हाथ कंगन को आरसी क्या कहावत का अर्थ क्या है हाथ कंगन को आरसी क्या पढ़े लिखे को फारसी क्या

हाथ कंगन को आरसी क्या पढ़े लिखे को फारसी क्या वाक्य प्रयोग लिखिए हाथ कंगन को आरसी क्या कहावत का अर्थ क्या है ? hath kangan ko aarsi kya muhavare ka matlab in hindi

निम्नलिखित लोकोक्तियों का अर्थ दिये गये विकल्पों में से चुनिए-
6. पराधीन सपने हुँ सुख नाहीं- हरियाणा टी.ई.टी.
(अ) पराधीनता अभिशाप है।
(ब) पराधीन पुत्री को सुख न मिलना ।
(स) पुत्री अभिशाप है।
(द) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर-(अ) पराधीनता अभिशाप है।
ज्ञान-पराधीन सपनेहुँ सुख नाहीं = पराधीनता में सुख प्राप्त नहीं होता।
प्रयोग-तुलसी ने ठीक ही लिखा है- पराधीन सपनेहुँ सुख नाहीं । पराधीन व्यक्ति को दूसरों की गुलामी करनी पड़ती है और गुलामी में व्यक्ति को सुख नहीं है।
7. हाथ कंगन को आरसी क्या- हरियाणा टी.ई.टी.
(अ) प्रत्यक्ष के लिए प्रमाण की क्या आवश्यकता।
(ब) अँगुली पर नाचना।
(स) फारसी पढ़ना।
(द) मूल्यवान के आगे तुच्छ का विकास न होना।
उत्तर-(अ) प्रत्यक्ष के लिए प्रमाण की क्या आवश्यकता। ल्न्ज्ञज्प् ज्ञान-हाथ कंगन को आरसी क्या? = प्रत्यक्ष को प्रमाण की क्या आवश्यकता।
प्रयोग-अखबार पढ़ने वाले उस व्यक्ति से टेलीग्राम पढ़वा लें क्योंकि वह पढ़ा-लिखा है। कहा गया है – हाथ कंगन को आरसी क्या और पढ़े लिखे को फारसी क्या?
8. जिन खोजा तिन पाइया गहरे पानी पैठ-
(अ) कठिन परिश्रम से लक्ष्य मिलता है।
(ब) व्यर्थ की वकवास नहीं करनी चाहिए।
(स) अधिक परिश्रम का कम फल मिलना।
(द) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर-(अ) कठिन परिश्रम से लक्ष्य मिलता है।
ज्ञान-जिन खोजा तिन पाइया गहरे पानी पैठ = कठिन परिश्रम से लक्ष्य प्राप्त होता है।
प्रयोग-उसने परिश्रम करके अंततः आईएएस की परीक्षा पास कर ही ली क्योंकि उसका विश्वास था कि जिन खोजा तिन पाइया गहरे पानी पैठ।
9. अधजल गगरी छलकत जाय- उ.प्र.टी.ई.टी.
(अ) प्रदर्शन करना।
(ब) ओछा व्यक्ति प्रदर्शन अधिक करता है।
(स) वकवादी होना।
(द) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर-(ब) ओछा व्यक्ति प्रदर्शन अधिक करता है।
ज्ञान-अधजल गगरी छलकत जाय = ओछा व्यक्ति प्रदर्शन अधिक करता है।
प्रयोग-मोहन विद्वान है परन्तु वह तभी अपनी राय देता है जब कोई माँगता है जबकि श्याम हर जगह बोलकर अपनी विद्वता प्रदर्शित करता है, भले ही गलत जानकारी दे रहा हो। इसे देखकर कोई कहने लगा कि इस पर तो वही कहावत चारितार्थ होती है कि अधजल गगरी छलकत जाये।
10. इमली के पात पै बरात का डेरा- हरियाणा टी.ई.टी.
(अ) स्वयं अनुभव करना (ब) स्थान थोड़ा पर भीड़ अधिक
(स) काम न करना (द) इनमें से कोई नहीं
उत्तर-(ब) स्थान थोड़ा पर भीड़ अधिक
ज्ञान-इमली के पात पै बरात का डेरा = स्थान छोटा पर भीड़ अधिक।
प्रयोग-आपने सेमीनार के लिए 100 कुर्सियों वाला हाल बुक करवाया वही मिसाल लागू कर दी कि इमली के पात पर बरात का डेरा।
11. ‘नाच न जाने आँगन टेढ़ा‘ का अर्थ है- हरियाणा टी.ई.टी.
(अ) काम न जानना और बहाना बनाना।
(ब) नाच न जानना।
(स) तत्परता से काम न करना।
(द) काम बिगाड़ना।
उत्तर-(अ) काम न जानना और बहाना बनाना ।
ज्ञान-नाच न जाने आँगन टेढ़ा = काम न जानना परन्तु बहाने बनाना।
प्रयोग-राधा से गाना तो आता नहीं पर गला खराब होने की बात कहने पर लोग कहने लगे कि नाच न जाने आँगन टेढ़ा वाली कहावत चरितार्थ हो रही है।
12. ‘आ बैल मुझे मार‘ का अर्थ बताइए-
(अ) जान-बूझकर मुसीबत में पड़ना।
(ब) कायर होते हुए बल प्रदर्शन करना ।
(स) छेड़छाड़ करना।
(द) बलशाली के सामने वीरता दिखाना।
उत्तर-(अ) जान-बूझकर मुसीबत में पड़ना।
ज्ञान-आ बैल मुझ मार = जान-बूझकर मुसीबत में पड़ना।
प्रयोग-उस दुष्ट से दूर रहने में ही भलाई है पर तुम हो कि उससे बारबार उलझकर आ बैल मुझे मार की कहावत चरितार्थ कर रहे हो।
13. श्थाली का बैंगन होनाश् का अर्थ है- हरियाणा टी.ई.टी.
(अ) थाली के बीच बैंगन होना
(ब) सिद्धान्तहीन होना
(स) उछलकूद करना
(द) बैंगनी रंग का होना
उत्तर-(ब) सिद्धान्तहीन होना ।
ज्ञान-थाली का बैंगन होना = सिद्धान्तहीन होना।
प्रयोग-नेताजी की बात मत करो । वे तो टिकट पाने के लिए किसी भी पार्टी में जा सकते हैं क्योंकि वे तो थाली के बैंगन हैं।
14. लोहे के चने चबाना- हरियाणा टी.ई.टी.
(अ) आसानी से काम होना।
(ब) लोहे से बना चना खाना।
(स) कठिन परिश्रम करना।
(द) चने पर लोहे का पानी चढ़ाना।
उत्तर-(स) कठिन परिश्रम करना।
ज्ञान-लोहे के चने चबाना = कठिन परिश्रम करना ।
प्रयोग-अध्यापक बनाना सरल नहीं है। इसके लिए बच्चू लोहे के चने चबाने पड़ते है।
15. ‘एक पंथ दो काज‘ का अर्थ है-
(अ) बहुत से लाभ उठाना।
(ब) अत्यन्त लोभी होना।
(स) अलग मार्ग पर चलना।
(द) एक उपाय से दो कार्य सम्पन्न करना।
उत्तर-(द) एक उपाय से दो कार्य सम्पन्न करना ।
ज्ञान-एक पंथ दो काज = उपाय से दो कार्य सम्पन्न करना।
प्रयोग-इलाहाबाद में हाईकोर्ट में मुकदमे की तारीख भी कर आया और संगम स्नान भी इस प्रकार एक पंथ दो काज हो गए।
16. तलवे चाटना-
(अ) खुशामद करना। (ब) प्रशंसा करना।
(स) लालची होना। (द) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर-(अ) खुशामद करना।
ज्ञान-तलवे चाटना = खुशामद करना।
प्रयोग- जिसने अपने मन को वश में कर लिया है और जो लोभ-लालच से दूर है उसे किसी के तलवे चाटने की क्या जरूरत है?
17. तीन तेरह होना-
(अ) नष्ट होना। (ब) बिखर जाना।
(स) मुसीबत पड़ना। (द) कहीं का न रहना।
उत्तर-(ब) बिखर जाना।
ज्ञान-तीन तेरह होना = बिखर जाना।
प्रयोग- पिता के मरते ही उसका सारा परिवार मुकदमेबाजी में फंसकर तीन-तेरह हो गया।
18. कहाँ राजा भोज कहाँ गंगू तेली- उ.प्र.टी.ई.टी.
(अ) बहुत अन्तर होना।
(ब) दिखावा करना ।
(स) जबर्दस्ती गले पड़ना।
(द) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर-(अ) बहुत अन्तर होना।
ज्ञान-कहाँ राजा भोज कहाँ गंगू तेली = बहुत अन्तर होना।
प्रयोग- भाई मैं सेठ बालकिशन की बराबरी नहीं कर सकता। उनकी मेरी आमदनी में कोई तुलना नहीं क्योंकि कहाँ राजा भोज और कहाँ गंगू तेली।
19. छाती पर मूंग दलना-
(अ) परेशानी उठाना।
(ब) बुरा मानना।
(स) साथ में रहकर तंग करना।
(द) कुछ भी न करना।
उत्तर-(स) साथ में रहकर तंग करना
ज्ञान-छाती पर मूंग दलना = पास रहकर परेशान करना।
प्रयोग- झगड़ालू बहू ने सास से कहा – मैं कहीं जाने वाली नहीं यहीं रहकर आपकी छाती पर मूंग दलूँगी।
20. कुएँ में बाँस डालना- उ.प्र.टी.ई.टी.
(अ) बहुत खोजबीन करना। (ब) परिश्रमी होना।
(स) कठिन होना। (द) लालच करना।
उत्तर-(अ) बहुत खोजबीन करना ।
ज्ञान-कुएँ में बाँस डालना = बहुत खोजबीन करना
प्रयोग- पुलिस ने हत्या का सुराग लगाने के लिए कुएँ में बाँस डाले पर शव प्राप्त न हो सका।