सब्सक्राइब करे youtube चैनल
हुण्ड का नियम , हूंद का नियम हिंदी में (hund’s rule in hindi) : परमाण्विक भौतिकी में जर्मनी के वैज्ञानिक फ्रेडरिक हुण्ड ने 1927 में कुछ नियमों का एक सेट दिया जिन्हें हुण्ड के नियम कहा जाता है , उन नियमों के सेट में सबसे महत्वपूर्ण निम्न है –
समान ऊर्जाओं के की कक्षाओं में में पहले सब में एक एक इलेक्ट्रॉन भरा जाता है उसके बाद इलेक्ट्रॉन का युग्मन किया जाता है अर्थात समान ऊर्जा के ऑर्बिटलों में पहले एक एक इलेक्ट्रान भरा जाता है उसके बाद इलेक्ट्रॉन का जोड़ा बनता है , पहले भरे गए सभी इलेक्ट्रॉन का चक्रण समान होता है और इसके बाद इनका युग्मन हो पाता है , लेकिन यह नियम s कक्षा के लिए लागू नहीं होता है।
अत: इस नियम को निम्न प्रकार एक लाइन में परिभाषित कर सकते है –
“किसी भी कक्षक के सभी उपकक्षक में पहले एक एक इलेक्ट्रान भरा जाता है और इसके बाद युग्मन बनना शुरू होता है अर्थात जोड़ा बाद में बनाया जाता है पहले सब उपकक्षक में एक एक इलेक्ट्रान भरा जाता है। ”
जब कोई कक्षक पूर्ण रूप से आधा भरा हुआ हो या पूर्ण रूप से पूरा भरा हुआ हो तो यह कक्षक तुलनात्मक रूप से अधिक स्थायी होता है।
अत: हुण्ड के नियमानुसार किसी भी कक्षक के सभी उपकक्षकों में पहले एक एक इलेक्ट्रान भरने के बाद ही उनका युग्मन बनना शुरू होता है।
हुण्ड के इस नियम को अधिकतम बहुलकता का नियम भी कहते है।
हुण्ड का नियम s के लिए लागू नहीं होता है क्यूंकि s में पहले इलेक्ट्रान भरने के बाद ही दूसरा इलेक्ट्रान युग्मित हो जाता है।
अत: s में 1 इलेक्ट्रान के बाद युग्मन शुरू हो जाता है।
p में तीन इलेक्ट्रान भरने के बाद युग्मन शुरू होता है।
d में 5 इलेक्ट्रान भरने के बाद युग्मन प्रारंभ होता है।
f में 7 इलेक्ट्रान भरने के बाद युग्मन या जोड़ा शुरू होता है।
इस नियम का सीधा का तात्पर्य यह है कि जब किसी उपकोश में इलेक्ट्रान भरे जाते है तो इनमे एक से अधिक कक्षकों की उर्जाएँ समान होती है और चूँकि समान ऊर्जा कक्षकों में चक्रण समान रहते है इसलिए पहले एक एक इलेक्ट्रान भरने के बाद ही युग्मन बनना शुरू होता है।
उदाहरण :
समान ऊर्जाओं के की कक्षाओं में में पहले सब में एक एक इलेक्ट्रॉन भरा जाता है उसके बाद इलेक्ट्रॉन का युग्मन किया जाता है अर्थात समान ऊर्जा के ऑर्बिटलों में पहले एक एक इलेक्ट्रान भरा जाता है उसके बाद इलेक्ट्रॉन का जोड़ा बनता है , पहले भरे गए सभी इलेक्ट्रॉन का चक्रण समान होता है और इसके बाद इनका युग्मन हो पाता है , लेकिन यह नियम s कक्षा के लिए लागू नहीं होता है।
अत: इस नियम को निम्न प्रकार एक लाइन में परिभाषित कर सकते है –
“किसी भी कक्षक के सभी उपकक्षक में पहले एक एक इलेक्ट्रान भरा जाता है और इसके बाद युग्मन बनना शुरू होता है अर्थात जोड़ा बाद में बनाया जाता है पहले सब उपकक्षक में एक एक इलेक्ट्रान भरा जाता है। ”
जब कोई कक्षक पूर्ण रूप से आधा भरा हुआ हो या पूर्ण रूप से पूरा भरा हुआ हो तो यह कक्षक तुलनात्मक रूप से अधिक स्थायी होता है।
अत: हुण्ड के नियमानुसार किसी भी कक्षक के सभी उपकक्षकों में पहले एक एक इलेक्ट्रान भरने के बाद ही उनका युग्मन बनना शुरू होता है।
हुण्ड के इस नियम को अधिकतम बहुलकता का नियम भी कहते है।
हुण्ड का नियम s के लिए लागू नहीं होता है क्यूंकि s में पहले इलेक्ट्रान भरने के बाद ही दूसरा इलेक्ट्रान युग्मित हो जाता है।
अत: s में 1 इलेक्ट्रान के बाद युग्मन शुरू हो जाता है।
p में तीन इलेक्ट्रान भरने के बाद युग्मन शुरू होता है।
d में 5 इलेक्ट्रान भरने के बाद युग्मन प्रारंभ होता है।
f में 7 इलेक्ट्रान भरने के बाद युग्मन या जोड़ा शुरू होता है।
इस नियम का सीधा का तात्पर्य यह है कि जब किसी उपकोश में इलेक्ट्रान भरे जाते है तो इनमे एक से अधिक कक्षकों की उर्जाएँ समान होती है और चूँकि समान ऊर्जा कक्षकों में चक्रण समान रहते है इसलिए पहले एक एक इलेक्ट्रान भरने के बाद ही युग्मन बनना शुरू होता है।
उदाहरण :
चित्र में p कक्षक में इलेक्ट्रान भरने के विभिन्न विकल्प दिखाए गए है लेकिन हुण्ड के नियम के अनुसार स्थिति 1 और 3 गलत है जबकि स्थिति 2 सही है क्यूंकि हुण्ड के नियम के अनुसार किसी कक्षक के उपकक्षाओं में पहले एक एक इलेक्ट्रान भरा जाता है उसके बाद युग्मन बनता है इसलिए स्थिति 2 सही है।
हुण्ड के नियम के द्वारा Cr और Cu आदि के सही इलेक्ट्रॉनिक विन्यास लिखा जा सकता है और सही अध्ययन किया जा सकता है इसलिए हुण्ड का नियम परमाण्विक भौतिकी में बहुत ही महत्वपूर्ण नियम है।