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जहांगीर आर्ट गैलरी कहां स्थित है , Jehangir Art Gallery in hindi information , के बारे में जानकारी

पढ़िए जहांगीर आर्ट गैलरी कहां स्थित है , Jehangir Art Gallery in hindi information , के बारे में जानकारी ?

निजी संस्थान
कला एवं संस्कृति के विकास, संवर्द्धन एवं संरक्षण में संलग्न कतिपय गिजी संस्थान इस प्रकार हैं।
बड़ौदा संग्रहालय एवं चित्र गैलरीः महाराजा सयाजीराव गायकवाड़ प्प्प् ने 1887 में संग्रहालय की नींव रखी। इस संग्रहालय का निर्माण 1894 में लंदन के विक्टोरिया एंड अल्बर्ट साइंस म्यूजियम की तर्ज पर किया गया। संग्रहालय की इमारत को मेजर मांट द्वारा आर.एफ- चिशलोम के सहयोग से अभिकल्पित किया गया। म्यूजियम में कला की समृद्ध परम्परा को संजो कर रखा गया है। एक प्रसिद्ध ब्रिटिश पेंटर द्वारा पिक्चर गैलरी में सर्वोत्तम कृतियां प्रस्तुत की गईं हैं। संग्रहालय जागे वाले के लिए मिò की ममी और ब्लू व्हेल के अस्थि पंजर का बड़ा संग्रह आकर्षण का केंद्र है। अन्य खजागों में 5वीं शताब्दी के अकोटा ताम्र सिक्के, मुगल चित्रकारी, विभिन्न प्रसिद्ध यूरोपीय चित्रकारों की ऑइल पेंटिंग्स और एक बड़ी तिब्बत कला गैलरी शामिल है।
जहांगीर आर्ट गैलरीः मुम्बई में जहांगीर आर्ट गैलरी भारत की प्रसिद्ध कला वीथियों में से एक है। इसकी स्थापना 1952 में के.के. हैबर और होमी भाभा के अनुरोध पर सर काउआसजी जहांगीर द्वारा की गई। इसका प्रबंधन बाॅम्बे आर्ट सोसायटी द्वारा किया जाता है; और इस मैंशन की पूरी लागत काउआसजी जहांगीर द्वारा उठाई गई। यह गैलरी काला घोड़ा, प्रिंस ऑफ़ वेल्स म्यूजियम के पीछे, गेट वे ऑफ़ इण्डिया के गजदीक दक्षिण मुम्बई में स्थित है।
म्यूजियम में चार एक्जिविशन हाॅल हैं। परिसर में लोकप्रिय कैफे सेमोवर भी है, जो 1970 के दशक के समाजवादी संस्कृति का प्रतीक है। यह नेटसन, देश का प्राचीनतम लाइसेंस प्राप्त एंटीक डीलर, का घर भी है।
इस भवन का डिजाइन दुग्र बाजपेयी द्वारा किया गया और यह शहर में कंक्रीट के शुरुआती ढांचों में से एक है।
गिजाम संग्रहालयः एच.ई.एच. गिजाम का संग्रहालय पुरानी हवेली, पूर्ववर्ती गिजामों का महल, हैदराबाद में अवस्थित है। इस संग्रहालय में उन उपहारों को प्रदर्शित किया गया है जिन्हें हैदराबाद राज्य के अंतिम गिजाम, ओस्मान अली खान आसफ जाह टप्प्, ने अपने सिल्वर जुबली समारोह में प्राप्त किए। संग्रहालय को गिजाम ट्रस्ट ने 18 फरवरी, 2000 को आम लोगों के लिए खोला। इसके उपहारों में सिल्वर जुबली समारोह के लिए प्रयोग किया गया स्वर्ण एवं लकड़ी से बना खूबसूरत सिंहासन, हीरों से सज्जित स्वर्ण टिफिन, जुबली हाल की नकल प्रस्तुत करती पेंटिग्स, मीर ओस्मान अली खान की ग्लास इनले पेटिंग मुख्य रूप से शामिल हैं। 1930 की एक राल्स राॅयस, पैकार्ड और एक जगुआर मार्क ट प्रदर्शित विटेंज कारों में से हैं।
नृत्यग्रामः नृत्यग्राम, बंगलुरू में अवस्थित, भारत का प्रथम एवं एकमात्र नृत्यग्राम है जिसे, विशेष रूप से, भारत की शास्त्रीय भारतीय नृत्य शैली एवं मार्शल आर्ट्स के संरक्षण के उद्देश्य से स्थापित किया गया। इसका संगठन 1990 में प्रोतिमा गौरी द्वारा और ग्रिरार्ड दा कुन्हा द्वारा इसका डिजाइन किया गया।
नृत्यग्राम शिक्षण की गुरु-शिष्य परम्परा की शैली का समावेश करता है जिसमें विद्यार्थी एक साथ एक समुदाय में रहते हैं और नृत्य में पारंगत होने के लिए वर्षों तक अभ्यास करने हेतु स्वयं को समर्पित कर देते हैं। प्रत्येक गुरुकल में अधिकतम 6 विद्यार्थी होते हैं, जो 6-7 वर्षों तक प्रशिक्षण प्राप्त करते हैं। सृजनात्मक आधुनिक नृत्य, योगा, माइम, कलारीपयत्तु, ध्यान, अइकिडो, मूर्तिशिल्प और शोरिंजी केम्पो में नियमित वर्कशाॅप आयोजित की जाती हैं। अग्रणी शिक्षक एवं प्रदर्शन कला के कलाकार शास्त्रीय नृत्य में गहन वर्कशाॅप के लिए नियमित तौर पर आते हैं। प्रत्येक विद्यार्थी को लेक्चर डेमो दिया जाता है ताकि वे नृत्य का शिक्षण एवं पेशेवर तौर पर प्रदर्शन कर सकें।
संस्कृति केंद्र संग्रहालयः यह संग्रहालय 1990 में ओ-पी. जैन द्वारा, ‘संस्कृति फाउंडेशन’, 1978 में स्थापित नई दिल्ली में अवस्थित एक गैर-लाभकारी संस्था, के तत्वावधान में किया गया। यह संस्कृति केंद्र परिसर, आनंदग्राम, दिल्ली में अवस्थित एक कलाकार ग्राम परिसर, में भीतर बना है। संस्कृति केंद्र संग्रहालय के तीन हिस्से हैं म्यूजियम आॅफ इण्डियन टेराकोटा, म्यूजियम आॅफ एवरीडे आर्ट्स, तथा टेक्सटाइल म्यूजियम। संस्कृति फाउंडेशन ने 1979 में ‘संस्कृति पुरस्कार’ की स्थापना की। यह सम्मान साहित्य, कला, संगीत, नृत्य थिएटर, पत्रकारिता और सामाजिक/सांस्कृतिक उपलब्धि के लिए 20-35 आयु समूह के युवा प्रतिभा को दिया जाता है। फाउंडेशन आर्टिस्ट-इन-रेजीडेंस प्रोग्राम, शोधार्थियों, कलाकारों,एवं दस्तकारों के लिए छात्रवृत्ति योजनाओं का भी संचालन करता है। इसमें रेजीडेंशियल स्टूडियो, पुस्तकालय,एम्फीथियेटर एवं एक आर्ट गैलरी है।
स्पिक मैके (SPICMACAY)ः स्पिक मैके का विचार 1972 में न्यूयार्क में ब्रुकलिन एकेडमी ऑफ़ म्यूजिक के उस्ताद नासिर अमीनुद्दीन डागर और उस्ताद जिया फरीदुद्दीन डागर के काॅन्सर्ट में सामने आया। स्पिक मैके को 1979 में प्रारंभ किया गया।
स्पिक मैके देश के युवाओं के बीच शास्त्रीय कलाओं पर ध्यान देकर और गहन एवं सूक्ष्मतम मूल्यों के प्रति जागरूकता फैलाकर भारत की समृद्ध एवं सजातीय सांस्कृतिक विरासत के प्रति जागरूकता को प्रोत्साहित एवं संरक्षित करने का एक प्रयास है।
स्पिक मैके के भारत एवं विदेशों में 200 से अधिक केंद्र हैं। तकरीबन 1000 कार्यक्रमों का प्रतिवर्ष आयोजन किया जाता है। स्पिक मैके के वार्षिक कैलेंडर में भारतीय शास्त्रीय नृत्य एवं संगीत मुख्य एवं महत्वपूर्ण तत्व हैं।
स्पिक मैके अपने कार्यक्रमों बैठक, विरासत के लिए प्रसिद्ध है।
स्पिक मैके विभिन्न क्षेत्रों के प्रसिद्ध लोगों द्वारा प्रेरणास्प्रद चर्चा का आयोजन करता है। कला, पर्यावरण, दर्शन, विकास, अध्यात्म, साहित्य एवं लोक कलाओं पर बातचीत होती है।
स्पिक मैके प्रसिद्ध योगाचार्यों के माध्यम से योग शिविर का आयोजन करता है। स्पिक मैके वैयक्तिक लोक कला एवं क्राफ्ट वर्कशाॅप के माध्यम से ऐसे कार्यक्रमों को बढ़ावा देता है।
बिरला एकेडमी ऑफ आर्ट एंड कल्चरः बिरला कला एवं संस्कृति एकेडमी की स्थापना 1967 में दृश्य एवं प्रदर्शन कलाओं पर बल देते हुए कला एवं संस्कृति के विकास के प्रधान उद्देश्य के साथ की गई। समय के साथ एकेडमी ने सांस्कृतिक, कलात्मक एवं शैक्षिक गतिविधियों के केंद्र के रूप में अपनी पहचान बना ली। संगठन कला, संस्कृति, स्वास्थ्य एवं शिक्षा जैसे कई क्षेत्रों में व्याख्यान, सेमिनार, उच्च ज्ञान आधारित वर्कशाॅप आयोजित करता है। शिक्षा, स्वास्थ्य और वृद्धावस्था आश्रम के क्षेत्रों में ट्रस्ट के अंतग्रत कई संगठन संचालित किए जा रहे हैं।
श्री चित्र आर्ट गैलरीः श्री चित्र आर्ट गैलरी 1935 में तिरुवनंतपुरम, केरल में स्थापित एक कला विधि (आर्ट गैलरी) है। यह नेपियर संग्रहालय के उत्तरी दिशा की ओर अवस्थित है।
इस गैलरी में परम्परागत एवं समकालीन भारतीय कला का एक अद्वितीय संग्रह है। यह भारत की उन चुनिंदा आर्ट गैलरियों में से एक है जहां भारतीय कला के प्राचीन एवं आधुनिक दोनों रूप बेहद सुव्यवस्थित तरीके से प्रस्तुत किए गए हैं।