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वृक्क का कार्य क्या होते हैं ? kidney in hindi meaning work वृक्क के महत्वपूर्ण कार्यों का उल्लेख करें

kidney in hindi meaning work वृक्क का कार्य क्या होते हैं ? वृक्क के महत्वपूर्ण कार्यों का उल्लेख करें ?

मानव उत्सर्जन तंत्र

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यह एक जोड़ी वृक्क , एक जोड़ी मूत्र वाहिनी , मूत्राशय और मूत्र मार्ग से मिलकर बना होता है |

  1. वृक्क : यहाँ एक जोड़ी वृक्क होते हैं जो गहरे लाल , रेनीफॉर्म होते हैं | प्रत्येक की आंतरिक सतह पर एक खाँच हायलस होती है | रक्त वाहिनी , लसिका वाहिनी , तंत्रिका और मूत्रवाहिनी , हायलस से वृक्क में प्रवेश करती है | ये मध्यस्थ पिण्डों के दोनों तरफ स्थित होती हैं | अंतिम दो जोड़ी पसली इन्हें सुरक्षा प्रदान करती हैं | दायाँ वृक्क बाएँ वृक्क से हल्का सा नीचे होता है | वृक्क स्थिति में बाह्य सीलोमीक और रिट्रोपेरीटोनियल होते हैं | i.e. पैरीटोनियम |

वृक्क के सामने होता है | वृक्क मेटानेफ्रिक होते हैं | वृक्क तंतुनुमा संयोजी ऊत्तक की परत से आवरित होते हैं रीनल कैप्सूल कहते हैं , जो कि इसे सुरक्षित रखती है | केप्सूल के अन्दर एक बाह्य गहरा भाग कॉर्टेक्स होता है | आंतरिक हल्का भाग मेड्युला सीधा दिखाई देता है | मेड्युला शंकुनुमा भागों से विभाजित होता है | पिरामिड्स का कार्टेक्स की तरफ बड़ा आधार होता है | प्रत्येक पिरामिड्स एक संरचना रीनल पैपीला में खुलता है | पिरामिड्स के मध्य कॉर्टेक्स का पदार्थ मेड्युला में फैला रहता है और बर्टिनी के रीनल स्तम्भ बनाता हैं | पिरामिड्स माइनर कैलेक्स (calyces)द्वारा जुड़े होते हैं | माइनर , मेजर कैलेक्स को उत्पन्न करता है | एक मानव वृक्क में दो अथवा तीन मेजर कैलेक्स होते हैं | ये रीनल पैल्विस में खुलते हैं जो कि बाद में मूत्र वाहिनी में जाते हैं | एक वृक्क में लगभग 1.25 मिलियन संरचनात्मक और क्रियात्मक इकाइयाँ होती हैं जिन्हें नेफ्रोन अथवा uriniferous tubules कहते हैं |

  1. मूत्राशय (urinary bladder) : यह पेल्विक गुहा में स्थित होता है और पेशीय होता है इसकी sac like संरचना होती है | इसकी आंतरिक सतह transitional epithelium द्वारा आस्तरित होती है जो चिकनी पेशी तंतुओं की तीन परतों से बनी होती है – बाह्य और आंतरिक परत अनुलम्ब पेशियों की और मध्यम परत वर्तुल तंतुओं की बनी होती है | वह क्षेत्र जहाँ मूत्राशय और urethra जुड़ते है वहां गोलाकार पेशियाँ रूपांतरित होकर आंतरिक कपाट बनाती हैं | आंतरिक कपाट के अग्र भाग में बाह्य कपाट कंकालीय पेशियों से बना होता है जो कि एच्छिक नियंत्रण में होता है |

Urinary bladder मूत्र का अस्थायी संचय करता है |

  1. मूत्र मार्ग : मूत्राशय की गर्दन से बाहर तक फैला होता है | इसकी लम्बाई नर और मादा में भिन्न भिन्न होती है | मादा में urethra छोटा (लम्बाई में लगभग 4 सेंटीमीटर) होता है और केवल मूत्र ले जाता है | नर में urethra लंबा होता है | (लगभग 20 सेंटीमीटर लम्बाई) मूत्र जनन छिद्र द्वारा शिश्न के सिरे पर खुलता है | इस प्रकार नर का urethra मूत्र और वीर्य दोनों ले जाता है |
  2. प्रत्येक मानव वृक्क लगभग एक मिलियन संरचनात्मक और क्रियात्मक इकाई नेफ्रोन से बना होता है | प्रत्येक नेफ्रोन दो भागों मेलपीघीकाय और रीनल ट्यूबल से मिलकर बना होता है | मैल्पिघी काय एक कप आकार के बोमन केप्सूल और रक्त केशिकाओं के नेटवर्क , ग्लोमेरूलस से मिलकर बना होता है | रीनल धमनी वृक्क में प्रवेश के बाद विभाजित होकर पुन: विभाजित होती है और अनेक अभिवाही धमनियां बनाती है | एक अभिवाही महाधमनी बोमेन कैप्सूल में प्रवेश करती है और ग्लोमेरूलस बनाती है | अपवाही धमनी (afferent)का व्यास अभिवाही धमनी की तुलना में कम होता है | अपवाही रीनल धमनी ट्यूबलस के चारों तरफ केशिकाओं में टूट जाती है | हेनले लूप के चारों तरफ की केशिकाएँ वासा रेक्टा कहलाती हैं | वासा रेक्टा , मेड्युला के अंतकोशिकीय द्रव्य से बचे हुए आयन और यूरिया के पुन: अवशोषण में सहायता करता है | सभी केशिकाएँ मिलकर रेनल venules बनाती है और बाद में रीनल शिरा बनाती है जो वृक्क के हायलस से निकलती है |

बोमेनकेप्सूलरीनलट्यूबूलकोउत्पन्नकरताहैजोकिकॉर्टेक्समेंकुंडलितहोजातीहैऔरसमीपस्थकुंडलितनलिका (PCT) कहलातीहै | तबयेनीचेकीओरहेनलेकेअवरोहीलूपकेरूपमेंजातीहै | यहअवरोहीभुजामेड्युलाकेभागमेंपतलीहोतीहैजोबादमेंहेनलेलूपकीआरोहीभुजाकेमोटेभागमेंखुलतीहैजोकिकॉर्टेक्सकीतरफकुंडलितहोजातीहैजिसेदूरस्थकुंडलितनलिकाकहतेहैं | येआगेसंग्रहनलिकासेजुड़जातीहै | संग्रहनलिकासंयुक्तहोकरबड़ीनलिकाबनातीहैजिन्हेंबेलिनीकीनलिकाकहतेहैं | येआगेरीनलपिरामिड्समेंखुलतीहैऔररीनलपेल्विसमेंखुलतीहै |

समीपस्थ नेफ्रोन

यह वृक्क के कॉर्टेक्स भाग में स्थित होते हैं | यह नलिका समीपस्थ सिरे से बंद होती है लेकिन दूरस्थ भाग में खुली रहती है | समीपस्थ नेफ्रोन दो भागों में विभेदित होता है बोमेन केप्सूल और समीपस्थ कुंडलित नलिका |

  1. बोमन केप्सूल : यह अंध दोहरी भित्ति युक्त कपनुमा संरचना है | बोमन केप्सूल की दो भित्ति आंतरिक विसरल और बाहरी पैराइटल है | दोनों एकल परतीय होती है और आधार झिल्ली पर स्थित होती हैं |

(i) विसरल परत (आंतरिक भित्ति) – यह परिधीय भाग पर चपटे शल्की एपिथिलियम कोशिकाओं से बनी होती है और शेष भाग विशिष्ट पोडोसाइट्स से बना होता है | एक पोडोसाइट में interdigitated evaginations होते हैं जिन्हें पेडिकल्स अथवा फीट कहते हैं | पेडीकल बेसमेन्ट झिल्ली पर स्थित होते हैं | ये स्लिट pores अथवा फिल्टरेशन स्लिट में बंद होते हैं | इन स्लिट्स का व्यास लगभग 25 nm होता है | पेडिकल्स संकुचनशील तंतु धारण किये होते हैं जो कि फिल्टरेशन स्लिट से छनित को गुजरने में सहायक होते हैं |

(ii) पैराइटल परत (बाह्य भित्ति) – यह चपटी शल्की एपिथिलियम से बनी होती है | बोमन केप्सूल की दो परतों के मध्य का स्थान गुहा अथवा केप्सुलर स्पेस कहलाता है |

ग्लोमेरूलस – यह महीन रक्त वाहिनियों द्वारा निर्मित होता है | यह बोमन केप्सूल में स्थित होता है | ग्लोमेरूलस अभिवाही धमनी से रक्त प्राप्त करता है | ग्लोमेरूलस से अपवाही धमनी द्वारा रक्त दूर जाया जाता है | अपवाही धमनी का व्यास संकरा होता है | दोनों अभिवाही धमनियों की भित्ति में विशिष्ट कोशिकाएँ होती हैं | जिन्हें जक्स्टा ग्लोमेरूलस कोशिका कहते हैं | ये रेनिन और इरिथ्रोएटिन उत्पन्न करती है | ग्लोमेरूलस की रक्त वाहिनी उन रक्त कोशिकाओं के समान होती है जो एंडोथीलियम कोशिकाओं की एकल परत से आवरित होती है | हालाँकि ये fenestrations के कारण 100-150 गुना अधिक पारगम्य होती हैं और छिद्रों का आकार 50-100 nm होता है |

मैल्पिघीयन केप्सूल : ग्लोमेरूलस , संयोजी ऊत्तक और बोमन केप्सूल द्वारा बना कॉम्पलेक्स मेल्पीघियन केप्सूल रीनल कैप्सूल अथवा मैल्पिघी काय कहा जाता है |

समीपस्थ कुंडलित नलिका (PCT) : समीपस्थ कुंडलित नलिका बोमन केप्सूल के नीचले भाग से निकलती है | ये कॉर्टेक्स में उपस्थित होती है | ये मुड़ी हुई होती है और पेरीट्यूबलर रक्त केशिकाओं द्वारा घिरी हुई होती है |

PCT घनाकार एपीथीलियम से स्तरित होती है जिसमें बड़े माइक्रोविलाई युक्त ब्रश बॉर्डर होते हैं | जो अवशोषण की सतह को बढाते हैं | कोशिका बहुत से माइटोकोंड्रिया युक्त होती है और इनमें सक्रीय अवशोषण और स्त्रावण के लिए ऊर्जा प्रदान करने के लिए भोजन संग्रहित रहता है | PCT का अंतिम सिरा अकुंडलित होता है जिसे पार्स रेक्टा कहते हैं |

अंत: मध्यस्थनेफ्रोन

यह नेफ्रोन का मध्य भाग होता है जो कि सामान्यता अकुंडलित होता है लेकिन वक्राकार होकर U-आकृति का बन जाता है | यह ऑफ़ हेनले के समान ही जाना जाता है |

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