global warming definition in hindi ग्लोबल वार्मिंग की परिभाषा क्या है ? ग्लोबल वार्मिंग किसे कहते है ? बचाव के उपाय क्या क्या है , कारण ग्लोबल वार्मिंग के दुष्प्रभाव के लिए उत्तरदायी गैस को समझाइये ?
ग्लोबल वार्मिंग (global warming)
ग्लोबल वार्मिंग से आशय हाल ही के दशकों में हुई वार्मिंग और इसके निरंतर बने रहने के अनुमान तथा इसके अप्रत्यक्ष रूप से मानव पर पड़ने वाले प्रभाव से है। जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र समझौते की रूपरेखा में मानव द्वारा किये गए परिवर्तनों के लिए श्जलवायु परिवर्तनश् और अन्य परिवर्तनों के लिए श्जलवायु परिवर्तनशीलताश् शब्द का इस्तेमाल किया है।
जैसा कि पृथ्वी द्वारा सूर्य से ऊर्जा ग्रहण की जाती है जिसके चलते धरती की सतह गर्म हो जाती है। जब ये ऊर्जा वातावरण से होकर गुजरती है, तो लगभग 30 प्रतिशत ऊर्जा वातावरण में ही रह जाती है। इस ऊर्जा का कुछ भाग धरती की सतह तथा समुद्र के जरिये परावर्तित होकर पुनः वातावरण में चला जाता है। जिस प्रकार से हरे रंग का कांच ऊष्मा को अंदर आने से रोकता है, कुछ इसी प्रकार से ये गैसें, पृथ्वी के ऊपर एक परत बनाकर अधिक ऊष्मा से इसकी रक्षा करती हैं। इसी कारण इसे ग्रीन हाउस प्रभाव कहा जाता है। ग्रीन हाउस प्रभाव को सबसे पहले फ्रांस के वैज्ञानिक जीन बैप्टिस्ट फुरियर ने पहचाना था। इन्होंने ग्रीन हाउस व वातावरण में होने वाले समान कार्यों के मध्य संबंध को दर्शाया था।
ग्रीनहाउस गैसें
ग्रीन हाउस गैसों की परत पृथ्वी पर इसकी उत्पत्ति के समय से है। चूंकि अधिक मानवीय क्रिया-कलापों के कारण इस प्रकार की अधिकाधिक गैसें वातावरण में छोड़ी जा रही हैं जिससे ये परत मोटी होती जा रही है व प्राकृतिक ग्रीन हाउस का प्रभाव समाप्त हो रहा है।
* पृथ्वी के वायुमंडल में ग्रीनहाउस प्रभाव पैदा करने प्रमुख कारक हैं-जलवाष्प, कार्बन डाइऑक्साइड, ओजोन, मिथेन, नाइट्रस ऑक्साइड, हैलाजेनेटेड हाइड्रोकार्बन्स आदि, जो वातावरण के 1 प्रतिशत से भी कम भाग में होते हैं। इन गैसों को ग्रीन हाउस गैसें भी कहते हैं।
* कार्बन डाइऑक्साइडः यह तब बनती है जब हम किसी भी प्रकार का ईंधन जलाते हैं, जैसे रू कोयला, तेल, प्राकृतिक गैस आदि । इसके बाद हम वृक्षों को भी नष्ट कर रहे है, ऐसे में वृक्षों में संचित कार्बन डाईऑक्साइड भी वातावरण में जा मिलती है।
* मिथेनः ये गैसें जैविक कचरे पर ऑक्सीजन रहित वातावरण में जीवाणुओं की क्रिया के फलस्वरूप बनती हैं। पिछले दो सौ वर्षों में मीथेन की वायुमंडल में मात्रा करीब दो गुनी हो गई है।
* नाइट्रस ऑक्साइडः कृषि कार्यों में वृद्धि, जमीन के उपयोग में विविधता व अन्य कई स्रोतों के कारण वातावरण में नाइट्रस ऑक्साइड गैस का स्राव भी अधिक मात्रा में हो रहा है। नाइट्रस ऑक्साइड की मात्रा में करीब पिछले 300 वर्षों में वायुमंडल में 8 प्रतिशत वृद्धि हुई है।
* क्लोरोफ्लोरोकार्बनः औद्योगिक कारणों से भी नवीन ग्रीन हाउस प्रभाव की गैसें वातावरण में नावित हो रही हैं, जैसे क्लोरोफ्लोरोकार्बन, जबकि ऑटोमोबाइल से निकलने वाले धुंए के कारण ओजोन परत के निर्माण से संबद्ध गैसें निकलती हैं। इस प्रकार के परिवर्तनों से सामान्यतः वैश्विक तापन अथवा जलवायु में परिवर्तन जैसे परिणाम परिलक्षित होते हैं, जो लगातार जारी हैं।
* हैलोजेनेटेड हाइड्रोकार्बन्स पूरी तरह से उद्योगों की ही देन हैं। इनका उपयोग रेफ्रीजेरेटर्स व एयरकंडीशनिंग उपकरणों के निर्माण में होता है। इनमें सबसे चर्चित क्लोरोफ्लोरोकार्बन 12 और 11 है।
ग्लोबल वार्मिंग का प्रभाव
ओजोन परतः ओजोन के अणुओं (ओ-3) में ऑक्सीजन के तीन परमाणु होते हैं। यह जहरीली गैस है और वातावरण में बहुत दुर्लभ है। प्रत्येक 10 मिलियन अणुओं में इसके सिर्फ 3 अणु पाये जाते हैं।
* 90 प्रतिशत ओजोन परत वातावरण के ऊपरी हिस्से या समतापमंडल में पाई जाती है जो पृथ्वी से 10 और 50 किलोमीटर (6 से 30 मील) ऊपर है।
* क्षोभमंडल (ट्रोपोस्फेयर) की तली में जमीनी स्तर पर ओजोन हानिकारक प्रदूषक है जो ऑटोमोबाइल उत्सर्जन और अन्य स्रोतों से पैदा होती है। ओजोन की परत सूर्य से आने वाले ज्यादातर हानिकारक पराबैंगनी-बी विकिरण को अवशोषित करती है। यह घातक पराबैंगनी (यूवी-सी) विकिरण को पूरी तरह रोक देती है। ओजोन परत की क्षति से पराबैंगनी विकिरण अधिक मात्रा में धरती तक पहुंचता है।
* अधिक पराबैंगनी विकिरण का मतलब है- अधिक मैलेनुमा और नॉनमैलेनुमा, त्वचा कैंसर, आंखों को मोतियाबिंद अधिक होना, पाचन तंत्र में कमजोरी, पौधों की उपज घटना, समुद्रीय पारितंत्र में क्षति और मत्सय उत्पादन में कमी।
* ओजोन परत में छिद्र के बारे में सबसे पहले ब्रिटिश वैज्ञानिकों ने 1985 में जानकारी दी। वैज्ञानिकों के अनुसार ओजोन परत को सबसे ज्यादा नुकसान क्लोरोफ्लोरोकार्बन (सीएफसी) अणुओं से हो रहा है।
* सीएफसी मानव निर्मित रासायनिक पदार्थ है जिसका उपयोग फ्रिज, एसी तथा कुछ खास तरह के पैकिंग में आने वाले घोलों में किया जाता है।
* वायुमंडल में सीएफसी अणु पृथ्वी के ऊपरी हिस्से में पहुंच कर सूर्य की किरणों के साथ रासायनिक प्रतिक्रिया करते हैं। एक अनुमान के अनुसार सीएफसी का एक अणु ओजोन के एक लाख अणुओं को नष्ट कर देता है।
* ओजोन परत को कम करने वाले विषयों पर मॉन्ट्रीयल प्रोटोकॉल को सितम्बर, 1987 में स्वीकार किया गया।
* ओजोन समझौते पर अब तक 193 देशों ने हस्ताक्षर किए हैं।
* मॉन्ट्रीयल प्रोटोकॉल के तहत फिलहाल 96 रसायनों पर नियंत्रण लगाया गया है जिसमें शामिल हैं-हैलो कार्बन जो क्लोरोफ्लोरोकार्बन और हेलॅन्स के रूप में उल्लेखनीय है।
* मिथाइल ब्रोमोइड (सीएच-3 बीआर) बहुमूल्य फसलों, कीट नियत्रंण और निर्यात के लिये प्रतीक्षित कृषि जिंसों के क्वेरेन्टाइन उपचार के लिए धूम्रक (फ्यूमिगैन्ट) के रूप में इस्तेमाल की जाती है। वायुमंडल में विघटित होने में इसे करीब 0.7 वर्ष लगते हैं।
* ब्रोमोक्लोरोमीथेन (बीसीएम) ओजोन को क्षति पहुंचाने वाला नया तत्व है।