हेपेटाइटिस-A व हेपेटाइटिस B किसके कारण होता है , hepatitis a and b disease discovered by in hindi

hepatitis a and b disease discovered by in hindi हेपेटाइटिस-A व हेपेटाइटिस B किसके कारण होता है ?

परिचय एवं इतिहास ( Introduction and history)

रोगजनक (Causative agent) : मेककैल्लम (Mac Callum) ने 1947 में सर्वप्रथम हिपेटाइटिस-A व हिपेटाइटिस B नामों का उपयोग इस महामारी हेतु किया जिसे सीरम हिपेटाइटिस (serum hepatitis) भी कहते हैं । विषाणिक A हिपेटाइटिस गुदीय-मुख पथ द्वारा जबकि B हिपेटाइटिस प्राथमिक तौर पर जन्म के समय ही जनकों द्वारा शिशु में होता है।

1963 में ब्लूमबर्ग (Blumberg) ने एक आस्ट्रेलियन रोगी के रक्त में एक विशिष्ट प्रोटीन खोजा जिसे Au प्रतिजन (Au-antigen) नाम दिया गया। (यहाँ Au से आशय आस्ट्रेलिया से है) प्रिन्स ओकोची एवं मुरेक्मी (Prince Okachi and Mutrakami) ने पाया कि इसी प्रकृति का प्रोटीन B-हिपेटाइटिस के रोगियों के रक्त में भी पाया जाता है।

1973 में दाने (Dane) ने हिपेटाइटिस B के रोगियों के सीरम में विषाणु समान कण पाये। इन्हें हिपेटाइटिस-B विषाणु HBV नाम प्रदान किया गया। वैज्ञानिक कपलान (Kaplan) ने इस कणों को इनमें उपस्थित DNA आश्रित DNA के आधार पर हिपेटाइटिस B का विषाणु होना प्रमाणित किया।

राबिन्सन (Robinson) ने इस विषाणु के जीनोम की खोज की। इनका जीनोम अत्यन्त सघन ‘ (compact) प्रकार का होता है। यह उत्क्रम अनुलेखन पर आश्रित होता है। इसके विरिआन में प्राथमिक डी.एन.ए. होता है। इसे हिपेडनेविरिडे (Hepadnaviridae) कुल में रखा गया है। इस कुल में अन्य उष्ण रक्त वाले जीवों (बतख, गिलहरी, बर्फीले हंस, वुडचक एवं वानर ) के HDV भी आते हैं।

यह विषाणु हिपेटाइटिस B विषाणु (Hepatitis B virus) कहलाता है इसमें जीनोम (genome) अंशत: (partial) ds DNA (दोहरी लड़ीय डी.एन.ए.) होता है। इसका परिपाक काल (incubation time) 30–180 दिन का होता है। इसका संक्रमण मुख्यतः रक्त अथवा लैंगिक सम्पर्क द्वारा होता है। इसका उपचार आरम्भ में ही लक्षणों के आधार पर आरम्भ कर देना चाहिये तथा रोग से बचने हेतु टीके लगवाना चाहिए ।

(iii) हिपेटाइस-B विषाणु का जीवन चक्र (Life cycle of hepatitis -B virus): इस विषाणु का रोगी में प्रवेश रक्त के माध्यम से अथवा लैंगिक सम्बन्धों के दौरान दैहिक तरल सम्पर्क के कारण होता है । विषाणु रक्त के साथ यकृत की कोशिकाओं तक लाया जाता की कोशिकाएं ही वे विशिष्ट कोशिकीय प्रकार या प्रकृति की है जो इसे प्रतिकृतिकरण में सहायक होती है। संक्रमणित व्यक्ति के यकृत की मोनोन्यूक्लियर कोशिकाओं, पित्त वाहिनियों की उपकला है व आन्तरिक कला, अग्नाशय की गुच्छिकाओं की कोशिकाएँ, चिकनी पेशियाँ, एड्रीनल ग्रन्थि,  जनद, वृक्क, लसिका गाँठें, प्लीहा, थायराइड ग्रन्थि एवं संवर्धनशील अस्थि मज्जा कोशिकाओं में भी हिपेटाइटिस B विषाणु मध्यस्थ के रूप मे अनुलेखन कर सकता है। अर्थात् विषाणु एवं ऊत्तक में संलग्न हेतु पोषक-ऊत्तक विष्टिता पायी जाती है । हिपेटाइटिस B विषाणु की सतह पर अनेक विशिष्ट प्रोटीन उपस्थित रहते हैं जो पोषक के कोशिका की सतह पर संलग्न होने में सहायक होते हैं। ग्राही की सतह पर पाये जाने वाले एपोलीपोप्रोटीन (apolipoprotein) H (apo-H), पॉली ह्यूमन सीरम एल्बुमिन (poly-human serum albumin) (pHSA), फाइब्रोनेक्टिन तथा इन्टरल्युकिन-6 (IL-6) इनमें भूमिका रखते हैं।

ऐसा माना जाता है कि विषाणु के पोषक कोशिका के सम्पर्क के उपरानत बाहरी प्रोटीन आवरण से निकल कर न्युक्लिओकेप्सिड कोशिका में मुक्त हो जाता है। न्युक्लिओकेप्सिड कोशिका की केनद्रक झिल्ली तक लाया जात है, हिपेटाइटिस B जीनोम कोशिका की केन्द्रक कला से आवरण रहित अवस्था में संलग्न हो जाता है।

HBV DNA पोषक कोशिका के केन्द्रक में बन्द वृत्ताकार अवस्था (closed circular form) (CCC DNA) में बदल जाता है। यह क्रिया जीनोम रिपेयर (genome repair) कहलाती है। इस क्रिया हेतु ds DNA (double stranded) DNA का पूर्ण होना एवं 5′ अन्तस्थ संरचना (5’ terminal structure) का अलग होना तथा तन्तुओं का कोवेलेन्ट लाइगेशन आवश्यक होता है। इस पद हेतु हिपेटाइटिस B पॉलीमरेज प्रोटीन की आवश्यकता नहीं होती । पोषक कोशिका के केन्द्रक में HBV प्रोटीन का एवं pgRNA का संश्लेषण आरम्भ कर देता है । इस प्रकार यह अपनी न्युक्लिओकेप्सिड असेम्बली का निर्माण कर लेता है।

pgRNA का उत्क्रम अनुलेखन कोर प्रोटीन्स के पॉलिमरेज साथ बन्ध बनाने के उपरान्त आरम्भ होता है। उत्क्रम अनुलेखन अथवा DNA प्रतिकृतिकरण की क्रिया सम्भवतः केप्सिड बन जाने के बाद आरम्भ होती है। pgRNA के dsDNA में बदलने की क्रिया का पूर्ण ज्ञान नहीं हो पाया है। पोषक कोशिका की अन्तःप्रद्रव्यी जालिका (endoplasmic reticulum) एवं गॉल्जी काय द्वारा विषाणु की सतह पर पाये जाने प्रोटीन्स का संश्लेषण किया जाता है। इस प्रकार निर्मित न्युक्लिओकेप्सि कोशिका कला से बाह्यकोशिकाषण ( exocytosis) विधि द्वारा बाहर मुक्त हो जाते हैं।

रोगी के सीरम में संक्रमणशील तथा असंक्रमणशील विषाणु अत्यधिक मात्रा मं पाये जाते हैं इन्हें दाने के कण (Dane’sparticle) भी कहते हैं। यह नाम इनके खोजकर्त्ता के नाम के आधार पर दिया गया है इनका व्यास लगभग 42nm होता है। इसकी बाह्य सतह पर हिपेटाइटिस सतही प्रोटीन्स की अत्यधिक मात्रा पायी जाती है। यह बाह्य आवरण भीतरी न्युक्लिओकेप्सिड को ढकता हुआ पाया जाति है जो 180 हिपेटाइटिस क्रोड प्रोटीन्स से बना होता है ये प्रोटीन्स विषफलकीय (icosahedral) व्यवस्था बनाते हुये पाये जाते हैं। न्युक्लिओकोप्सिड में एक हिपेटाइटिस B पॉलिमरेज प्रोटीन एवं HBV जीनोम भी उपस्थित होता है।

रोगी के सीरम में उप विषण्विक कण जिन्हें तन्तु (filament) एवं वृत (sphere) कहते हैं, भी पाये जाते हैं ये 22 nm व्यास के होते हैं तथा केवल हिपेटाइटिस B सतही प्रोटीन से रचित होते हैं।

सम्भवतः ये असंक्रमणशील प्रकृति के होते हैं क्योंकि इनमें हिपेटाइटिस क्रोड, पॉलिमरेज व जीनोम अनुपस्थित होता है।

असंक्रमणशील विषाण्विक कण रोगी के सीरम में तीव्र प्रावस्था ( acute phase) में अत्यधिक संख्या में पाये जाते हैं ।

(vi) प्रयोगशाला परीक्षण (Laboratory diagnosis) : (i) रोगी के रक्त का परीक्षण किया जाता है। रक्त में HBs एन्टीजन के पाये जाने पर यह तय हो जाता है कि रोगी की देह में हिपेटाइटिस B का संक्रमण हो गया है। रोगी के सीरम में “दाने के कण” एवं उपविषाण्विक क तन्तु (filament) एवं वृत्त (sphere) जो 22 mn व्यास के होते हैं, पाये जाते हैं।

(ii) चिकित्सक यकृत की बायोप्सी करके यकृत में रोगी की स्थिति की जाँच करते हैं।

(v) उपचार एवं रोकथाम (Treatment and prevention) : रोग का कोई विशिष्ट उपचार नहीं है। हिपेटाइटिस-B हेतु प्रतिरक्षी सीरम ग्लोबुलिन जो एन्टी – HBs से तैयार किया गया है, के अन्तरापेशी इन्जेक्शन दिये जाते हैं। इसके टीके लगाने से भी कुछ लाभ रोग की अवस्था में हो सकता है।

इसका टीका शुद्ध HBs- एन्टीजन से प्राप्त किया जाता है। यह एन्टीजन हिपेटाइटिस B रोगी वाहक के प्लाज्मा से प्राप्त किया जाता है। अतः महँगा होने के साथ ही साथ उपलब्ध भी कम मात्रा में होता है। टीके से रोग के प्रति काफी सुरक्षा प्राप्त की जा सकती है। रोगी के रक्त का परीक्षण करके इसकी जाँच की जाती है। यकृत की बायोप्सी (biopsy) करके रोग की स्थिति एवं यकृत की अवस्था की जाँच की जाती है।

रोगी को उपचार हेतु इन्टरफेरॉन (interferon) दिया जाता है। अधिकतर रोगी चार माह में ठीक हो जाते हैं। एक अन्य औषधि लेमीव्यूडीन (Lamivudine) के एक वर्ष तक लेने से लाभ होता है। यह उपचार काफी महँगा होने के कारण अनेक लोग इलाज कराने में असमर्थ रहते हैं । यकृत चूंकि देह के लिये अत्यन्त महत्वपूर्ण आवश्यक अंग एवं ग्रन्थि है यह अनेकों कार्य करता है अतः खराब हो जाने की स्थिति में यकृत का प्रतिरोपण (transplantation) किया जाता है । यकृत में केन्सर होने के बाद जीवित कम ही लोग रह पाते हैं। यह 35-65 वर्ष की आयु में होता है।

रोग से बचने हेतु निम्न सुरक्षात्मक उपाय अपनाये जा सकते हैं-

  • लैंगिक सम्बन्ध स्थापित करते समय कन्डोम का उपयोग करें।

(ii) पूर्व में कम में ली गयी सुइयों का उपयोग न करें।

(iii) यदि आप रक्त को छूते हैं तो दस्ताने का उपयोग करें।

(iv) रोगी के टूथब्रश, रेजर या अन्य वस्तु जहाँ रक्त का स्पर्श होता हो उपयोग न करें।

(v) यदि देह को भेदना या बेंधन (piercing) कराना हो तो निजर्मित औजारों का उपयोग करें।

प्रश्न (Questions)

  1. निम्नलिखित के अतिलघु उत्तर दीजिये ।

Give very short/one word answer for the following.

  1. एड्स का अर्थ बताइये |

Explain AIDS.

  1. एड्स के खोजकर्ता कौन हैं ?

Who is discoverer of AIDS.

  1. एड्स का अन्य नाम बताइये ।

Write the other name of AIDS.

  1. एड्स रोग हेतु जो परीक्षण किया जाता है उसे क्या कहते हैं ?

The test performed for the diagnosis of aids what it is called?

  1. हिपेटाइटिस B के रोगी का मुख्य लक्षण क्या होता है ?

What is the main symptom of hepatities-B patient.

  1. HIV उत्पत्ति का होना विश्व के किस भाग में माना जाता है ?

In which part of world origin of HIV is considered.

  1. प्रसार के अनुसार एड्स किस प्रकृति का रोग है ?

According to dispersion what type of disease AIDS is?

  1. HIV हेतु मुख्य ग्राही कोशिका कौनसी होती है ?

Which is the main receptor cell for HIV.

  1. HIV विषाणु की समाकलित अवस्था क्या कहलाती है ?

By which name intergrated phase of HIV virus is known.

  1. एड्स के संक्रमण की तीनों अवस्थाओं के नाम लिखिये ।

Write down the names of three stages of AIDS infections.

  1. हिपेटाइटिस रोग का परीक्षण रक्त में क्या जाँच कर किया जाता है ?

For the test of hepatitis disease what is sean in blood.

  1. किस वैज्ञानिक द्वारा हिपेटाइटिस Aव हिपेटाइटिस B नाम सर्वप्रथम उपयोग में लाये गये ।

Which scientist used the names of hepatitis A and hepatitis B for the first time?

  1. निम्नलिखित रोगो के रोगजनकों के नाम लिखिये । डिफ्थीरिया, मस्तिष्क ज्वर, तपेदिक व टिटनेस |

Mention the names of pathogen causing following disease Diptheria, maningitidis, tuberculosis, and tetnus.

  1. स्ट्रेप्टोकाकस बैक्टीरिया की खोज एवं नामकरण किसने किया था ?

Who discovered and named streptrococus Bacterial ?

  1. कौनसी बैक्टीरिया जाति द्वारा डिपिथरिया होता है ?

Which bacteria species cause diptheria. disease?

  1. कौनसा जीवाणु टेटनस करता है ?

Which bacteria causes tetanus.

  1. कोर्निबैक्टीरियम बैसिलाई द्वारा कौनसा रोग होता है।

Which disease in caused by cornybacterium.

  1. कौन से एटैन्यूिएटिरड वायरस टीका, भरा हुआ सालमोनेला टाइफि एवं ट्यूबरकल बेसिलस से सम्बन्धित है ?

Give examples of discuss related with attenuated virus vaccine, killed salmonells typhi and BCG vaccine.

  1. निम्नलिखित रोगों के रोगजनकों के नाम लिखिये ।

Mention the names of pathogens causing following diseases.

(i) मेनिनजाइरिस (meningitids) (ii) डिफ्थीरिया (Dipheria) (ii) लेप्रोसी (leprosy) (iv)

प्रवाहिका (Diarrhoea)

  1. निम्नलिखित रोगों के रोगजनकों के नाम लिखिये ।

Mention the names of pathogens causes following disease.

गोनोरिया (Gonorrhoea), कुष्ठ (Leprosy), एड्स AIDS, टेटनस (Tetnus)

  1. रोगजनक को परिभाषित कीजिये ।

Define pathogen.

  1. लघु उत्तर वाले प्रश्न

Short answer questions.

  1. एड्स व हिपेटाइटिस B रोग के फैलने में क्या समानताएँ हैं, लिखिये।

Write down the similerties found in spreading of AIDS and hepatitis.

  1. HIV की संरचना का उल्लेख कीजिये।

Describe the structure of HIV.

  1. एड्स रोगी की अन्तिम अवस्था के लक्षण बताइये ।

Write the symptoms found in AIDS patient in last phase.

  1. हिपेटाइटिस B के संक्रमण के क्या कारण हैं ?

What are the reasons of hepatitis-B injection?

  1. हिपेटाइटिस B के जीवाणु की संरचना बताइये ।

Describe the structure of hepatitis-B.

  1. काढ़ / लेप्रोसी के बारे में संक्षेप में लिखिये ।

Write in brief about leprosy.

  1. तपेदिक पर टिप्पणी कीजिये ।

Write note on tuberculosis.

  1. प्रवाहिका पर टिप्पणी कीजिये ।

Write not on Diarrhoea.

  1. प्रतिआविष तैयार किये जाने के बारे में लिखिये।

Write about preparation of anti toxin.

  1. टेटनस पर टिप्पणी लिखिये ।

Write a note on tetanus.

  1. मेनिन्जाइटिस पर टिप्पणी लिखिये ।

Write a note on meningites.

  1. डिफ्थीरिया रोग के जीवाणु के मुख्य लक्षण देते हुए रोग व उपचार की विधि पर लेख लिखिये ।

Describe the maineharacters of diptheria also give an account of diesease mode of  treatment:

  1. हिपेटाइटिस पर टिप्पणी कीजिये ।

Write short note on hepatitis.

III. दीर्घ उत्तर वाले प्रश्न

  1. एड्स विषाणु की संरचना व लक्षणों का उल्लेख कीजिये।

Describe the structure and characters of AIDS virus.

  1. एड्स पर लेख लिखिये ।

Write an essay on AIDS.

  1. हिपेटाइटिस B क्या है ? विस्तार से लिखिये ।

What is hepatitis – B? describe in detail.

  1. हिपेटाइटिस-B विषाणु के रोगजनक, संचरण रोगजनकता, निदान उपचार व बचाव का वर्णन कीजिये ।

Describe the about the pathogen transmission pathgeni city diagram of hepatitis-B.

  1. HIV की उत्पत्ति, संरचरण एवं उपचार पर लेख लिखिये ।

Write an account on origin, transmision and treatment of HIV.

  1. संक्षिप्त में एड्स के रोगजनक, संचरण, रोगजनकता, निदान उपचार व बचाव का वर्णन कीजिये।

Describe briefly about pathogein, transmission pathogenicity diagnosis treatment and prevention of AIDS.