परिचालन बिन्दु प्रतिबाधा तथा अन्तरित प्रतिबाधा (DRIVING POINT IMPEDANCE AND TRANSFER IMPEDENCE)
प्रत्येक चर्तुटर्मिनल जाल (four terminal network in hindi)
में एक टर्मिनल युग्म निवेश द्वार के रूप में कार्य करता है व दूसरा युग्म निर्गम द्वार के रूप में। इस प्रकार चर्तुटर्मिनल जाल को द्वि-द्वारक जाल (two port network) भी कह सकते हैं। यदि निवेशी – टर्मिनलों को किसी जनित्र से तथा निर्गम- टर्मिनलों को किसी लोड ZL से जोड़ दिया जाये तो परिपथ का व्यवहार चार राशियाँ E1, I1 तथा E2 व I2 से स्पष्ट किया जा सकता है। यहाँ E1 निवेशी – टर्मिनलों पर आरोपित वोल्टता है व I1 निवेशी धारा है तथा E2 निर्गम टर्मिनलों पर वोल्टता है तथा I2 लोड से प्रवाहित निर्गम-धारा है। (चित्र 1.4–1)
निवेशी वोल्टता E व निवेशी धारा I का अनुपात जबकि परिपथ के अन्य सब ऊर्जा स्रोत ( जनित्र ) हटा कर उन्हें उनकी आंतरिक प्रतिबाधाओं से प्रतिस्थापित किया गया हो, परिचालन बिन्दु प्रतिबाधा या निवेशी प्रतिबाधा ( Driving Point Impedance ) Zin कहलाती है । इस प्रतिबाधा का व्युत्क्रम परिचालन बिन्दु प्रवेश्यता Yin कहलाती है।
अतः Zin = E1/I1 व Yin = I1/E1 (जब अन्य सब वोल्टता स्रोतों के वि.वा. बल शून्य मान लिये जायें) इस प्रकार Zin निवेशी टर्मिनलों पर जनित्र E1 द्वारा अनुभव की जाने वाली परिपथ की प्रतिबाधा है।
यदि परिपथ जाल में अनेक पाश (Mesh) हों तो किसी पाश (j व पाश) में प्रयुक्त जनित्र वोल्टता व उसके द्वारा प्रदत्त धारा का अनुपात उस जनित्र के लिये निवेशी प्रतिबाधा Zjin कहलायेगी।
धारा परिपथ जाल के किसी पाश में जनित्र (वि.वा. बल) लगाने पर उसके अन्य पाशों में धारा प्रवाहित होती है। किसी j वें पाश में वोल्टता Ej प्रयुक्त करने तथा परिपथ में अन्य स्रोत वोल्टतायें शून्य लेने पर यदि k- वें पाश में। Ik प्राप्त हो तो वोल्टता Ej व धारा Ik का अनुपात j व k पाशों के लिये अन्तरित प्रतिबाधा (Transfer Impedance) ZT jk कहलाती है। अत:
जब परिपथ द्विपाश्विक (bilateral) प्रतिबाधाओं द्वारा रचित होता है तो व्युत्क्रमता-सिद्धान्त (principle of reciprocity) के अनुसार पाश j व k के मध्य अन्तरित प्रतिबाधा ZT jk पाश k और j के मध्य आंतरिक प्रतिबाधा ZTkj के तुल्य होती है। अर्थात्
अन्तरित प्रतिबाधा ZT का व्युत्क्रम अन्तरित प्रवेश्यता (transfer admittance) YT कहलाता है। किसी भी जटिल परिपथ जाल के लिये पाश समीकरणों (mesh equations) को निम्न रूप में लिखा जा सकता
वोल्टता-मैट्रिक्स [E] व धारा – मैट्रिक्स [1] स्तंभ मैट्रिक्स (column matrix ) हैं ।
किसी सारणिक (determinant) के किसी पद (जैसे rs पर, r- पंक्ति व s – स्तंभ वाला पद) का सहखण्ड (co- factor) भी एक सारणिक होता है जिसका क्रम मूल सारणिक से एक कम होता है तथा जो r-वीं पंक्ति व s-वें स्तंभ को मूल सारणिक से लुप्त करने पर प्राप्त होता है। उदाहरण के लिये प्रतिबाधा मैट्रिक्स △z के (1, 1) पद का सहखण्ड △11 प्रथम पंक्ति व प्रथम स्तंभ को लुप्त कर बना सारणिक होगा अर्थात्
किसी परिपथ जाल के लिये r-वें पाश की परिचालन प्रतिबाधा (driving point impedance) परिपथ की प्रतिबाधा मैट्रिक्स की सारणिक △z तथा सारणिक (r, r) पद के सहखण्ड △rr के अनुपात के तुल्य होती है। अर्थात्
प्रथम पाश में निवेश या परिचालन प्रतिबाधा
पाश 2 में धारा विभाजन