खेरवार आंदोलन कब हुआ | खैरवार आदिवासी आंदोलन कब हुआ था | kharwar andolan ka netritva kisne kiya

(kharwar andolan ka netritva kisne kiya) खेरवार आंदोलन कब हुआ | खैरवार आदिवासी आंदोलन कब हुआ था नेतृत्व किस नेता ने किया था ?

संथालों का खेरवार आंदोलन (1833) यह आंदोलन आदिवासी स्वाधीनता के आदर्श अतीत की ओर लौटने की इच्छा से प्रेरित था। ’खेरवार’ संथालों का एक पुराना नाम बताया जाता है। संथालों का कहना है कि यह शब्द उनके इतिहास के स्वर्णिम युग से जुड़ा है। उस समय, संथालों के बारे में बताया जाता है कि, उनके पास पूरी स्वाधीनता थी। उनका सरदार उन्हें सुरक्षा प्रदान करता था जिसके बदले वे उसे नजराना दिया करते थे। यह आंदोलन भागीरथ माझा के कारश्यामी नेतृत्व में शुरू हुआ। उसे बाबा जी की पदवी मिली थी। उसने ऐलान किया था कि वह संथालों के स्वर्णिम युग को वापस ला देगा, लेकिन इसके लिये उन्हें ईश्वर पूजा की ओर लौटना होगा और अपने पापों से मुक्त होना होगा। उसने कसम खायी कि वह उन्हें अधिकारियों, जमींदारों और महाजनों के दमन से मुक्ति दिलायेगा। उसने उन्हें यह उपदेश दिया कि वे हिंदू भगवान राम की पूजा करें जिनकी प्रतिमूर्ति संथाली ‘कौदो‘ थे। उसने संथालों के सुअरों और पक्षियों पर पाबंदी लगा दी। उसने उन्हें विश्वास दिलाया कि उनकी जमीन उन्हें वापस दिलायी जायेगी। उसने उन्हें उनके दमन का कारण यह समझाया कि यह ईश्वर की ओर से इस बात का दंड था कि वे ईश्वर की पूजा न करके क्षुद्र और दुष्ट आत्माओं में आस्था रखते थे। उसने संथालों , पर उन नियमों और व्यवहारों को थोपा जिनमें शुद्धि और अशुद्धि की हिंदू धारणा का प्रतिबिंब मिलता था. बाद में इस आंदोलन में गैर-संथालों को उनके आवास से निकाल बाहर करने के लिये और अधिक राजनीतिक रूप धारण कर लिया।