काव्यांश किसे कहते हैं | काव्यांश की परिभाषा क्या होता है | अर्थ बताओ kavyansh kya hota hai in hindi

kavyansh kya hota hai in hindi काव्यांश किसे कहते हैं | काव्यांश की परिभाषा क्या होता है | अर्थ बताओ ?

अपठित काव्यांश 1
निम्नलिखित काव्यांशों को ध्यानपूर्वक पढ़िए और पूछे गए प्रश्नों के सही विकल्प चुनकर उत्तर दीजिए।
खेत और खलिहान तुम्हारे,
ये पहाड़,जंगल, उपवन,
यह नदियाँ, ये ताल सरोवर,
गाते हैं विप्लव गायन!
उत्तर में गा रहा हिमाचल,
दक्षिण में वह सिन्धु गहन
सभी गा रहे हैं, लो आया!
यह लोलित जागरण प्रहर!

गंगा गाती कल-कल ध्वनि में,
भारत के कज की बातें,
यमुना गाती है कल-कल कर
बीत गई कल की रातें,
साबरमती गरज कर बोली
अब कैसी निशि की छातें
दिन आया, अपना दिन आया
यों गाती है लहर-लहर!

उत्तर से दक्खिन पूरब से
पश्चिम तक तुम एक, अरे!
भेदभाव से पर एक ही
रही तुम्हारी टेक अरे!
एक देश, एक प्राण तुम,
तुम हो नहीं अनेक अरे!
खोलो निज लोचन, देखो यह
खिली एकता ज्योति प्रखर!

  1. सम्पूर्ण प्रकृति गा रही है-
    (A) पे्रम के गीत (B) विनाश के गान
    (C)जागृति (D) क्रांति के गीत

उत्तर- (C)जागृति
2. गंगा, यमुना और साबरमती नदियाँ कल-कल ध्वनि में संदेशा देती हैं कि –
(A) वर्तमान एवं भविष्य की चिंता करो।
(B) अतीत के गौरव को मत भूलो।
(C)अतीत और भविष्य दोनों ही वर्तमान से दूर है। (D) भावी पीढ़ी के लिए कार्य करो।
उत्तर- (A) वर्तमान एवं भविष्य की चिंता करो।
3. ‘एकता की ज्याति प्रखर‘ का आशय है –
(A) एकता की ज्योति तेज का प्रखर है।
(B) एकता का प्रकाश बहुत शक्तिशाली है।
(C)एकता की ताकत को जानो।
(D) भेदभाव को भूल एकता को महसूस करो।
उत्तर- (D) भेदभाव को भूल एकता को महसूस करो।
4. एक काव्यांशा का संदेश है –
(A) देशवासियों देश की एकता को मजबूत करो।
(B) भेद होते हुए भी पूरा भारत एक है।
(C)शरीर में अंग और प्राणों में जीवन है।
(D) आँखंे खोलकर देश की अभिन्नता को पहचानो।
उत्तर- (B) भेद होते हुए भी पूरा भारत एक है।
5. ‘‘गंगा गाती कल-कल ध्वनि में ‘‘ मं अलंकार है –
(A) यमक (B) रूपक
(C)अनुप्रास (D) उपमा
उत्तर- (C)अनुप्रास
अपठित काव्यांग-2
निजता की संकीर्ण क्षुद्रता
तेरे सुविपुल में सो जाय।
ओ दुस्सह तेरी दुससहता
सहज सह्य हमको हो जाय।
ओ कृतान्त हमको भी दे जा
निज कृतान्तता का कुछ अंश,
नई सृष्टि के नवोल्लास में,
फूट पडे़ तेरा विभ्रंश!
नव भूखंड अमृत के घट-सा
दे ऊपर ही ओर उछाल
सागर का अन्तस्तल मथ कर
तेरे विप्लव का भूचाल!
जीर्ण शीर्णता के दुर्गों को
कुसंस्कार के स्पूतों को
ढा दे एक साथ ही उठकर
दुर्जय तेरा क्रोध कराल।
कुछ भी मूल्य नहीं जीवन का
हो यदि उसके पास न ध्वंसय
ओ कृतान्त हमको भी दे जा
निज कृतान्तता का कुछ अंश।
ओ भैरव, कवि की वाणी का
मृदु माधुर्य लजा दे आज,
वंशी के ओठों पर अपना,
निर्मम शंख बजा दे आज।
1. ‘संकीर्ण क्षुद्रता‘ में सम्मिलित होते है-
(A) स्वार्थपूर्ण समाज के बारे बुरे रीति-रिवाज।
(B) पतले-दुबले नाटे कद के लोग।
(C)छोटे शहरों की सँकरी गलियाँ।
(D) समाज में फैले नीच प्रकृति के लोग।
उत्तर- (A) स्वार्थपूर्ण समाज के बारे बुरे रीति-रिवाज।
2. ‘नव भूखंड अमृत के घट-सा दे ऊपर की ओर उछाल‘ का आशय है-
(A) धरती के नये टकड़े को ऊपर ऐसे उछालो जैसे अमृत का
घड़ा हो।
(B) जमीन के छोटे-छोटे नौ टुकड़ों को चारों ओर बिखेर दो।
(C)धरती को ऐसा नया बनाओ जैसे अमृत का घट।
(D) अपने नवीन उतसाह व आत्मविश्वास से लोगों को नया
जीवन दो।
उत्तर- अपने नवीन उतसाह व आत्मविश्वास से लोगों को नया जीवन दो।
3. क्रोध ऐसा हो-
(A) इतना भयंकर कि उसे जीतना कठिन हो।
(B) इतना अधिक जिसे जीतकर शांत किया जा सके।
(C)क्रोध इतना अधिक हो कि चेहरा काला हो जाए।
(D) क्रोध ओर जीत दोनों का साथ सरल नहीं है।
उत्तर- (A) इतना भयंकर कि उसे जीतना कठिन हो।
4. जीवन मूल्यवान उसका होता है, जिसने-
(A) क्रांतिकारी परिवर्तन किए हों।
(B) कोई कष्ट सहन न किए हों।
(C)कोई नया कार्य किया है।
(D) बहुत सुख झेला हो।
उत्तर-(A) क्रांतिकारी परिवर्तन किए हों।
5. ‘कुसंस्कार‘ का विलोम है-
(A) संस्कार (B) परिष्कार
(C)आविष्कार (D) सुसंस्कार
उत्तर-(D) सुसंस्कार