अध्ययन के लिए यहाँ टॉपिक लिया गया है जो निम्न है कंप्यूटर फर्मवेयर क्या है , परिभाषा Firmware का इस्तेमाल किसमें किया जाता है Firmware in hindi किसे कहते हैं ?
मेमोरी (Memory) की परिभाषा : मेमोरी कम्प्यूटर का कार्यकारी संग्रह (Working Storage) है। यह कम्प्यूटर का सबसे महत्वपूर्ण भाग है जहा डाटा, सूचना और प्रोग्राम प्रक्रिया के दौरान स्थित रहते हैं और आवश्यकता पड़ने पर तत्काल उपलब्ध होते है। मेमोरी को प्राथमिक मेमोरी (Primary Memory) या मेन मेमोरी (Main Memory) भी कहते है। मेमोरी में संग्रह के लिए अनेक स्थान (Locations) होते हैं जिनकी संख्या निश्चित होती है। यह मेमोरी की क्षमता या मेमोरी का आकार (Memory Size) कहलाता है, जैसे-256 KB, 630 MB, 1.2 GB, 2.1 GB, 4 GB आदि। प्रत्येक स्थान (Location) का एक एड्रेस (Address) होता है। जैसे हमारे घर के पते में शहर का पिन कोड (Pincode) होता है, उसी प्रकार मेमोरी में प्रत्येक स्थान की एक पहचान संख्या होती है। यह पहचान संख्या ही इसका ऐड्रेस (Address) कहलाती है।
यदि एक सामान्य पर्सनल कम्प्यूटर की मेमोरी 1 MB है तो इसका अर्थ है कि यह लगभग 1048576 अक्षरों को संगृहीत कर सकती है। मेन मेमोरी (Main Memory) एक सेमीकण्डक्टर चिप (Semiconductor Chip) होती है।
कम्प्यूटर की मेन मेमोरी दो प्रकार की होती है :
(A) रैम (RAM) या RANDOM ACCESS MEMORY
(B) रोम (ROM) या READ ONLY MEMORY
(A) रैम (RAM) : रैम या रैण्डम ऐक्सेज मेमोरी कम्प्यूटर की अस्थाई मेमोरी होती है। की-बोर्ड या अन्य किसी इनपुट डिवाइस से इनपुट किया गया डाटा, प्रक्रिया से पहले रैम (RAM) में ही संगृहीत होता है और सी. पी. यू. द्वारा आवश्यकतानुसार वहां से प्राप्त कर लिया जाता है। रैम में डाटा या प्रोग्राम अस्थाई रूप से संगृहीत रहते हैं। कम्प्यूटर को बन्द (OFF) करने या विद्युत् आपूर्ति बन्द हो जाने पर रैम (RAM) में संगृहीत डाटा मिट जाता है। इसीलिए रैम (RAM) को वोलेटाइल (Volatile) या अस्थाई मेमोरी कहते हैं। रैम (RAM) की क्षमता या आकार (Size) विभिन्न होते हैं। जैसे—1 MB, 2 MB, 4 MB, 8 MB, 16 MB, 32 MB, 64 MB आदि।
(B) रोम या रीड ऑन्ली मेमोरी (ROM-Read Only Memory) : यह स्थाई मेमोरी होती है जिसमें कम्प्यूटर के निर्माण के समय प्रोग्राम संगृहीत कर दिए जाते हैं। इस मेमोरी में संगृहीत प्रोग्राम परिवर्तित और नष्ट नहीं किए जा सकते हैं। उन्हें केवल पढ़ा ही जा सकता है, इसलिए यह मेमोरी, रीड ऑन्ली मेमोरी (Read Only Memory) कहलाती है। जब हम कम्प्यूटर का स्विच ऑन (On) करके इसे चालू करते हैं तो रोम (ROM) में स्थाई रूप से संगृहीत प्रोग्राम स्वतः ही क्रियान्वित हो जाते हैं। ये प्रोग्राम कम्प्यूटर की सभी डिवाइसेज की जांच कर उन्हें सक्रिय अवस्था में लाते हैं। रोम (ROM) में उपस्थित ये स्थाई प्रोग्राम बायोस (BIOS_Basic Input Output System) के नाम से जाने जाते है। रोम (ROM) में अन्य आवश्यक प्रोग्राम और गणितीय मानों की सारणी (sin, cos, tan, वर्गमूल आदि के मान) संगृहीत रहते हैं, जिनका उपयोग प्रक्रिया के दौरान होता है। कम्प्यूटर का स्विच ऑफ (Off) करने के बाद भी रोम (ROM) में संग्रहीत अवयव (प्रोग्राम और सारणी) नष्ट नहीं होते हैं। अतः रोम (ROM) नॉन वोलेटाइल (Non-Volatile) या स्थाई संग्रह माध्यम कहलाता है। रोम (ROM) एक सेमीकण्डक्टर चिप (Semi-conductor Chip) होता है जिसमें प्रोग्राम या सॉफ्टवेयर (Software) संगृहीत रहते हैं। इस प्रकार की ‘हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर’ की संयोजित तकनीक फर्मवेयर (Firmware) कहलाती है। रोम (ROM) एक फर्मवेयर है।
रोम (ROM) के अन्य प्रकार या फर्मवेयर निम्नलिखित हैं :
(a) प्रोम (PROM_Programmable Read Only Memory) : प्रोम (PROM) ऐसा रिक्त रोम (ROM) होता है जिसमें आवश्यकता होने पर विशेष उपकरणों द्वारा प्रोग्राम संगृहीत किए जा सकते हैं और एक बार संगृहीत होने के बाद इन्हें मिटाया नहीं जा सकता है।
(b) इप्रोम (EPROM—Erasable Programmable Read Only Memory) : यह प्रोम (PROM) के समान ही होती है, लेकिन इसमें संगृहीत प्रोग्राम पराबैंगनी प्रकाश (Ultraviolet Light) की उपस्थिति में मिटाए जा सकते हैं और नए प्रोग्राम संगृहीत किए जा सकते हैं।
नई तकनीक के इप्रोम (EPROM) भी होते हैं, जैसे—विद्युतीय विधि से मिटाए जा सकने वाले ईईप्रोम (EEPROM-Electrical Erasable Programmable Read Only Memory) सहायक मेमोरी (Auxillary Memory) कम्प्यूटर में मुख्य स्मृति कार्य तो अति तीव्र गति से करती है, लेकिन इसकी क्षमता सीमित होती है। अतः आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु सहायक मेमोरी का उपयोग किया जाता है। इनके लाभ निम्न हैं :
(1) ये CPU के बाहर स्थित होती है।
(2) इनकी भण्डारण क्षमता बहुत अधिक होती है।
(3) इनकी कीमत भी कम होती है अतः सस्ती पड़ती हैं।
(4) इनमें डाटा सुरक्षित रहते हैं और गोपनीय डाटा को कम्प्यूटर से दूर किसी सुरक्षित स्थान पर रखा जा सकता है। की
(5) इन उपकरणों में रखी सूचनाएं बिजली के जाने पर नष्ट नहीं होती हैं। काटा
(6) सूचनाओं को इनके माध्यम से एक कम्प्यूटर से दूसरे कम्प्यूटर पर आसानी से स्थानान्तरित किया जा सकता है।
(7) इनकी डुप्लीकेट कॉपी भी आसानी से बनाई जा सकती है। सहायक मेमोरी उपकरणों के रूप में सामान्यतया निम्न उपकरणों का उपयोग किया जाता है :
- चुम्बकीय टेप (Magnetic Tape) यह सतत लम्बाई का श्रेणीबद्ध भण्डारण साधन (sequential storage device) है। इसका सामान्य आकार 0.5″ x 2400′ होता है। यह प्लास्टिक के फीते से बनता है। जिस पर मेटल ऑक्साइड की परत चढाई जाती है। इन पर विद्यत चुम्बकीय स्पन्दों (Electromagnetic pulses) के द्वारा डाटा को अतिसूक्ष्म अदृश्य चिह्नों के रूप में रिकॉर्ड किया जाता है, और इन रिकॉर्ड किए। गए डाटा को कई बार पढा जा सकता है। इन टेप पर पुराने डाटा पर नए डाटा को भी रिकॉर्ड किया जा सकता है, लेकिन उस स्थिति में पुराने डाटा स्वतः समाप्त हो जाते है। चुम्बकीय टेप पर डाटा को BCD पद्धति में कोड किया जाता है। इसमें सात ट्रेक होते हैं, जो कई ऊध्वाधर (vertical) कॉलमों में विभाजित होते हैं। जिन-जिन बिन्दुओं पर ट्रेक व कॉलम परस्पर एक-दूसरे को काटते हैं वहां पर एक चम्बकीय बिन्द होता है। इस प्रकार प्रत्येक स्तम्भ पर 7 बिन्द होते हैं, और प्रत्येक बिन्दु BCD में एक बिट को संग्रहीत कर सकता है। चुम्बकीय बिन्दु ‘1’ बिट व अचुम्बकीय बिन्दु ‘0’ बिट को निरूपित करते हैं। यह ऑडियो कैसेट की भांति होता है, फिर भी इनमें एक महत्वपूर्ण अन्तर है वह यह कि ऑडियो कसेट लगातार चलती है, जबकि चम्बकीय टेप रुक-रुक कर चलता है। इसका रुक-रुककर चलना आवश्यक भी है, क्योंकि यदि वह लगातार चले तो इसके रिकॉर्ड किए गए सभी डाटा CPU में पढ़े जाएंगे। चूंकि डाटा बहुत अधिक होते हैं, अतः इन्हें पढ़ने के लिए हमें एक बहुत बड़े CPU की आवश्यकता पड़ेगी। अत: CPU में टेप के एक भाग (या ब्लॉक) का डाटा पढ़ा जाता है फिर उसकी प्रोसेसिंग होती है तथा उसके बाद ही अगला ब्लॉक पढ़ा जाता है। प्रोसेसिंग के दौरान चूंकि टेप स्थिर नहीं रहता इसलिए दो ब्लॉकों के मध्य इतना अन्तराल रखा जाता है कि इस दौरान पहले वाले ब्लॉक के सारे डाटा प्रोसेस हो सकें। दो ब्लॉकों के मध्य के इस अन्तराल को अन्तर ब्लॉक अन्तराल (Interblock gap) कहा जाता है। चुम्बकीय टेप में एक ऑफ लाइन (off line) उपकरण की सहायता से डाटा संचित किए जाते हैं जिसे चुम्बकीय टेप एनकोडर (Magnetic tape encoder) कहते हैं। जब सारे डाटा चुम्बकीय टेप पर संचित हो जाते हैं तो इसे CPU से जोड़कर डाटा प्रोसेस कराया जाता है। चुम्बकीय टेप के लाभ (Advantages of Magnetic Tape)
(1) इससे CPU में डाटा स्थानान्तरण तीव्र गति से होता है।
(2) इसका घनत्व अधिक होता है, अतः कम आकार के टेप में भी काफी अधिक डाटा संचित किए जा सकते हैं। जा
(3) कीमत में सस्ते होते हैं।
(4) पुराने टेप पर बार-बार नए डाटा को रिकॉर्ड किया जा सकता है। चुम्बकीय टेप की हानियां (Disadvantages of Magnetic Tape)
(1) इसमें संचित डाटा केवल मशीन द्वारा ही पढ़े जा सकते हैं।
(2) इसके बीच में डाटा के रिकॉर्ड में कुछ जोड़ना या कुछ हटा पाना बहुत कठिन है। 3) ये केवल श्रेणीगत माध्यम के रूप में ही काम आ सकते हैं।