ग्लूकोज की विवृत श्रृंखला संरचना , चक्रीय संरचना , α व β- D glucose , ऐनोमर

ऐमिल फिशर ने ग्लूकोज की निम्न विवृत श्रृंखला संरचना दी :

इसे निम्न नाम से व्यक्त करते है।
D-(+) – glucose
यहाँ D = विन्यास को व्यक्त करता है।
जबकि (+) चिन्ह घूर्णन की दिशा अर्थात दक्षिण ध्रुवण घूर्णता को व्यक्त करता है।
नोट : यदि ग्लूकोस में सबसे निचे स्थित असममित कार्बन परमाणु से -OH समूह दाएं हाथ की ओर हो तो इसका विन्यास D जबकि बायीं ओर होने पर इसका विन्यास L होगा।
ग्लूकोज की चक्रीय संरचना : 
ग्लुकोस की ओपन चैन स्ट्रक्चर निम्न गुणों की व्याख्या नहीं करती
1. ग्लुकोस सोडियम बाई सल्फाइड , 2-4 DNP से क्रिया नहीं करती जबकि इसमें कार्बोनिल समूह उपस्थित है।
2. यह शिफ़ अभिकर्मक से क्रिया नहीं करती जबकि इसमें एल्डिहाइड समूह उपस्थित है।
3. ग्लुकोस पेंटा एसिटेट में C , H , O समूह होते हुए भी यह हाइड्रोक्सिल ऐमिन से क्रिया नहीं करता।
4. α – D glucose  व β – D – glucose के बनने को नहीं समझाया जा सकता।
उपरोक्त गुणों की व्याख्या करने के लिए ग्लुकोस की चक्रीय संरचना दी गयी।
ग्लुकोस में C-1 व C-5 कार्बन के मध्य अन्तः क्रिया से चक्रीय संरचना का निर्माण होता है , चक्रीय संरचना में दो C-1 कार्बन अन्य कार्बनों से भिन्न होता है यह कार्बन परमाणु दो ऑक्सीजन परमाणुओं से जुड़ा होता है यदि C-1 कार्बन पर -OH समूह दायी ओर है तो उसे α – D glucose , यदि बायीं ओर है तो उसे  β – D – glucose कहते है।
ऐनोमर :
ग्लुकोस की चक्रीय संरचना में C-1 कार्बन 2 ऑक्सीजन परमाणुओं से जुड़ा होता है इसे ऐनोमरी कार्बन कहते है यदि C-1 कार्बन पर -OH समूह दायीं ओर है तो इसे α – D glucose परन्तु बाई ओर होने पर β – D – glucose .
α व β- D glucose एक दूसरे के ऐनोमर कहलाते है।
ग्लूकोस की चक्रीय संरचना में C-1 कार्बन पर -H व -OH का अभिविन्यास अलग अलग होने के कारण जो समावयवी बनते है उन्हें एनोमर कहते है।
हावर्थ सूत्र :
ग्लुकोस की चक्रीय संरचना में पांच कार्बन व एक ऑक्सीजन परमाणु मिलकर 6 सदस्यी वलय का निर्माण करते है , ग्लूकोस की यह चक्रीय संरचना पाइरेन के समान होती है अतः ग्लूकोस को पाइराइनोस भी कहते है।