समयुग्मज और विषमयुग्मज किसे कहते है ? समयुग्मज और विषमयुग्मज की परिभाषा क्या है ? homozygous and heterozygous

homozygous and heterozygous in hindi समयुग्मज और विषमयुग्मज किसे कहते है ? समयुग्मज और विषमयुग्मज की परिभाषा क्या है ? अंतर , वंशागति का सिद्धांत किसने दिया ,

आनुवंशिकी की महत्वपूर्ण शब्दावलियां

एलीलः वे जीन जो लक्षण को नियंत्रित करते हैं, एलील कहलाते हैं। ये जोड़े में होते हैं एवं प्रत्येक जीन एक-दूसरे का एलील कहलाता है। दोनों जीन मिलकर युग्म विकल्पी का निर्माण करते हैं।

समयुग्मजः किसी जीन या गुण को समान एलीलि कोड करने वाले दो के जोड़े।

विषमयुग्मजः किसी असमान एलील जोड़े।

समलक्षणीः जीवों के जो लक्षण प्रत्यक्ष रूप से दिखायी पड़ते हैंय उसे समलक्षणी कहते हैं।

समजीनीः किसी जीव या पादप की जीन संरचना उस जीवध्पादप की समजीनी कहलाती है।

जीन विनिमयः अर्द्धसूत्री विभाजन की सिनेप्सिस क्रिया के दौरान समजाती गुणसूत्रों के नान-सिस्टर क्रोमोटिड में संगत आनुवंशिक अण्डों का पारस्परिक विनिमय होता है जिससे संलग्न जीनों के नये संयोजन बनते हैं।

ऑटोसोम्सः ये गुणसूत्र की कायिक कोशिकाओं में पाये जाते हैं।

 जीनः डीएनए का वह छोटा खण्ड जिनमें आनुवंशिक कूट निहीत होता है।

जीनोमः गुणसूत्र में पाये जाने वाले आनुवंशिक पदार्थ को जीनोम कहते हैं।

बैक क्रॉसः यदि प्रथम पीढ़ी के जीनोटाइप से पित्तृपीढ़ी के जीनोटाइप में शुद्ध या संकर प्रकार का संकरण कराया जाता है, तो यह बैक क्रॉस कहलाता है।

सुजननिकीः आनुवंशिकी की वह शाखा जिसके अन्तर्गत मानव जाति को आनुवंशिक नियमों के द्वारा सुधारने का अध्ययन किया जाता है, उसे सुजननिकी कहते हैं।

गुणसूत्र प्रारूपः   पादप एवं जंतुओं में गुणसूत्र निश्चित लक्षण परिलक्षित करते हैं जैसे गुणसूत्र संख्या, आकार, परिमाण, भुजा की लंबाई, पिण्ड की स्थिति आदि। ऐसे लक्षण जिनके द्वारा अलग-अलग गुणसूत्रों को पहचाना जा सकता है, गुणसूत्र प्रारूप कहलाता है।

आनुवंशिक रोग

 रंग वर्णान्धताः व्यक्ति को लाल व हरे रंग का भेद नहीं हो पाता है।

 हीमोफीलियाः इसे रक्त स्रावण रोग या लिंग सहलग्न रोग भी कहते हैं। यह रोग पुरूषों में होता है।

 हंसियाकार रक्ताणु ऐनीमियाः यह रोग सुप्त जीन के कारण होता है। इस रोग में ऑक्सीजन की कमी के कारण आरबीसी (त्ठब्) हंसिया के आकार की होकर फट जाती है, जिसकी वजह से हीमोलिटिक एनीमिया रोग हो जाता है।

डाउन्स सिन्ड्रोमः ऐसे व्यक्ति में गुणसूत्रों की संख्या 47 होती है अर्थात इसमें 21वीं जोड़ी के गुणसूत्र दो के स्थान पर तीन होते हैं। इसमें जननांग समान होते हैं लेकिन पुरूष में नपुंसकता का रोग हो जाता है। इसे मंगोलियाई बेवकूफी भी कहते हैं।

 क्लाइनफेल्टर्स सिन्ड्रोमः इसमें लिंग गुणसूत्र दो के स्थान पर तीन (ग्ग्ल्) होते हैं। हालांकि इसमें एक अतिरिक्त ग्-गुणसूत्र की मौजूदगी के कारण वृषण तो होते हैं लेकिन उनमें शुक्राणु नहीं बनते हैं। ऐसे पुरूष नपुंसक होते हैं।

टर्नर्स सिन्ड्रोमः ऐसी स्थिति में एक ग्गुणसूत्र पाया जाता है। इनके जननांग अल्पविकसित होते हैं। वक्ष चपटा होता है। ये व्यक्ति नपुंसक होते हैं।

फीनाइल कीटोनूरियाः बच्चों के तंत्रिका ऊतक में फीनाइल ऐलेमीन के जमाव से अल्पबुद्धि हो जाती है। इसमें एनजाइम फीनाइल ऐलेमीन हाइड्रोक्सीलेज की कमी हो जाती है।

जीव विज्ञान की विभिन्न शाखाओं के जनक

जीव विज्ञान की शाखा  वैज्ञानिक

जन्तु विज्ञान  –  अरस्तु

प्रतिरक्षा विज्ञान –  एडवर्ड जेनर

आनुवंशिकी –  जी जे मेण्डल

जीवाणु विज्ञान – रॉबर्ट कोच

विकिरण आनुवंशिकी –  एच जे मुलर

रक्त परिसचरण –  विलियम हार्वे

तुलनात्मक रचना –  जी क्यूवियर

रुधिर वर्ग –  कॉर्ल लैंडस्टीनर

आधुनिक आनुवंशिकी –  बेटसन वर्गिकी केरोलस लीनियस

जीरोन्टोनोलॉजी –  वाल्डिमिर कोरनेचेवस्की

जीवाश्म विज्ञान –  लियोनार्डो द विन्ची

आधुनिक शारीरिकी –   एन्ड्रियस विसैलियस

आधुनिक भूणिकी –  कार्ल ई वॉन वेयर

चिकित्साशास्त्र –   हिप्पोक्रेट्स

उत्परिवर्तनवाद –  ह्यूगो डि ब्रीज

सूक्ष्मजैविकी –  लुई पाश्चर माइक्रोस्कोपी  मारसेलो माल्पीजी

एन्डोक्राइनोलॉजी –  थॉमस एडिसन