(isotropy and anisotropy in hindi) समदैशिकता और विषम दैशिकता | सम दैशिक एवं विषम दैशिक गुण क्या है : ये दोनों पदार्थ के गुण होते है इन्हें हम यहाँ विस्तार से अध्ययन करेंगे , इनकी परिभाषा से लेकर इनके उदाहरण आदि का अध्ययन करेंगे।
दोनों का मिलकर अर्थ है सभी दिशाओं में समान।
यह पदार्थ का गुण होता है तो पदार्थ के भौतिक गुणों के बारे में यह बताता है कि पदार्थ के भौतिक गुण जैसे चालकता , कठोरता , तनन सामर्थ्य तथा अपवर्तनांक आदि का मान सभी पदार्थ की सभी दिशाओं में समान है।
अर्थात यदि किसी पदार्थ के लिए यदि यह बोला जाए कि यह समदैशिकता पदार्थ है तो इसका तात्पर्य यह है कि उस पदार्थ के सभी दिशाओं में चारों तरफ , भौतिक गुणों का मान समान है।
उदाहरण : अक्रिस्टलीय ठोस समदैशिक प्रकृति के होते है अर्थात अक्रिस्टलीय ठोस में अलग अलग दिशाओं में जाने पर इसके भौतिक गुण जैसे कठोरता , अपवर्तनांक , चालकता आदि का मान समान रहता है , इसलिए अक्रिस्टलीय ठोस को समदैशिक प्रकृति का कहते है।
चित्र में अक्रिस्टलीय ठोस के अवयवी कणों की व्यवस्था प्रदर्शित है , जब हम इस ठोस के x अक्ष की तरफ जाते है या y अक्ष की तरफ जाते है या z अक्ष की तरफ जाते है तो हम देखते है कि सभी तरफ अर्थात सभी दिशाओं में इस ठोस के भौतिक गुण समान मिलते है इसलिए हम कहते है कि अक्रिस्टलीय ठोस समदैशिक प्रकृति के होते है।
विषम दैशिकता या विषम दैशिक
समदैशिकता और विषम दैशिकता (isotropy and anisotropy in hindi) :
विषम दैशिकता (anisotropy) : घनीय क्रिस्टल संरचना के अलावा अन्य सभी क्रिस्टलीय ठोसों के भौतिक गुणधर्म जैसे – चालकता , अपवर्तनांक , कठोरता , तनन सामर्थ्य आदि के मान विभिन्न दिशाओं में भिन्न भिन्न होते है। यह गुण विषमदैशिकता कहलाता है। अत: क्रिस्टलीय ठोस विषमदैशिक होते है।
विषमदैशिकता का कारण – में क्रिस्टलीय ठोस में उपस्थित अवयवी कणों की एक निश्चित व्यवस्था प्रदर्शित की गयी है –
यदि क्रिस्टलीय ठोस में प्रकाश पुंज को AB दिशा में गुजारते है तो प्रकाश मार्ग के दोनों तरफ समान अवयवी कणों की पंक्तियाँ उपस्थित होती है जबकि CD दिशा में दोनों प्रकार के अवयवी कण एकांतर क्रम में उपस्थित होते है। अत: AB दिशा तथा CD दिशा में अवयवी कणों का प्रभाव भिन्न भिन्न पड़ने के कारण , प्रकाश के अपवर्तनांक के भिन्न भिन्न मान प्राप्त होते है। इसी प्रकार अन्य भौतिक गुणों के मान भी भिन्न भिन्न प्राप्त होते है जिसे विषमदैशिकता कहते है।
समदैशिकता (isotropy) : अक्रिस्टलीय ठोसों में अवयवी कणों की कोई निश्चित व्यवस्था नहीं होने के कारण , इनके भौतिक गुणधर्म जैसे कठोरता , अपवर्तनांक , चालकता , तनन सामर्थ्य , यांत्रिक सामर्थ्य आदि के मान प्रत्येक दिशा में एक समान होते है। यह गुण समदैशिकता कहलाता है। अत: अक्रिस्टलीय ठोस समदैशिकता होते है।
समदैशिकता का कारण : अक्रिस्टलीय ठोस में अवयवी कणों की कोई निश्चित व्यवस्था नहीं होती है जबकि ये अव्यवस्थित रहते है। अत: अपवर्तनांक ज्ञात करने में प्रकाश की किरणें प्रत्येक दिशा से दोनों ही प्रकार के कणों से प्रभावित होती है। इसलिए इनके भौतिक गुणों के मान प्रत्येक दिशा में समान रहते है।