laser printer and inkjet printer difference in hindi इंकजेट प्रिंटर और लेजर प्रिंटर अंतर किसे कहते हैं , परिभाषा उदाहरण ?
प्रिन्टरों के प्रकार (TYPES OF PRINTERS)
- डॉट मैट्रिक्स प्रिन्टर (Dot Matrix Printer-DMP)
यह एक इम्पैक्ट प्रिन्टर है। इस प्रिन्टर के प्रिन्ट हैड (Print Head) में अनेक पिनों (Pins) का एक मैट्रिक्स (Matrix) होता है और प्रत्येक पिन के रिबन (Ribbon) और कागज पर स्पर्श से एक डॉट (Dot) छपता है। अनेक डॉट मिलकर करेक्टर बनाते हैं। प्रिन्ट हैड में 7, 9, 14, 18 या 24 पिनों का ऊर्ध्वाधर समूह होता है। एक बार में एक कॉलम की पिने प्रिन्ट हैड से बाहर निकलकर डॉटसं (Dots) छापती है, जिससे एक करैक्टर अनेक चरणों (Steps) में बनता है और लाइन की दिशा में प्रिन्ट हैड आगे बढ़ता जाता है। प्रिन्ट हैड की पिनें कम्प्यूटर के सी. पी. यू. (CPU) द्वारा भेजे संकेतों के आधार पर उपयुक्त स्थान पर डॉट बनाती चली जाती हैं। डॉट मैट्रिक्स प्रिन्टर की प्रिन्टिंग गति 30 से 600 करैक्टर प्रति सेकण्ड (CPS-Character Per Second) होती है। कई डॉट मैट्रिक्स प्रिन्टर लाइनों को दाईं से बाईं ओर तथा बाईं से दाईं ओर, दोनों दिशाओं में प्रिन्ट । करने की क्षमता रखते हैं। जब प्रिन्ट हैड बाएं से दाएं गति करते हुए एक लाइन प्रिन्ट कर लेता है तो अगली लाइन दाएं से बाएं गति करते हुए प्रिन्ट करता है। डॉट मैट्रिक्स प्रिन्टर में पूर्व निर्मित मुद्रा अक्षर (Font) नहीं होते हैं इसलिए ये विभिन्न आकार, प्रकार और भाषा के करैक्टर, ग्राफिक्स, आदि छाप सकता है। डॉट मैट्रिक्स प्रिन्टर के आउटपुट की स्पष्टता ठोस मुद्रा अक्षर (Solid Font) डिवाइसेज की तुलना में कम होती है। यह प्रिन्टर आउटपुट को दो प्रकार की गुणवत्ताओं (Qualities) में छाप सकता है :
- ड्रॉफ्ट क्वालिटी प्रिन्टिंग (Draft Quality Printing)—इसमें निम्नकोटि की सामान्य छपाई होती है :
- नियर-लैटर-क्वालिटी प्रिन्टिंग (Near-Letter Quality Printing)-इस प्रिन्टिंग में प्रत्येक करेक्टर दो बार में ऑवर स्ट्राइक (Overstrike) से छपता है। इस अवस्था में छपाई की गति धीमी होती है।
- डेजी व्हील प्रिन्टर (Daisy Wheel Printer)
यह ठोस मुद्रा-अक्षर (Solid Font) वाला इम्पैक्ट प्रिन्टर है। इसका नाम डेजी व्हील (Daisy Wheel) इसलिए दिया गया है कि इसके प्रिन्ट हैड की आकृति एक पुष्प डेजी (Daisy-गुलबहार) से मिलती है। डेजी ह्वील प्रिन्टर धीमी गति का प्रिन्टर है, लेकिन इसके आउटपुट की स्पष्टता उच्च होती है। इसलिए इसका उपयोग पत्र (letter), आदि छापने में होता है और यह लैटर-क्वालिटी प्रिन्टर (Letter Quality Printer) कहलाता है। इसके प्रिन्ट हैड में एक चक्र या ह्वील (Wheel) होता है जिसकी प्रत्येक तान (Spoke) में एक करैक्टर का ठोस फोन्ट उभरा रहता है। हील, कागज की क्षैतिज दिशा में गति करता है और छपने योग्य करैक्टर का स्पोक (Spoke), ह्वील के घूमने से प्रिन्ट पोजीशन पर आता है। एक छोटा हैमर (Hammer) स्पोक कागज और रिबन (Ribbon) पर टकराता है जिससे अक्षर कागज पर छप जाता है। डेजी हील के छापने की गति 90 CPS (Character Per Second) होती है।
(c) इंक-जैट प्रिन्टर (Ink-Jet Printers)
इंक-जैट प्रिन्टर एक नॉन-इम्पैक्ट प्रिन्टर है जिसमें एक नोजल (Nozzle) से कागज पर स्याही की संदों की बौछार (Spray) करके करैक्टर और आकृतियां छापी जाती हैं। प्रिन्ट हैड के नोजल में स्याही की को आवेशित (Charged) करके कागज पर उचित दिशा में छोड़ा जाता है। इस प्रिन्टर का आउटपुट होता है, क्योंकि प्रत्येक करैक्टर दर्जनों डॉटस से मिलकर बना होता है। _दंक-जैट प्रिन्टर में उच्च आवृति वाले विद्युत् जनरेटर से पीजोइलेक्टिक क्रिस्टल को कम्पित करके की छोटी बंदों की बौछार का ज से निकाली जाती है। ये बूंदें (Droplets) विद्यत इलेक्ट्रोड से निर्देशित होकर कागज पर इच्छित करैक्टर छापती हैं। बैट प्रिन्टर के कई मॉडल रंगीन आउटपुट भी देते हैं. इनमें रंगीन कार्टेज (Colour Cartridge) लगे रहते हैं। समिट में एक मुख्य समस्या है प्रिन्ट हैड में इंक क्लोगिंग (Ink Clogging) का हो जाना. अर्थात के नोजल के मुहाने पर स्याही जमकर छिद्रों को बन्द कर देती है। इंक-जैट प्रिन्टर के आउटपुट की प्रिन्ट क्वालिटी प्रायः 300 dpi (dots per inch) होती है।
- लेसर प्रिन्टर (Laser Printer)
रपिटर नॉन इम्पैक्ट पेज प्रिन्टर है। लेसर प्रिन्टर का उपयोग कम्प्यूटर सिस्टम में 1970 के दशक हो रहा है। प्रारम्भ में ये मेनफ्रेम कम्प्यूटर में प्रयोग किए जाते थे। 1980 के दशक में लेसर प्रिन्टर का मल्य लगभग 3.000 डॉलर था और यह माइक्रोकम्प्यूटर के लिए उपलब्ध था। ये प्रिन्टर आजकल अधिक लोकप्रिय हैं. क्योंकि ये अपेक्षाकृत अधिक तेज और उच्च क्वालिटी का टैक्स्ट और ग्राफिक्स छापने में सक्षम हैं। लेसर प्रिन्टर पृष्ठ पर आकृति (Images) को जेरोग्राफी (Xerography) तकनीक से छापता है। जेरोग्राफी (Xerography) तकनीक का विकास जेरॉक्स (Xerox) मशीन (फोटोकॉपिअर मशीन) के लिए हआ था। जेरोग्राफी एक फोटोग्राफी जैसी तकनीक है, जिसमें फिल्म, एक आवेशित पदार्थ का लेपन युक्त ड्रम (Drum) होती है। यह ड्रम फोटो-संवेदित होता है इसके द्वारा कागज पर आउटपुट को छापा जाता है। इस ड्रम पर आउटपुट इस प्रकार आता है : कम्प्यूटर से प्राप्त आउटपुट, लेसर-स्रोत से लेसर किरण के रूप में उत्सर्जित होता है। यह किरण लेन्सों से एक घूमते हुए बहुभुजाकार (Polygon shaped) दर्पण पर फोकस की जाती है, जहां से परावर्तित होकर आउटपुट की यह लेसर-किरण लेन्सों द्वारा पुनः एक अन्य दर्पण (b) पर फोकस होती हुई परावर्तित होकर फोटो-संवेदित ड्रम पर गिरती है। घूमने वाला बहुभुजाकार दर्पण (a) आउटपुट की लेसर-किरण को सम्पूर्ण फोटो-संवेदित ड्रम पर छपने वाली लाइनों के रूप में डालता है। जब यह ड्रम घूमता है तो आवेशित स्थानों पर टोनर (Tonner-एक विशेष स्याही का पाउडर) चिपका लेता है। इसके बाद यह टोनर कागज पर। स्थानान्तरित हो जाता है जिससे आउटपट कागज पर छप जाता है। यह आउटपुट अस्थाया हाता है, है। लगभग 90 को स्थायी रूप से कागज पर सील (Seal) करने के लिए इसे गरम रोलर से गुजारा जाता है। लाख (9 million) डॉट प्रत्येक शीट पर 8 से 100 पष्ठ प्रति मिनट की गति से छापे जा सकते है।
‘अधिकतर लेसर प्रिन्टर्स में एक अतिरिक्त माइक्रोप्रोसेसर (Microprocessor),रैम (RAM (ROMD होते हैं। रोम (ROM) में फॉन्ट (Font) और पृष्ठ को व्यवस्थित करने के प्रोग्राम संगहीत. हैं। लेसर प्रिन्टर सर्वश्रेष्ठ आउटपुट छापता है। प्रायः यह 300 Dpi से अधिक रजोलूशन की छपाई करता ___ रंगीन लेसर प्रिन्टर उच्च क्वालिटी का रंगीन आउटपुट देता है। इनमें विशेष टोनर होता है. जिस विविध रंगों के कण उपलब्ध रहते हैं। | लेसर प्रिन्टर महंगे होते हैं, लेकिन इनकी छापने की गति उच्च होती है। प्लास्टिक की शीट या असे किसी शीट पर भी ये प्रिन्टर आउटपुट को छाप सकते हैं। इनका उपयोग छपाई की ऑफसैट मशीन मास्टर (Master) लगाने में होता है जहां आउटपुट की अधिक संख्या में प्रतिलिपियां छापी जाती हैं।