पत्ती का क्रेंज शरीर (kranz anatomy of leaf in hindi) पादप क्रेंज़ शरीर रचना विज्ञान पौधों का क्रेन्ज शारीरिकी

(kranz anatomy of leaf in hindi) पत्ती का क्रेंज शरीर क्या है ? पादप क्रेंज़ शरीर रचना विज्ञान पौधों का क्रेन्ज शारीरिकी किसे कहते है ?

प्रकाश संश्लेषण के सन्दर्भ में पर्ण की आन्तरिक संरचना (anatomy of leaf in relation to photosynthesis) : विभिन्न तरंग दैर्ध्य (Wavelength) वाली प्रकाश किरणें सूर्य के प्रकाश में मौजूद होती है परन्तु इनमें से केवल 400 से 700 तरंगदैर्ध्य का प्रकाश ही पौधों द्वारा प्रकाश संश्लेषण की क्रिया हेतु प्रयुक्त होता है। इस प्रकाश को प्रकाश संश्लेषणात्मक सक्रीय विकिरण (photosynthetically active radiation) कहा जाता है। पौधों में पत्तियों द्वारा सर्वाधिक मात्रा में प्रकाश का उदग्रहण किया जाता है परन्तु ऐसा जब पर्णफलक प्रकाश की किरणों के समकोण में हो तभी संभव हो पाता है। अनेक पौधों की पत्तियों की स्थिति तो प्रकाश की दिशा के अनुरूप बदलती रहती है। इसी प्रकार लेग्यूमिनोसी कुल के पौधों के पर्णाधार पर उपस्थित प्लवीनस में मौजूद कुछ मोटर कोशिकाओं की मदद से प्रकाश के अनुरूप पत्तियों की अवस्थिति भी बदल सकती है। उपर्युक्त तथ्य के आधार पर यह कहा जा सकता है कि पत्तियों द्वारा पूरे दिन की प्रकाश अवधि में प्रकाश संश्लेषण की अधिकतम दर को बनाये रखने की क्षमता होती है। इस प्रकार पर्ण की आंतरिक संरचना प्रकाश के आवश्यकतानुसार अधिकाधिक उदग्रहण और उपयोग हेतु अपनी विशिष्टता परिलक्षित करती है।

अधिचर्म : सामान्यतया पर्ण अधिचर्म की कोशिकाएँ क्लोराप्लास्ट रहित और प्रकाश के लिए पारदर्शी होती है जिसके फलस्वरूप पर्ण मध्योतक कोशिकाओं के क्लोरोप्लास्ट तक अधिकतम प्रकाश पहुँच पाता है। लेकिन जलीय पौधों (उदाहरण – पोटोमोजिटोन ) और छायाप्रिय पौधों (उदाहरण – जेफ़रसोनिया) में पर्ण अधिचर्म कोशिकाओं में क्लोराप्लास्ट उपस्थित होते है ताकि कम प्रकाश में भी प्रभावी प्रकाश संश्लेषण हो सके। ऐसे पादपों का पर्णमध्योतक अल्पविकसित होता है।
शुष्क या मरुस्थलीय क्षेत्रों में प्रकाश की तीव्रता इतनी अधिक होती है कि वह पौधों के लिए लाभदायक न होकर हानिकारक होती है। ऐसी परिस्थितियों में कुछ विशिष्ट संरचनाएँ विकसित होती है जो प्रकाश के अवशोषण में कमी करती है। ऐसी संरचनाओं में प्रमुख है , सतही रोम , लवण ग्रन्थियाँ , बहुस्तरीय अधिचर्म और क्यूटिकल आदि। इन संरचनाओं के कारण अवशोषित होने वाले प्रकाश की तीव्रता कम हो जाती है जिससे पत्ती का तापमान नियंत्रित रहता है और प्रकाश संश्लेषण दर सामान्य रहती है।
प्रकाश की तीव्रता रन्ध्रों के वितरण को भी प्रभावित करती है जो प्रकाश संश्लेषण के लिए कार्बन डाइ ऑक्साइड ग्रहण करने का कार्य करते है। प्रकाश संश्लेषण दर और रंध्र वितरण में सीधा सम्बन्ध पाया जाता है।

पर्णमध्योतक (mesophyll)

सामान्यतया तीव्र प्रकाश में उगने वाले पौधों की पत्तियाँ पृष्ठाधर होती है अर्थात इनमें पर्णमध्योतक खम्भ ऊतक और स्पंजी ऊत्तक में विभेदित होता है। स्पंजी ऊत्तक कोशिकाओं की तुलना में खम्भ ऊतक कोशिकाओं में अधिक क्लोरोप्लास्ट पाए जाते है। प्रकाश तीव्रता अधिक होने पर प्रकाश खम्भ ऊतक को भेद कर स्पंजी ऊत्तक तक पहुँचता है और स्पंजी ऊतक प्रकाश को प्रकिर्णित करता है। इस प्रकार पत्ती के सम्पूर्ण मध्योतक द्वारा एक समान प्रकाश का अवशोषण होता है। पर्णमध्योतक कोशिकाओं में क्लोरोप्लास्ट का विन्यास भी प्रकाश के समानान्तर हो जाता है ताकि प्रकाश का अधिकतम अवशोषण हो सके। इसके विपरीत तीव्र प्रकाश की स्थिति में क्लोरोप्लास्ट कोशिकाओं में अरीय दिशा में प्रकाश किरणों के समानान्तर विन्यासित हो जाते है ताकि अधिक प्रकाश का अवशोषण नहीं हो सके।
पर्ण में पर्णमध्योतक कोशिकाओं की व्यवस्था इस प्रकार से होती है की इनकी अधिकतम सतह वायु के सम्पर्क में रहती है। मध्योतक में इन कोशिकाओं का पृष्ठीय क्षेत्रफल उक्त पत्ती का आंतरिक पृष्ठीय क्षेत्रफल कहलाता है। पत्ती के आंतरिक पृष्ठीय क्षेत्रफल और बाह्य क्षेत्रफल का अनुपात कार्यिकी दृष्टि से महत्वपूर्ण होता है। यह अनुपात छायाप्रिय पौधों में (6.8 से 9.9) कम और मरुदभिद पौधों में (17.2 से 31.2) अधिक होता है। इस प्रकार अधिक धुप और प्रकाश के उगने वाले पौधों का प्रकाश संश्लेषण के लिए अधिक अनुकूलन होता है।

पत्ती का क्रेंज शरीर (kranz anatomy of leaf)

यहाँ एक तरफ तथ्य का उल्लेख कर देना जरुरी है कि प्रकाश संश्लेषण की दर अनेक कारकों से प्रभावित होती है। प्राय: पौधों को प्रकाश और जल तो उपयुक्त मात्रा में उपलब्ध होता है परन्तु प्रकाश संश्लेषण हेतु CO2 की सांद्रता ही सीमाकारी कारक के रूप में प्रभावी होती है।
उष्णकटिबंधीय और उप उष्णकटिबंधीय पौधों में प्राय: प्रकाश संश्लेषण हेतु C4 चक्र पाया जाता है। इनको C4 पादप कहते है। इनकी पत्तियों में विशेष प्रकार की आंतरिक संरचना क्रेन्ज शारीरिकी (kranz anatomy) पायी जाती है। C4 पौधों की सामान्य परिस्थितियों में प्रकाश लम्बी अवधि के लिए और अधिक तीव्रता का उपलब्ध कराना होता है क्योंकि उष्णकटिबंधीय प्रदेशों में प्रकाश की अधिक तीव्रता और तापमान की उच्चता 30 से 40 डिग्री तक की पायी जाती है और C4 पादप इन विशेष परिस्थितियों में भी सफलतापूर्वक अपना जीवनयापन कर सकते है। इसका प्रमुख कारण यह है कि ये पौधे उच्च तापमान (30 से 45 °C) में भी जब रन्ध्र आंशिक रूप से बंद होते है तब भी अधिक मात्रा में कार्बन डाइ ऑक्साइड का उपयोग कर उच्च क्षमता से प्रकाश संश्लेषण कर सकते है। इनके मीजोफिल ऊतक में उपस्थित PEP कार्बोक्सीसाइलेस में कार्बन डाइ ऑक्साइड अधिग्रहण की क्षमता बहुत अधिक बढ़ जाती है। अत: इन पौधों में प्रकाश संश्लेषण की दर C3 पौधों की तुलना में अधिक होती है।