लाख किट संवर्धन (lac culture in hindi) , लाख कीट की प्रमुख विशेषताएँ  , लाख के प्रकार , सरोपण अथवा प्रतिरोपण

लाख किट संवर्धन (lac culture in hindi) : लाख के उत्पादन हेतु लाख के कीटों को पालने की क्रिया लाख संवर्धन के नाम से जानी जाती है।

सम्पूर्ण विश्व का लगभग 80% लाख भारत के द्वारा उत्पादित किया जाता है तथा भारत के द्वारा उत्पादित किये जाने वाले लाख का लगभग 90% निर्यात किया जाता है।

लाख का सवर्धन भारत के अतिरिक्त थाईलैंड , श्रीलंका , पाकिस्तान , नेपाल , बर्मा , चीन आदि में भी किया जाता है।

भारत में इसे मुख्यतः राजस्थान , आसाम , बिहार , पश्चिम बंगाल , उत्तर प्रदेश , मध्य प्रदेश , कर्नाटक , तमिलनाडु तथा उड़ीसा के विभिन्न प्रान्तों में लाख सवर्धन किया जाता है।

लाख कीट की प्रमुख विशेषताएँ

  • लाख किट के द्वारा लैंगिक द्विरूपता दर्शायी जाती है अर्थात नर तथा मादा का बाह्य स्वरूप से विभेदन किया जा सकता है।
  • नर लाख किट सामान्यत: आकार में छोटा तथा लम्बाई 1.2 से 1.5 mm पाई जाती है व रंग लाल होता है।
  • मादा लाख कीट की लम्बाई लगभग 5 mm होती है तथा इसका रंग अत्यधिक शुद्ध लाल होता है।
  • इसमें पायी जाने वाली लार्वा अवस्था को लिम्प लार्वा अवस्था के नाम से जाना जाता है।
  • लाख कीट की मादा पंख विहीन होती है तथा इस मादा के द्वारा एक समय में लगभग 200 से 500 अंडे दिए जाते है।  दिए जाने वाले अंडे मादा के द्वारा अपने चारो ओर बने रेजिन के कोष्ठ में दिए जाते है।
  • एक मादा के द्वारा अंडे स्थापित किये जाने के पश्चात् 6 हफ्तों के या 6 सप्ताह के समय बाद प्रथम लार्वा अवस्था का निर्माण होता है जिसे निम्फ (Numph) के नाम से जाना जाता है।
  • निर्मित होने वाली लार्वा अवस्था स्वयं को पोषण हेतु गुद्देदार पादपो की छोटे छोटे कोमल टहनियों पर निर्भर रखती है।
  • पर्याप्त मात्रा में पोषण प्राप्त करने के कारण लार्वा की चर्म पर पाए जाने वाले Dermal Glands या चर्म ग्रंथिया सक्रीय हो जाती है तथा लाख का स्त्रावण प्रारंभ कर देती है जो हवा के सम्पर्क में आकर सुख जाता है।
  • निर्मित होने वाली लार्वा अवस्था के 6 से 8 सप्ताह के पश्चात् लाख कीट की वयस्क अवस्था का निर्माण होता है जिसके अन्तर्गत 70% पंख विहीन मादाएँ एवं 30% पंख युक्त नर लाख कीट का निर्माण होता है।
  • एक पोषक पादप पर लाख कीट के द्वारा एक वर्ष में दो बार अपना जीवनचक्र पूर्ण किया जाता है। [अक्टूबर – नवम्बर तथा जून-जुलाई में]

लाख किट की विभिन्न पादपो पर निर्भरता

 सामान्य नाम  वानस्पतिक नाम
 कुसुम  Schleichera oleosa
 कैर  Acacia Catechu
 बैर  Zizipus Maruitiana
 बबूल  Acacia nilotica
 अंजीर  ficus
 पलाश  Butea monozperma
 शीशम  Delbergia sisso

नोट : बेर व पलास पर निर्मित होने वाली लाख कुसमीक लाख कहलाती है जो लाख का एक उत्तम प्रकार है।

लाख के प्रकार :

  1. एरी लाख (Ari Lae) : अपरिपक्व प्रकार की लाख।
  2. stick lae : टहनियों के रूप में प्राप्त लाख
  3. दाना लाख : पादप की टहनियों से छूटकर निचे गिरने वाली लाख जिसे धोकर प्राप्त किया जाता है।
  4. पाउडर या धुल लाख : दाना लाख को पीसकर प्राप्त किया जाने वाली लाख।
  5. चपड़ा लाख : दाना व धुल लाख को गर्म करके प्राप्त की जाने वाली लाख।

लाख की फसल या खेती : लाख की खेती एक जटिल प्रक्रिया है अत: लाख की खेती करने वाले कृषको को तथा लाख को एकत्रित करने की क्रिया का सम्पूर्ण ज्ञान होना चाहिए।

लाख की खेती के दौरान संपन्न होने वाले कुछ प्रमुख चरण निम्न है –

  1. सरोपण अथवा प्रतिरोपण: लाख के उत्पादन का पहला चरण लाख कीट का सरोपण है।

सरोपण वह क्रिया है जिसकी सहायता से एक नवनिर्मित लाख किट की लार्वा अवस्था स्वयं को एक पोषक पादप के कोमल भागो पर व्यवस्थित कर लेती है।

संरोपण सामान्यत: दो प्रकार का होता है –

  1. प्राकृतिक संरोपण : इस प्रकार के सरोपण के अंतर्गत लाख किट की लार्वा अवस्था स्वयं को एक गुद्देदार पोषक पादप के कोमल भागो पर पोषक पदार्थ प्राप्त करने हेतु स्थापित करती है।
  2. कृत्रिम संरोपण : इस प्रकार की सरोपण क्रिया के अन्तर्गत रेजिन कोष्ट युक्त टहनियों को काटकर पादप के कोमल भागों के साथ रस्सी की सहायता से बांध दिया जाता है तथा एक लार्वा अवस्था के ऐसे कोमल भाग पर स्थापित होने के पश्चात् उन्हें पादप के कोमल भागो से पृथक कर दिया जाता है। पादप के कोमल भागों से रेजिन के कोष्ठ युक्त टहनियों को बाँधने की क्रिया कृत्रिम रूप से संपन्न की जाती है अत: इसे कृत्रिम सरोपण के नाम से जाना जाता है।
  3. वृन्दन: लाख के निर्माण की क्रिया के अन्तर्गत इस चरण में पादपो  कोमल भागो से जुड़े लाख कीट की लार्वा अवस्था जिसे Numph के नाम से जाना जाता है , की पेशियों में संकुचन की क्रिया संपन्न होती है जिसके कारण यह कीट स्थापित होने वाले स्थान से पृथक हो जाता है तथा इस स्थान पर एक गुहा का निर्माण हो जाता है जो बाद में लार्वा अवस्था के द्वारा स्त्रावित की जाने वाली लाख से भर जाता है।
  4. फसल काटना: पोषक पादपो की टहनियों पर जमा होने वाली लाख को एकत्रित करने की क्रिया फसल काटना कहलाती है।

लाख कीट की खेती के अंतर्गत लाख के परिपक्व होने के पश्चात् ही इसे टहनियों से पृथक किया जाता है।

नोट : सम्पूर्ण वर्ष में विभिन्न मौसमो में उत्पन्न होने वाली लाख विभिन्न नामो से जानी जाती है तथा उनके परिपक्व होने की अवधि पृथक पृथक होती है जैसे लाख की एरी फसल को अप्रेल -मई में काटा जाता है।  कतकी फसल को अक्टूबर – नवम्बर में काटा जाता है।  अहगनी फसल को जनवरी – फरवरी तथा केडवी व वैशाखी फसल को जून जुलाई में काटा जाता है।

पादपों की टहनियों पर निर्मित होने वाले रेजिन कोष्ठों से लार्वा अवस्था के निर्माण के पश्चात् चाक़ू की सहायता से इन्हें खुरच लिया जाता है या पृथक कर लिया जाता है। परन्तु लाख प्राप्त करते वक्त यह ध्यान रखा जाता है कि लाख के अधिक टुकड़े न होने पाए।

नोट : टहनियों पर लाख किट के द्वारा निर्मित की जाने वाली लाख के परिपक्व होने के कुछ संकेत पाए जाते है जो निम्न प्रकार से है –

लाख के परिपक्व होने के 15 से 20 दिन पूर्व लाख में दरारे दिखाई देने लगती है।

लाख के परिपक्व होने पर मादा के शरीर से स्त्रावित पदार्थ गाढ़ा हो जाता है।

दिए गए अंडे के समूह में सभी अंडे पूर्ण रूप से पृथक हो जाते है तथा अन्डो का आकार दानादार हो जाता है।

लाख के परिपक्व होने पर उसकी बाह्य सतह पीले रंग की हो जाती है तथा सूख जाती है।

नोट : लाख प्राप्त करने के पश्चात् उसे जल की सहायता से साफ़ किया जाता है तथा इस कार्य के अन्तर्गत जल का रंग परिवर्तित हो जाता है तथा ऐसे जल को Lac due के नाम से जाना जाता है जिसे रेशो को रंगने में उपयोग किया जाता है।

लाख को धोने के पश्चात् छाया में सुखाया जाता है।

नोट : सम्पूर्ण भारत के द्वारा प्रतिवर्ष दो करोड़ किलोग्राम लाख उत्पन्न की जाती है जो आकंड़ो के अनुसार 60% से अधिक उत्पादन है।

भारत में उत्पन्न की जाने वाली लाख का लगभग 50% अकेले बिहार के छोटा नागपुर क्षेत्र के द्वारा उत्पन्न की जाती है।

भारत सरकार के द्वारा लाख के उत्पादन में वृद्धि करने हेतु भारतीय लाख संस्थान स्थापित की जो रांची के नामकुम्भ क्षेत्र में स्थित है।

लाख को मुख्य रूप से चूडिया बनाने में , बर्तनों के निर्माण में , खिलौनों , पौलिस , वार्निश तथा बिजली के सामान बनाने हेतु उपयोग किया जाता है।

भारत में महिलाओं के द्वारा लाख को महावर के रूप में उपयोग किया जाता है।

नोट : गुणवत्ता के आधार पर श्रेष्ठ लाख उष्मिक लाख मानी जाती है तथा इस प्रकार की लाख को निम्न चरणों को अपना कर प्राप्त किया जाता है –

(A) कृत्रिम सरोपण

(B) लाख को पृथक करना

(C) पुन: सरोपण

(D) सरोपण पूर्णता की व्यवस्था

(E) लाख का निर्माण

(F) फसल काटना