टिज्म (gigantism) रोग TSH की अधिकता के कारण, एक्रोमेगली (acromegaly) GH की अधिकता के कारण एव ACTH की अधिकता के कारण कुशिंग का रोग (Cushing’s disease) हो जाता है।
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