(flow of fluids in hindi) तरल (द्रव) का प्रवाह : किसी भी तरल का प्रवाह द्रव गतिकी का एक हिस्सा है। कोई भी तरल जैसे द्रव या कोई गैस जब गति करता है तो इसे तरल का प्रवाह कहते है। जब कोई तरल गति कर रहा है इसका तात्पर्य है कि तरल पर लगने वाले बल संतुलित अवस्था में है अर्थात सभी बल आपस में संतुलित नहीं है , कुछ न कुछ परिणामी बल कार्यरत है और जब तक तरल पर कोई परिणामी बल कार्यरत रहेगा तरल की यह गति बनी रहेगी।
उदाहरण : जब किसी जग में भरे पानी को थोडा टेढ़ा किया जाता है तो पानी निचे गिरने लगता है और जग के किनारे पर पानी का वेग बहुत अधिक होता है और जग के तल में पानी की गति बहुत ही कम होती है , यहाँ गुरुत्वीय बल कार्य करता है जिसके कारण पानी गति करता है।
उदाहरण : जब किसी जग में भरे पानी को थोडा टेढ़ा किया जाता है तो पानी निचे गिरने लगता है और जग के किनारे पर पानी का वेग बहुत अधिक होता है और जग के तल में पानी की गति बहुत ही कम होती है , यहाँ गुरुत्वीय बल कार्य करता है जिसके कारण पानी गति करता है।
तरल के प्रवाह के प्रकार (Types of Fluid Flow)
मुख्य रूप से तरलों के प्रवाह को तीन भागों में बांटा गया है –
1. धारा रेखीय प्रवाह (stream lined flow)
2. पट्लित प्रवाह (laminar flow)
3. विक्षुब्ध प्रवाह (turbulant flow)
अब हम तीनों प्रकार के तरल प्रवाह को विस्तार से अध्ययन करते है –
इस प्रवाह में द्रव के कण जिस एक बिंदु से गुजरते है और ये कण जिस रेखीय पथ पर गति करते है उस पथ को धारा रेखा कहते है और इस धारा रेखा के किसी बिंदु पर यदि स्पर्श रेखा खिंची जाए तो यह रेखा उस बिंदु पर द्रव के प्रवाह की दिशा को प्रदर्शित करती है।
2. पट्लित प्रवाह (laminar flow) : जब कोई तरल अलग अलग परतों के रूप में अलग अलग वेगों से धारा रेखीय प्रवाह करता है तो इसे पटलित प्रवाह कहते है।
3. विक्षुब्ध प्रवाह (turbulant flow) : जब कोई द्रव किसी एक बिंदु से होकर अलग अलग वेगों से और अलग अलग मार्गों से होकर गुजरता है तो इसे द्रव का विक्षुब्ध प्रवाह कहते है।