(law of conservation of linear momentum in hindi) रेखीय संवेग संरक्षण का नियम (निकाय का) , रेखीय संवेग की परिभाषा क्या है ? किसे कहते है ? सूत्र , विमीय सूत्र , मात्रक , प्रकार आदि |
रेखीय संवेग : किसी भी क्षण किसी कण का रेखीय संवेग का मान उस कण के द्रव्यमान और उस क्षण पर उसके वेग के गुणनफल के बराबर होता है और रेखीय संवेग को p द्वारा व्यक्त किया जाता है।
यहाँ p = कण का रेखीय संवेग
m = कण का द्रव्यमान
v = कण का वेग
रेखीय संवेग एक सदिश राशि होती है।
किसी निकाय का रेखीय संवेग का मान उस निकाय के सभी कणों के रेखीय संवेगों के सदिश योग के बराबर होता है।
रेखीय संवेग संरक्षण का नियम
यदि वस्तु का द्रव्यमान m एवं वेग v हो तब कण का संवेग p = mv
यह एक सदिश राशि है जिसकी दिशा , वेग की दिशा में होती है। इसका SI मात्रक “किग्रा-मीटर/सेकंड” है।
विशेष स्थितियां :-
- यदि दो विभिन्न द्रव्यमानों वाली वस्तुओं के संवेग समान है तब हल्की वस्तु का वेग अधिक होगा।
p = m1v1 = m2v2 = नियतांक
v1/v2 = m2/m1
- दी गयी वस्तु के लिए p समानुपाती v होता है।
- समान वेग से गतिशील विभिन्न वस्तुओं के लिए p समानुपाती m होता है।
रेखीय संवेग संरक्षण का नियम (Law of conservation of linear momentum)
यदि किसी निकाय पर कार्यरत बाह्य बल शून्य हो तब उस निकाय का सम्पूर्ण रेखीय संवेग समय के साथ नियत रहता है।
F = dp/dt = 0 तब dp = 0
p = नियतांक
या
p = p1 + p2 + p3 + . . . . = नियतांक
अत: बाह्य बल की अनुपस्थिति में किसी विलगित निकाय के विभिन्न कणों का रेखीय संवेग तो परिवर्तन हो सकता है लेकिन उनका सदिश योग समय के साथ अपरिवर्तित रहता है।
रेखीय संवेग संरक्षण के नियम के कुछ व्यावहारिक उदाहरण :-
- जब कोई व्यक्ति नाव से किनारे पर कूदता है तो नाव किनारे से पीछे की ओर हटती है।
- कोई व्यक्ति घर्षणरहित सतह पर अपने मुंह से वायु बाहर निकालकर या अपनी गति की दिशा के विपरीत दिशा में कोई वस्तु फेंककर वांछित दिशा में गति कर सकता है।
- जब बंदूक से गोली चलती है तब गोली आगे की ओर गति करती है जबकि बंदूक पीछे की ओर गति करती है। गोली बंदूक निकाय का गोली चलने से पूर्व संवेग शून्य था। गोली चलने के बाद गोली का संवेग बन्दुक के संवेग के बराबर परन्तु विपरीत दिशा में होता है , जिस कारण गोली-बंदूक निकाय का संवेग अब भी शून्य बना रहता है।
- रॉकेट नोदन : राकेट का प्रारंभिक संवेग इसके प्रक्षेपण तल पर शून्य है। जब राकेट को इसके प्रक्षेपण तल से प्रक्षेपित किया जाता है , तब दहन कक्ष में इंधन के जलने से उत्पन्न गैसे तेजी से नीचे की ओर बाहर निकलती है अत: संवेग संरक्षण के नियम से , राकेट ऊपर की ओर गति करता है। माना
माना m0 = राकेट का प्रारंभिक द्रव्यमान
m = किसी क्षण t पर राकेट का तात्क्षणिक द्रव्यमान
mr = राकेट के दहन कक्ष का अवशिष्ट द्रव्यमान
u = बाहर निकलने वाली गैसों का वेग
v = किसी क्षण t पर राकेट का तात्क्षणिक वेग
dm/dt = राकेट के द्रव्यमान में परिवर्तन की दर = इंधन के दहन की दर = इंधन के समाप्त होने की दर
राकेट का प्रणोद = F = -udm/dt – mg
यदि गुरुत्व के प्रभाव को नगण्य मान जाए तब –
F = -udm/dt
यहाँ ऋण चिन्ह प्रणोद की दिशा को अभिव्यक्त करता है जो कि निकलने वाली गैसों की दिशा के विपरीत होती है।