फ्रेनल द्विप्रिज्म प्रयोग (fresnel biprism experiment in hindi)

(fresnel biprism experiment in hindi) फ्रेनल द्विप्रिज्म प्रयोग : यह एक ऐसा उपकरण है जिसकी सहायता से एक वर्णी प्रकाश की सहायता से विवर्तन उत्पन्न करना है तथा उस प्रकाश की तरंग की तरंग दैर्ध्य का मान ज्ञात करना है।
अर्थात इस फ्रेनल द्विप्रिज्म की सहायता से मात्र एक प्रकाश स्रोत से ही प्रकाश का व्यतिकरण उत्पन्न किया जाता है , सामान्यतया प्रकाश का व्यतिकरण प्राप्त करने के लिए दो प्रकाश स्रोत की आवश्यकता होती है लेकिन इस प्रिज्म से एक ही स्रोत से प्रकाश का व्यतिकरण उत्पन्न किया जा सकता है।
अत: फ्रेनल द्विप्रिज्म ऐसा उपकरण है जिसकी सहायता से विवर्तन के कारण उत्पन्न फ्रिन्ज उत्पन्न की जा सकती है और इसके लिए केवल एक प्रकाश की आवश्यकता होती है और इसकी सहायता से स्रोत से उत्पन्न प्रकाश की तरंगों की तरंग दैर्ध्य ज्ञात की जा सकती है।
अत: फ्रेनल द्विप्रिज्म से जैसे ही एक प्रकाश स्रोत की प्रकाश तरंगें जाती है इस से दो कला सम्बद्ध स्रोत बन जाते है।
फ्रेनल द्विप्रिज्म : यह एक ऐसी प्रकाशीय युक्ति है जिसकी सहायता से प्रकाश के अपवर्तन द्वारा दो कला सम्बन्ध स्रोत प्राप्त किये जा सकते है।

फ्रेनल द्विप्रिज्म बनाने के लिए दो प्रिज्म के आधार-आधार को जोड़कर बनाया जाता है जिनका अपवर्तक कोण का मान बहुत अल्प 0.5 डिग्री हो। अत: इस फ्रेनल प्रिज्म में दो कोण आधे आधे डिग्री के होते है जो न्यूनकोण है तथा एक कोण 179 डिग्री का है जो अधिकोण है।
चित्रानुसार जब फ्रेनल द्विप्रिज्म के सामने एकवर्णी प्रकाश स्रोत रखा जाता है तो इसके कारण दो आभासी कला सम्बद्ध स्रोत प्राप्त होते है , चित्र में एकवर्णी स्रोत को S द्वारा व्यक्त किया है और जो आभासी कला सम्बन्ध स्रोत उत्पन्न हो रहे है उन्हें S1 और S2 द्वारा व्यक्त किया गया है।
अब जो तरंगे इन आभासी कला सम्बद्ध स्रोतों S1 और S2 से उत्पन्न हो रही है वे आपस में व्यतिकरण होते है और इस व्यतिकरण के कारण स्क्रीन पर फ्रिंज उत्पन्न होते है।
माना स्क्रीन MN और स्रोत S के मध्य की दूरी D है।
प्रिज्म का अपवर्तनांक μ है।
द्विप्रिज्म का अपवर्तक कोण का मान α है।
दोनों कला सम्बंद्ध स्रोतों अर्थात  S1 और S2 के मध्य की दूरी d है।
तो
फ्रिन्ज की चौड़ाई β निम्न होगी –

एकवर्णी प्रकाश की तरंग दैर्ध्य का मान निम्न सूत्र द्वारा ज्ञात किया जा सकता है  –