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प्रतिरक्षी तंत्र क्या है , परिभाषा , प्रकार immune system, definition, type

By   November 7, 2017

What is the immune system, definition, type  प्रतिरक्षी तंत्र क्या है , परिभाषा , प्रकार

प्रतिरक्षी तंत्र में घुलनशील अणु कोशिका उतक एवं लसिकाय अंग शामिल किये जाते है। पाचन जनन एवं श्वसन पथ की श्लेषमा से संबंधित लसिका ऊतक लगभग 50 प्रतिशत होता है जिसे श्लेष्मा सम्बंद्ध लिसिकाय ऊतक MALT  कहते है।

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 लसिकाभ अंग:-

वे अंग जहाँ लसिकाणुओं की उत्पत्ति परिपक्वन, प्रचुरोद भवन की क्रिया होती है उन्हें लसिका अंग कहते है जो निम्न है:-

।. प्राथमिक लसिकाय अंग:-

वे अंग जहाँ लसिका अणु उत्पन्न होते है एवं प्रतिजन संवेदनशील बनते है उन्हें प्रति प्राथमिक लसिकाय अंग कहते है जो निम्न है:-

1-अस्तिमज्जा:-

यह मुख्य लसिकाय अंग है जहाँ लसिका अणुओं सहित सभी प्रकार की रूधिर कोशिकाओं का निर्माण होता है।

2-थाइमस:-

यह एक प्राणियुक्त ग्रन्थि होती है जो बचपन में पूर्ण विकसित होती है एवं धीरे- छोटी होती जाती है युवावस्था मे ंयह एक तंतुमय डोरी के समान होती है।

II -द्वितीयक लसिकाय अंग:-

वे अंग जहाँ कोशिकाएं प्रतिजनों से क्रिया करके प्रचुर संख्या में बनती है उनहें द्वितीयक लसिकाय अंग कहते है। उदाहरण डप्ग्- लीहा ेच्स्म्म्त्प् यह सेम के बीज का आकार का है इसमें लसिकाणु एवं अक्षकाणु पाये जाते है यह त्ठब् का भण्डारण भी करता है।

यह रक्त में उपस्थित विजातीय पदार्थो को पहचाँनक प्रतिरक्षी उत्पन्न करता है तथा उन्हें नष्ट करता है।

 लसिका ग्रन्थियाँ:-

ये ठोस सरंचनाएं होती है जो लसिका में उपस्थित रोगाणुओं को नष्ट करती है।

चित्र

III. टांसिल – गले में स्थित होते है।

IV –  पेयर्स पेैचेज:-

ये आँत्तीय उपकला में स्थित होते है तथा भोजन में उपस्थित रोगाणुओं को नष्ट करते है।

V.   परिशोशिकाअपेन्डिक्स :- आहार नाल से संबंधित