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hexadecimal number system in hindi षोडश-आधारी संख्या पद्धति क्या है , उदाहरण सहित व्याख्या

षोडश-आधारी संख्या पद्धति क्या है , उदाहरण सहित व्याख्या कीजिये hexadecimal number system in hindi ?

षोडश-आधारी संख्या पद्धति (Hexadecimal Number System) – इस संख्या पद्धति का उपयोग आजकल अभिकलित्रों में बहुतायत से होता है। इसका मूलांक 16 होता है संख्याओं को व्यक्त करने के लिए 16 अंकों के समूह का उपयोग किया जाता है। ये अंक है 0, 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, A, B, C, D, E, F। इन षोडश – आधारी अंकों के तुल्य मान निम्न सारिणी में दर्शाये गये हैं-

अन्य संख्या पद्धतियों के समान इस पद्धति में भी संख्या में षोडश आधारी बिन्दु के बायें तरफ वाले अंकों का स्थानिक मान मूलांक 16 के गुणन से क्रमशः बढ़ता जाता है तथा षोडशाधारी बिन्दु के दाँई और स्थानिक मान 1/16=(16)-1 के गुणन से क्रमशः घटता जाता है। उदाहरणार्थ—

अतः

दशमलव पद्धति में उपरोक्त संख्या को लिख सकते हैं।

उपरोक्त तुल्यता पूर्णतः यथार्थ नहीं होती है इसके अन्तिम अंकों में त्रुटि आ सकती है।

पूर्णांक दशमलव संख्या का षोडशाधारी संख्या में रूपान्तरण-पूर्णांक दशमलव संख्या को पीछे प्रयुक्त विधि द्वारा षोडशाधारी संख्या में परिवर्तित कर सकते हैं, परन्तु 2 या 8 का उत्तरोत्तर भाग न देकर 16 से उत्तरोत्तर विभाजन करते हैं। उदाहरणार्थ – N = (1978) 10

भिन्न दशमलव संख्या का षोडशाधारी संख्या में रूपान्तरण- इसमें भी पीछे प्रयुक्त विधि के अनुरूप 16 का उत्तरोत्तर गुणन करते हैं। प्रत्येक स्तर पर प्राप्त पूर्णांक षोडशाधारी अंक होता है। प्रथम गुणन से प्राप्त अंक सर्वाधिक सार्थक अंक होता है।

उपरोक्त तुल्यता पूर्णत: यथार्थ नहीं होती है। इसके अन्तिम अंकों में त्रुटि आ सकती है।

षोडशाधारी संख्या का द्विआधारी संख्या में रूपान्तरण- यदि षोडशाधारी संख्या में अंकों को उनके तुल्य 4 द्वयंकों (bits) (द्विआधारी अंकों) से प्रतिस्थापित कर दें तो षोडशाधारी संख्या के तुल्य द्विआधारी संख्या प्राप्त हो जाती है।

अतः

(0.1 EB4) 16 (0.00011110101101)2

द्विआधारी संख्या का षोडशाधारी संख्या में रूपान्तरण-किसी भी द्विआधारी संख्या को षोडशाआधा संख्या में रूपान्तरण के लिये द्विआधारी बिन्दु से प्रारंभ कर बाँई और तथा दाँई और चार-चार द्वयंकों का समूह बना कर उनके मान षोडशाधारी अंकों के रूप में लिख लेते हैं। परिणामी संख्या षोडशाधारी संख्या होती है। उदाहरणार्थ-

अतः उपरोक्त द्विआधारी संख्या के तुल्य षोडशआधारी संख्या होगी-

(29 AF.1EA)16

द्विआधारी अंकगणित ( BINARY ARITHMATIC)

द्विआधारी संख्याओं का योग, व्यवकलन, गुणन तथा भाग दशमलव पद्धति के समान होता है।

(i) द्विआधारी योग (Binary addition)- द्विआधारी संख्याओं का योग करने के लिए निम्न चार नियमों का

उपयोग करते हैं-

(a) 0 + 0 = 0

(b) 0 + 1 = 1अर्थात् शून्य में शून्य जोड़ने पर शून्य प्राप्त होता है।

अर्थात् शून्य में एक जोड़ने पर एक प्राप्त होता है।

(c) 1 + 0 = 1

(d) 1 + 1 = 10अर्थात् 1 में 1 जोड़ने पर उनके योग के स्तम्भ में शून्य आता है और अगले उच्च क्रम के स्तम्भ में एक हासिल चला (carry) जाता है ।

(ii) द्विआधारी व्यवकलन (Binary subtraction) – किन्हीं दो द्विआधारी संख्याओं का अन्तर ज्ञात करने

के लिए निम्न चार नियमों का उपयोग करते हैं।

(a) 0 0 = 0 अर्थात् 0 में से 0 घटाने पर 0 आता है।

(b) 1 – 0 = 1 अर्थात् 1 में से 0 घटाने पर 1 आता है।

(c) 1 – 1 = 0 अर्थात् 1 में से 1 घटाने पर 0 आता है।

(d) 10 – 1 = 1 अर्थात् 0 में से 1 घटाने पर 1 आता है परन्तु उच्च क्रम के स्तम्भ में से 1 उधार लेना पड़ेगा।

वैकल्पिक विधि-व्यवकलन (घटाने) की एक अन्य विधि है जिसमें ऋणात्मक राशि को उसके 2 के (complement) संख्या से प्रतिस्थापित कर जोड़ देते हैं। तत्पश्चात् प्राप्त संख्या के सबसे बाँई ओर के अंक से 1 घ देते हैं।

उदाहरणार्थ- 10101 में से 1011 घटाना है।

ऋणात्मक राशि 1011 है। इसकी 2 की पूरक संख्या ज्ञात करने के प्रत्येक द्वयंक को 1 में से घटाते हैं और फिर प्राप्त संख्या में 1 जोड़ते हैं।

(iii) द्विआधारी गुणन (Binary multiplication) – द्विआधारी गुणन दशमलव गुणन के समान होता है अर्थात्

(iv) द्विआधारी विभाजन (Binary division ) – दशमलव भाग के समान जाँच और त्रुटि विधि (trial and error method) का उपयोग कर द्विआधारी भाग कर सकते हैं।

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