भारत ऑस्ट्रेलिया संबंध का वर्णन कीजिये | भारत बनाम ऑस्ट्रेलिया के अंत: सम्बन्ध india australia relations in hindi

india australia relations in hindi भारत ऑस्ट्रेलिया संबंध का वर्णन कीजिये | भारत बनाम ऑस्ट्रेलिया के अंत: सम्बन्ध ?

 प्रस्तावना
भारत अंतः संबंधों के विभिन्न पक्षों के बारे में पढ़ेंगे। मुख्यतः आप विभिन्न राजनीतिक घटनाओं के सन्दर्भ में भारत और ऑस्ट्रेलिया के दृष्टिकोणों में समानता और मतभेदों का अध्ययन करेंगे, जहाँ एकरूपता की अपेक्षा विविधता अधिक थी, लेकिन अब स्थिति बदल रही है।

दोनों लोकतन्त्र होने के नाते और ऑस्ट्रेलिया-भारत दक्षिण अफ्रीका के त्रिकोण में स्थित होने के कारण क्षेत्रीय सहयोग के लिए हिन्द महासागर के किनारे वाले देशों के संघ (प्व्त्-।त्ब्) के महत्त्वपूर्ण ंस्थापक सदस्य हैं। भारत एक परमाणु शक्ति है। जबकि ऑस्ट्रेलिया भारत के परमाणु दर्जे का विरोध करता है, तथापि सहयोग के लिए कई क्षेत्र हैं जिनको की बढ़ावा देने की जरूरत है।

एक पृष्ठभूमि : ऑस्ट्रेलिया और भारत अंतःसंबंध
किसी भी देश की विदेश नीति का निर्धारण, उस देश के व्यक्तिगत हितों के आधार पर किया जाता है और इस नीति में तीन मूलभूत उद्देश्यों को शामिल किया जाता है : राजनीतिक संप्रभुता को बनाए रखना, क्षेत्रीय अखंडता और सुरक्षा को बनाए रखना और आर्थिक विकास को कायम रखना। अंतरूराज्यीय संबंधों की प्रकृति निरंतर समय और स्थानों के कारकों से प्रभावित होती है। ऑस्ट्रेलिया और भारत के संबंध भिन्न अनुपात में उनके विश्व और क्षेत्रीय दृष्टिकोणों से प्रभावित रहे हैं।

और सरकारी संस्थाओं की समानता है। साथ ही दोनों लोकतांत्रिक राजनीतिक प्रक्रियाओं का अनुसरण करते हैं और दोनों ही देशों में शक्ति विभाजन आधारित शासन का संघीय ढांचा हैं। इन समानताओं के बावजूद जैसा कि किन्ही भी दो सार्वभौमिक देशों के मध्य होता है, भारत और ऑस्ट्रेलिया के दृष्टिकोणों में भी अन्तर है। फिर भी, दोनों देशों के मध्य कोई वास्तविक मतभेद नहीं हे।

भिन्न दृष्टिकोण
ढांचीय और भाषीय समानताओं के बावजूद ऑस्ट्रेलिया और भारत ने स्वयं को अलग-अलग बोधक्षमता मापदण्डों पर पाया है। जहाँ ये शीत युद्ध की राजनीति की उपज थे, वहीं पारम्परिक भौगोलिक और मनोवैज्ञानिक सम्पर्कों के अभाव में ये और भी बढ़ गये।

इन भिन्न दृष्टिकोणों की उत्पत्ति स्वतंत्रता पूर्व के दौर में ही हो गयी थी। मतभेद का केन्द्रबिंदु दोनों देशों का ब्रिटिश साम्राज्य के प्रति अलग नजरिया था। जहाँ ऑस्ट्रेलिया स्वयं को ब्रिटिश साम्राज्य का एक अभिन्न अंग समझता था, वहीं भारत ब्रिटिश साम्राज्य का विरोधी था। यही नहीं, भारत का बहुसांस्कृतिक परिवेश ऑस्ट्रेलिया की केवल श्वेत संस्कृति के पूर्ण विपरीत था। यद्यपि बाद के वर्षों में ऑस्ट्रेलिया ने राष्ट्रीय स्वतंत्रता संघर्षों का समर्थन किया, फिर भी वह मूल रूप से पश्चिमी भौतिकवादी, वैचारिक और मनोवैज्ञानिक संरचना का हिस्सा था।

सुरक्षा और कूटनीति दृष्टिकोणों में मतभेद मूलभूत रूप से शीत युद्ध राजनीति के साथ उत्पन्न हुए। अपनी सुरक्षा आवश्यकताओं और मनोवैज्ञानिक रूझानों को ध्यान में रखते हुए ऑस्ट्रेलिया संयुक्त राज्य अमेरिका समर्थित सैनिक ब्लॉक ऐंजस (।र्छन्ै) और सीऐटो (ब्म्।ज्व्) का सदस्य बना।

दूसरी ओर, अपनी सुरक्षा और आर्थिक जरूरतों के कारण भारत ने विदेश नीति में एक स्वतंत्र रूख अपनाया और यह गुटनिरपेक्षवाद था। ऑस्ट्रेलिया और भारत के मध्य मतभेद और भी गहरे हो गये , जब पाकिस्तान संयुक्त राज्य अमेरिका का मित्र बना। इस तरह से भारत का प्रबल शत्रु पाकिस्तान परोक्ष रूप से ऑस्ट्रेलिया का मित्र बन गया। ऑस्ट्रेलिया भारत के मूलभूत सुरक्षा मामलों में पाकिस्तान का समर्थन करने लगा। एक खास मुद्दा कश्मीर का था। चाहे डिक्सन रिपोर्ट हो, संयुक्त राष्ट्र संघ में वोटिंग, अन्य विषयों में मध्यस्था अथवा गोआ का मसला, ऑस्ट्रेलिया का रूख आमतौर पर भारतीय हितों के खिलाफ था। इस मूल कूटनीतिक भेद के कारण विश्व की प्रमुख घटनाओं पर ऑस्ट्रेलिया और भारत का नजरिया अलग रहा। जैसे कि कोरियन और स्वेज नहर संकट, हंगरी, क्यूबा और वियतनाम। एन.पी.टी. और बाद में सी.टी.बी.टी. के खास मुद्दों पर तो दोनों देशों के ‘मतभेद नाटकीय सीमाओं तक पहुँच गये। इस मतभेद की उत्पत्ति का प्रमुख कारण ऑस्ट्रेलिया की विश्व परमाणु स्थिति से पूर्ण संतुष्टि और भारत का इसको पूर्णतया ठुकरा देना था। इस प्रकार से अलग-अलग मत कई बार सामने आए और दोनों देशों की एक निश्चित मनस्थिति और पूर्वाग्रह लिप्त आंकलनों के कारक बने ।

 सुरक्षा संबंधी मुद्दे
भारत और ऑस्ट्रेलिया के संबंधों में अड़चनें सुरक्षा मसलों के मामले में कुछ खास मतभेदों की वजह से हैं।
भारत के सुरक्षा हितों के कई आयाम हैं। ये हैं :
क) प) उसके पड़ोस में स्थित परमाणु देश चीन की उपस्थिति जिसके साथ भारत की कई हजार किलोमीटर की सीमारेखा है और जिसने 1962 में अपनी आक्रमक शक्ति का परिचय दिया था।
पप) म्यानमार के रास्ते हिन्द महासागर में अपनी उपस्थिति कायम करने की चीन की चेष्टा।
पपप) चीन का पाकिस्तान को समर्थन, यहाँ तक कि परमाणु शक्ति के मुद्दे पर भी।
ख) परमाणु शक्ति से लैस पाकिस्तान जिसने की भारत पर चार बार आक्रमण किया है, और जोकि आतंकवाद की जन्मभूमि है। पाकिस्तान की दुश्मनी के पीछे दो राष्ट्र सिद्धांत हैं और विगत में संयुक्त राज्य अमेरिका और उसके मित्रों ने भी पाकिस्तान का समर्थन किया है।
ग) चीन द्वारा पाकिस्तान को परंमाणु, मिसाइल और अन्य विनाशकारी तकनीकों का स्थानांतरण।
घ) हिन्द महासागर के दीऐगो गार्सिया (क्पमहव ळंतबपं) अड्डे पर संयुक्त राज्य अमेरिका के – परमाणु भंडार की उपस्थिति।
च) दक्षिण एशिया में आपस में टकराते जातीय समूहों की उपस्थिति और भारत का इसके केन्द्र में होना। साथ ही भारत का एकमात्र धर्म-निरपेक्ष देश होना।

ऑस्ट्रेलिया के कूटनीतिक हित अलग हैं। जैसा कि ऑस्ट्रेलियन कूटनीति प्लान 1990 इंगित करता है, ऑस्ट्रेलिया काफी हद तक एक सुरक्षित देश है। वह एक पूरे महाद्वीप पर फैला हुआ है और उसे अपने पड़ोसियों से कोई वास्तविक खतरा नहीं है। विगत में इंडोनेशिया के रास्ते चीनी साम्यवाद का खतरा था। संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ विभिन्न गठबंधनों ने उसकी सुरक्षा संबंधी लगभग सभी चिन्ताओं का निवारण कर दिया। शीत युद्ध की समाप्ति के बाद भी ऑस्ट्रेलिया, संयुक्त राज्य अमेरिका को एक सरंक्षक की दृष्टि से देखता रहा। फिर भी कूटनीति योजना, चीन, जापान और भारत को बाहरी प्रभाव का एजेंट होने का जिक्र करता है। संयुक्त राज्य अमेरिका पर पूर्णतया निर्भर होने के कारण ऑस्ट्रेलिया सुरक्षा मामलों में अमेरिका का अनुसरण करता है। इसका परिणाम यह है कि अमेरिकी दृष्टिकोण कई बार ऑस्ट्रेलियन दृष्टिकोण बन जाता है। यहाँ पर दो तथ्य उजागर करने लायक हैं। प्रथम, अपनी सुरक्षा के खातिर अमेरिकी दृष्टिकोण को समर्थन की मजबूरी। द्वितीय, ऑस्ट्रेलियन राजनीतिक प्रभुत्व वाले वर्ग की विश्व की एकमात्र महाशक्ति के साथ जुड़ने की मनोवैज्ञानिक उत्सुकता।

बोध प्रश्न 1
नोट : क) अपने उत्तरों के लिए नीचे दिए गए स्थान का प्रयोग कीजिए।
ख) इस इकाई के अंत में दिए गए उत्तरों से अपने उत्तर मिलाइए।
1) भारत और ऑस्ट्रेलिया के दृष्टिकोणों की विविधता की चर्चा कीजिए।
2) भारत और ऑस्ट्रेलिया, सुरक्षा मामलों में किस प्रकार भिन्न दृष्टिकोण रखते हैं? .

 बोध प्रश्नों के उत्तर
बोध प्रश्न 1
1) मतभेदः स्वतन्त्रता से पूर्व भारत औपनिवेशिक नीति का विरोधी था, जबकि ऑस्ट्रेलिया स्वयं को ब्रिटिश साम्राज्य का अभिन्न अंग मानता थाद्य ऑस्ट्रेलिया पश्चिमी ‘वेत नरल‘ नीति का समर्थन करता था और पश्चिमी सैन्य संगठनों का सदस्य राष्ट्र भी है। भारत बहुसांस्कृतिक देश होने के साथ-साथ गुटनिरपेक्ष नीति का पक्षधर रहा है। (अधिक विवरण के लिए अनुभाग 22.2.1 देखें)

2) जहाँ एक ओर ऑस्ट्रेलिया काफी सुरक्षित देश है, वहीं भारत को मुख्य तौर पर परमाणु शस्त्रों से लैस चीन, चीन द्वारा पाकिस्तान को समर्थन दिया जाना, चीन द्वारा हिन्द महासागर पर आधिपत्य स्थापित करने के प्रयास एवं अमेरिका द्वारा इस क्षेत्र में सैन्य अड्डों की स्थापना उसकी सुरक्षा को खतरा पैदा करते हैं। (अधिक विवरण के लिए अनुभाग 22.2.2 देखें)

ऑस्ट्रेलिया और भारत
इकाई की रूपरेखा
उद्देश्य
प्रस्तावना
एक पृष्ठभूमि : ऑस्ट्रेलिया और भारत अंतःसंबंध
भिन्न दृष्टिकोण
सुरक्षा संबंधी
मुद्दे द्वि-पक्षीय संबंध
स्वतंत्रता के तुरंत बाद भारत स्थिति
लिबरल अनुदारवादी शासन : 1949-72
विटलैम अधीनस्थ लेबर सरकार 1972-75
फ्रेजर दौर (1975-83) और अनुदारवादी शासन की वापसी
हॉक अधीनस्थ लेबर सरकार
हावर्ड शासन
ऑस्ट्रेलिया भारत सम्बंध एक नये परिप्रेक्ष्य की ओर
क्षेत्रीय सहयोग के लिए हिन्द महासागर के किनारे वाले देशों का संघ
(इंडियन ओशन रिम असोसियशन फॉर रीजनल कोऑपरेशन)
आर्थिक संबंध
पोखरण प्प् और भारत-ऑस्ट्रेलियाई संबंध-प्प्
भारत के परमाणु परीक्षणों के प्रति ऑस्ट्रेलिया की प्रतिक्रिया
बदलती हुई कूटनीतिक वास्तविकताएं
ऑस्ट्रेलिया – भारत संबंध : संभावना और सिंहावलोकन
सन् 2000 से भारत – ऑस्ट्रेलियाई सामान्य संबंधों की पुनः शुरुआत
समान लक्षण
बेहतर संबंधों के लिए आर्थिक परमावश्यकताएं
अधिक प्रभावी राजनीतिक संचालन की आवश्यकता
एक समान रुचियाँ
सारांश
कुछ उपयोगी पुस्तकें
बोध प्रश्नों के उत्तर

 उद्देश्य
यह इकाई ऑस्ट्रेलिया और भारत के द्वि-पक्षीय संबंधों के बारे में है। भारत और ऑस्ट्रेलिया दोनों लोकतंत्र हैं और राष्ट्रों के कॉमनवेल्थ और हिन्द महासागर के किनारे वाले देशों के संघ के सदस्य भी हैं। इस काई का अध्ययन करने के पश्चात् आप :
ऽ ऑस्ट्रेलिया और भारत के भिन्न विश्व दृष्टिकोणों का वर्णन कर सकेंगे,
ऽ दोनों देशों के सुरक्षा परिप्रेक्ष्यों की तुलना कर सकेंगे,
ऽ भिन्न सरकारों के शासन के दौरान ऑस्ट्रेलिया और भारत के संबंधों का परीक्षण कर सकेंगे, तथा
ऽ भारत – ऑस्ट्रेलिया संबंधों की वर्तमान स्थिति का परीक्षण कर सकेंगे,