फिल्म पुरस्कार की जानकारी क्या है , प्रकार , राष्ट्रीय फिल्म संबंधी संस्थान एवं संगठन film award list in hindi

film award list in hindi फिल्म पुरस्कार की जानकारी क्या है , प्रकार , राष्ट्रीय फिल्म संबंधी संस्थान एवं संगठन ?

फिल्म पुरस्कार
भारतीय सिनेमा में फिल्म पुरस्कार एक बड़ा आयोजन है। लोकप्रिय फिल्मों एवं कलकारों को सिनेमा में उनके उत्कृष्ट एवं अद्वितीय योगदान के लिए नियमित रूप से पुरस्कार दिए जाते हैं। कुछ महत्वपूर्ण भारतीय फिल्म पुरस्कार इस प्रकार हैंः
फिल्मफेयर अवाॅर्ड
फिल्म फेयर अवाॅर्ड वार्षिक रूप से टाइम्स ग्रुप द्वारा हिंदी फिल्म उद्योग में अभिनय एवं तकनीकी उत्कृष्टता के लिए प्रदान किया जाता है। यह सबसे पुराने एवं महत्वपूर्ण फिल्म आयोजनों में से एक है, और इसकी सर्वप्रथम स्थापना 1954 में की गई थी। फिल्मफेयर अवार्ड के लिए लोगों और विशेषज्ञ समिति दोनों द्वारा बोट किए जाते हैं। फिल्मफेयर अवाॅर्ड को अक्सर हिंदी फिल्म उद्योग का आॅस्कर माना जाता है।
मुम्बई के मेट्रो थिएटर में मार्च 1954 में पहली बार यह अवार्ड कार्यक्रम आयोजित किया गया जिसमें केवल पांच अवार्ड प्रदान किए गएः सर्वोत्तम फिल्म सर्वोत्तम संगीत निर्देशक। दो बीघा जमीन पहली फिल्म थी जिसने सर्वोत्तम फिल्म का पहला पुरस्कार जीता। बिमल राॅय ने दो बीघा जमीन के लिए सर्वोत्तम निर्देशक का पुरस्कार हासिल किया। दिलीप कुमार ने दाग में अपने अभिनय के लिए सर्वोत्तम अभिनेता का पुरस्कार प्राप्त किया। मीना कुमार को बैजू बावरा में अपने अभिनय के लिए यह पुरस्कार मिला और नौशाद को वैजू बावरा में संगीत के लिए यह अवाॅर्ड प्राप्त हुआ। साल दर साल इस अवार्ड की श्रेणियों (कैटेगरी) में इजाफा होता गया।
फिल्म क्रिटिक्स अवाॅर्ड की एक अलग श्रेणी बनाई गई और इसका गिर्णय लोकप्रिय वोट की अपेक्षा प्रमुख फिल्म आलोचकों द्वारा किया जाता है।
आइफा अवाॅडॅर्ड
अंतरराष्ट्रीय भारतीय फिल्म एकेडमी अवाॅर्ड (आइफा अवाॅर्ड) की शुरुआत वर्ष 2000 में हुई। यह अवाॅर्ड भारतीय हिंदी सिनेमा में अभिनय एवं तकनीकी उत्कृष्ट योगदान दोनों के लिए वार्षिक रूप से अंतरराष्ट्रीय भारतीय फिल्म एकेडमी द्वारा प्रदान किया जाता है। विजक्राफ्ट अंतरराष्ट्रीय एटरटेनमेंट प्राइवेट लिमिटेड एक इवेंट प्रबंधन एवं मनोरंजन एजेंसी, इस अवार्ड समारोह का आयोजन करती है। इस समारोह का आयोजन प्रत्येक वर्ष विश्व के अलग-अलग हिस्सों में किया जाता है। यह अवाॅर्ड विगत् वर्ष की फिल्मों को सम्मान प्रदान करता है। वर्ष 2010 तक अमिताभ बच्चन आइफा के ब्रांड अम्बेसडर थे। 2009 में, कुछ पांच विशेष सम्मान दिए गएः स्टार आॅफ द डकेड (पुरुष एवं महिला), मूवी आॅफ द डेकेड,, म्यूजिक आॅफ द डेकेड, और डायरेक्टर आॅफ द डिकेड।
राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार
भारत में राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार सबसे महत्वपूर्ण एवं खास पुरस्कार है। 1954 में प्रारंभ यह पुरस्कार, 1973 से, भारत सरकार के फिल्म महोत्सव निदेशालय द्वारा प्रशासित किया जा रहा है।
सरकार द्वारा नियुक्त राष्ट्रीय पैनल जीतने वाली एन्ट्रीज का चुनाव करता है। यह पुरस्कार भारत के राष्ट्रपति द्वारा नई दिल्ली में आयोजित एक भव्य समारोह में प्रदान किया जाता है। पुरस्कार जीतने वाली फिल्मों को लोगों को दिखाया जाता है।
यह सम्मान समग्र भारतीय सिनेमा में सर्वोत्तम है और साथ-ही-साथ देश के प्रत्येक क्षेत्र एवं भाषा की सर्वोत्तम फिल्म को यह दिया जा सकता है। इसे अमेरिकन एकेडमी अवाॅर्ड के समान समझा जाता है। यह सम्मान विगत् वर्ष में निर्मित फीचर फिल्मों के लिए दिया जाता है। निम्न श्रेणियों में सम्मान प्राप्त किया जाता हैः
गोल्डेन लोटेट्स्स अवार्ड (राजकीय नामः स्वर्ण कमल)ः यह पुरस्कार पांच श्रेणियों सर्वोत्तम फीचर फिल्म, सर्वोत्तम निर्देशन, सर्वोत्तम बाल फिल्म, सर्वोत्तम लोकप्रिय फिल्म और इंदिरा गांधी पुरस्कार (निर्देशक की सर्वोत्तम फिल्म) में दिया जाता है।
सिल्वर लोटेट्स्स अवाॅडॅर्ड (राजकीय नामः रजत कमल)ः 25 श्रेणियों में।
प्रत्येक भाषा में बेस्ट फीचर फिल्म विशिष्ट रूप से संविधान के आठवीं अनुसूचूची में उल्लिखितः 12 श्रेणियां
संविधान की आठवीं अनुसूची के अतिरिक्त प्रत्येक भाषाओं में बेस्ट फीचर फिल्मः पांच श्रेणियां
दादा साहेब फाल्के लाइफटाइम एचीवमेंट अवाॅर्डः यह पुरस्कार जीवनपर्यंत उपलब्धियों के लिए और भारतीय सिनेमा में योगदान के लिए प्रदान किया जाता है। इसका नामकरण भारत के महान फिल्म निर्माता दादा साहेब फाल्के के नाम पर किया गया है। यह सम्मान 20 श्रेणियों से भी अधिक को नाॅन फीचर फिल्मों को प्रदान किया जा चुका है।
स्क्रीन अवाॅर्ड
स्क्रीन अवाॅर्ड (पूर्व में, स्टार स्क्रीन अवाॅर्ड) भारत में वार्षिक पुरस्कार समारोह है जो फिल्मों में पेशेवर उत्कृष्टता को सम्मानित करता है। इसकी शुरुआत 1994 में एक्सप्रेस समूह के अध्यक्ष विवेक गोयनका ने की। अवाॅर्ड अन्य लोकप्रिय अवाॅर्ड के विपरीत ज्यूरी द्वारा गिर्णीत को दिया जाता है।
यह पुरस्कार वार्षिक रूप से हिंदी/मराठी फिल्मों और टीवी एवं गेर-फिल्मी संगीत को बड़े समारोह में प्रदान किया जाता है।
स्टारडस्ट अवार्ड
स्टारडस्ट अवाॅर्ड हिंदी फिल्मों के लिएएक पुरस्कार समारोह है, जो नई पीढ़ी के सुपरस्टार्स को बधाई देता है जिन्होंने भविष्य पर अपनी छाप छोड़ी है। इसे स्टारडस्ट पत्रिका द्वारा प्रायोजित किया जाता है।
यह वार्षिक पुरस्कार सर्वप्रथम 2003 में शुरू किया गया। इस पुरस्कार में फिल्म उद्योग में नई प्रतिभा के साथ-साथ मौजूद कलाकारों को भी सम्मानित किया। यह पुरस्कार 38 श्रेणियों में दिए जाते हैं।
जी सिने अवाॅर्ड
जी सिने अवाॅर्ड हिंदी सिनेमा के लिए पुरस्कार समारोह है। इसका आयोजन सर्वप्रथम 1998 में मुम्बई में किया गया था। तब से, इसने भारतीय लोगों के साथ-साथ जी नेटवर्क के दर्शकों के बीच एक प्रमुख पुरस्कार समारोह के तौर पर निरंतर लोकप्रियता हासिल की है।
अन्य प्रमुख भारतीय फिल्म पुरस्कार हैं विजय अवाॅर्ड, गोल्डन केला अवाॅर्ड और एशियानेट फिल्म अवाॅर्ड।
फिल्म संबंधी संस्थान एवं संगठन
केन्द्रीय चलचित्र प्रमाणन बोर्ड
केंद्रीय चलचित्र प्रमाणन बोर्ड द्वारा प्रमाणित किए जागे के बाद ही कोई फिल्म भारत में दिखाई जा सकती है। चलचित्र अधिनियम 1952 के अनुसार स्ािापित इस बोर्ड में एक अध्यक्ष और कम से कम 12 और अधिक से अधिक 25 गैरसरकारी सदस्य होते हैं। इनकी नियुक्ति सरकार करती है। बोर्ड का मुख्यालय मुंबई में है और इसके नौ क्षेत्रीय कार्यालय हैं बंगलुरू, मुंबई, कोलकाता, हैदराबाद, चेन्नई, तिरुअनंतपुरम, नई दिल्ली, कटक और गुवाहाटी। सलाहकार पैनल फिल्मों के परीक्षण में क्षेत्रीय कार्यालयों की सहायता करते हैं। इन पैनलों में प्रतिष्ठित शिक्षाशास्त्री, कला समीक्षक, पत्रकार, समाजसेवी, मनोवैज्ञानिक आदि शामिल होते हैं। बोर्ड चलचित्र अधिनियम 1952, चलचित्र (प्रमाणन) नियम, 1983 के प्रावधानों तथा इस संदर्भ में केंद्र सरकार द्वारा जारी निर्देशों के अनुसार फिल्मों की प्रमाणन के लिए जांच करता है। वर्ष 2000 में बोर्ड ने 855 भारतीय फिल्मों और 203 विदेशी फीचर फिल्मों का प्रमाणन किया, साथ ही 1,058 भारतीय और 194 विदेशी लघुचित्रों, 111 भारतीय वीडियों फीचर फिल्म और 38 विदेशी वीडियो फीचर फिल्मों, 503 भारतीय वीडियो लघु फिल्मों और 167 विदेशी वीडियो लघुचित्रों को भी प्रमाणित किया।
भारतीय फिल्म और टेलीविजन संस्थान,पुणे
भारतीय फिल्म संस्थान की स्थापना सूचना और प्रसारण मंत्रालय के तहत 1960 में भारत सरकार ने की थी। 1974 में टेलीविजन शाखा खोलने के बाद इसे भारतीय फिल्म एवं टेलीविजन संस्थान का नाम दिया गया। अक्टूबर, 1974 में ये संस्थान सोसायटी पंजीकरण कानून, 1860 के अंतग्रत एक सोसायटी बन गया। सोसायटी में मशहूर हस्तियां हैं जिनमें फिल्म, टेलीविजन, संचार से जुड़े लोग तथा संस्थान के छात्र और पदेन सरकारी सदस्य शामिल हैं। संस्थान एक संचालक परिषद् के अंतग्रत कार्य करता है जिसका प्रमुख अध्यक्ष होता है। शिक्षा परिषद् संस्थान की शैक्षिक नीतियां और योजनाएं तैयार करती हैं। स्थायी वित्त समिति संस्थान के वित्त से जुड़े मामलों को देखती है। संस्थान के दो खंड हैं फिल्म और टेलीविजन खंड जो दोनों श्रेणियों में पाठ्यक्रम चलाते हैं। इनमें तीन वर्षीय डिप्लोमा पाठ्यक्रम से लेकर फिल्म निर्देशन में स्नातकोत्तर डिप्लोमा, सिनेमाटोग्राफी, आॅडियोग्राफी और फिल्म संस्थान संपादन शामिल हैं। संस्थान अभिनय में दो वर्षीय स्नातकोत्ततर डिप्लोमा पाठ्यक्रम, कला निर्देशन और निर्माण डिजाइन में दो वर्षीय स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम और एक वर्षीय स्नातकोत्तर प्रमाणपत्र पाठ्यक्रम चलाता है।
भारतीय फिल्म एवं टेलीविजन संस्थान फिल्म निर्माण और टेलीविजन निर्माण कला और तकनीक में आधुनिकतम शिक्षा प्रदान करता है। दूरदर्शन और अन्य संस्थाओं के अधिकारियों को सेवारत प्रशिक्षण दिया जाता है। ये संस्थान आधुनिकतम डिजिटल और प्रसारण उपकरणों से लैस हैं जैसे-नाॅन लीनियर बीटे कैम और एबी रोल संपादन तकनीक, डिजिटल कैमरा जैसे सोनी बीवीपी.500 पी, साॅफ्ट क्रोमा कीयर, डिजिटल स्पेशल इफेक्ट्स जेनरेटर, एलियास साॅफ्टवेयर के साथ सिलीकाॅन ग्राफिक्स 02 वर्कस्टेशन, आधुनिक फिल्म कैमरा और रिकाॅर्डिंग स्टूडियो आदि जो संस्थान के प्राध्यापकों और छात्रों को एक अलग अनुभव प्रदान करते हैं।
राष्ट्रीय फिल्म अभिलेखागार
कला और ऐतिहासिक दस्तावेज के रूप में सिनेमा के संरक्षण का अपना महत्व है। सिनेमा को इसके तमाम रूपों और प्रकारों में संरक्षित करने के लिएऐसा संगठन जरूरी है जिसका स्थायी ढांचा हो, जिसे फिल्म उद्योग का विश्वास प्राप्त हो और जिसके पास पर्याप्त संसाधन तथा विशेषज्ञता हो। इसीलिए मंत्रालय की मीडिया इकाई के रूप में फरवरी 1964 में भारतीय राष्ट्रीय फिल्म अभिलेखागार की स्थापना की गयी। इसके निम्नलिखित उद्देश्य और लक्ष्य हैंः
1- राष्ट्रीय सिनेमा की विरासत की पहचान और भावी पीढ़ियों के लिए संरक्षण, विश्व सिनेमा का प्रतिनिधित्व करने वाला एक संग्रह तैयार करना।
2- फिल्मों से संबंधित आंकड़ों को वर्गीकृत और अभिलेखबद्ध करना, सिनेमा अनुसंधान तथा इसके नतीजों का प्रचार-प्रसार।
3- देश में फिल्म संस्कृति को बढ़ावा देना और विदेशों में भारत की सांस्कृतिक उपस्थिति सुनिश्चित करना। अभिलेखागार ने अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने की दिशा में अच्छा कार्य किया है। अवधि के दौरान भारतीय राष्ट्रीय फिल्म अभिलेखागार ने अपने संग्रह में 33 फिल्में (22 नयी, तीन प्रतिलिपियां और एलटीएल आधार पर प्राप्त 8), 147 डीवीडी, 416 पुस्तकें, 1134 पांडुलिपियां, 1107 स्टिल्स, 80 गीत पुस्तिकाएं, 814 वाॅल पोस्टर और 34 फिल्म फोल्डर/पैम्फलेट जोड़े हैं।
राष्ट्रीय फिल्म विकास निगम
राष्ट्रीय फिल्म विकास निगम का गठन भारत सरकार द्वारा 1975 में किया गया था। पूरी तरह सरकारी स्वामित्व वाली इस संस्था का प्राथमिक उद्देश्य भारतीय फिल्म उद्योग के संगठित, सक्षम और एकीकृत विकास के लिए योजना बनाना और उसे प्रोत्साहित करना है। फिल्म वित्त निगम (एफएफसी) तथा भारतीय मोशन पिक्चर्स निर्यात निगम (आईएमपीईसी) के विलय से 1980 में राष्ट्रीय फिल्म विकास निगम (एनएफडीसी) का पुनग्रठन हुआ। एफएफसी का गठन 1964 में हुआ। इसका उद्देश्य युवा प्रतिभावान फिल्म निर्माताओं को वित्तीय सहायता उपलब्ध कराना था जबकि आईएमपीईसी का गठन आयात-निर्यात के नियमन और अपरिष्कृत भंडारण के लिए हुआ था। भारतीय फिल्म उद्योग के विकास को समुचित माहौल उपलब्ध कराने के लिएएक निकाय की जरूरत को समझते हुए भारत सरकार ने एफएफसी और आईएमपीईसी का विलय एनएफडीसी में कर दिया। एनएफडीसी ने अब तक 200 से ज्यादा फिल्मों को या तो वित्तीय सहायता दी है या निर्माण किया है। विभिन्न भारतीय भाषाओं में बनी इन फिल्मों को व्यापक पैमाने पर सराहा गया है और इन्होंने राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कई पुरस्कार भी जीते हैं। निगम का काॅरपोरेट कार्यालय मुम्बई में है जबकि इसके तीन क्षेत्रीय कार्यालय चेन्नई, कोलकाता और दिल्ली में और एक शाखा कार्यालय तिरुवनंतपुरम में है।
फिल्म समारोह निदेशालय
फिल्म समारोह निदेशालय की स्थापना 1973 में की गई। सूचना और प्रसारण मंत्रालय के अधीन इस निदेशालय का उद्देश्य अच्छे सिनेमा को प्रोत्साहन देना है। इसके लिए यह निम्नलिखित वर्गें के तहत् अपनी गतिविधियों का संचालन करता है
1- भारतीय अंतरराष्ट्रीय फिल्म समारोह, 2- राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार तथा दादा साहेब फाल्के पुरस्कार, 3- सांस्कृतिक आदान-प्रदान कार्यक्रम तथा विदेशों में शिष्टमंडलों के जरिए भारतीय फिल्मों के प्रदर्शन का आयोजन, 4- भारतीय पैनोरमा का चयन, 5- विदेशों में अंतरराष्ट्रीय फिल्म समारोहों में भागीदारी, 6- भारत सरकार की ओर से विशेष फिल्मों का प्रदर्शन और 7- प्रिंट संग्रहण तथा अभिलेखन।
ये गतिविधियां, सिनेमा के क्षेत्र में भारत और अन्य देशों के बीच विचारों, संस्कृति तथा अनुभव के आदान-प्रदान के लिए बेजोड़ मंच प्रदान करती हैं। ये भारतीय सिनेमा को सशक्त मंच प्रदान करती हैं तथा भारतीय फिल्मों के लिए व्यावसायिक अवसरों को बढ़ावा देती हैं। देश के भीतर इसने विश्व सिनेमा की नवीनतम प्रवृत्तियां आम जनता, फिल्म उद्योग तथा विद्यार्थियों तक पहुंचाने का काम किया है।
फिल्म प्रभाग
1943 में स्थापित ‘इंडियन न्यू परेड’ और ‘इंफाॅर्मेशन फिल्म्स आॅफ इंडिया’ का पुनः नामकरण कर जनवरी, 1948 में फिल्म प्रभाग का गठन किया गया। 1952 में सिनेमाटोग्राफ अधिनियम, 1918 का भारतीयकरण किया गया जिसके तहत् वृत्तचित्र फिल्मों का पूरे देश में प्रदर्शन करना अनिवार्य कर दिया गया। फिल्म प्रभाग, 1949 से देशभर के थियेटरों को हर शुक्रवार को एक वृत्तचित्र या एनिमेशन फिल्म या समाचार आधारित फिल्म जारी करता है। प्रभाग ने स्वतंत्रता के बाद का देश का पूरा इतिहास फिल्म के रूप में तैयार किया है। इसका मुख्यालय मुम्बई में है और ये निर्माण, स्टूडियो, रिकाॅर्डिंग थियेटर, संपादन कक्ष, एनिमेशन इकाई, कैमरे, वीडियो सेटअप, प्रिव्यू थियेटर जैसी सुविधाओं से लैस है। प्रभाग 15 भारतीय भाषाओं में फिल्मों की डबिंग भी स्वयं करता है। प्रभाग राष्ट्र निर्माण गतिविधियों में अपनी सक्रिय भागीदार को शामिल करने के लिए भारतीय जनता की सोच को विस्तार देने का कार्य कर रहा है। प्रभाग का उद्देश्य राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य पर केन्द्रित राष्ट्रीय कार्यक्रमों के क्रियान्वयन और देश की छवि और विरासत को भारतीय और विदेशियों के समक्ष पेश करने के लिए लोगों को शिक्षित और प्रेरित करना है। प्रभाग का उद्देश्य वृत्तचित्र फिल्म आंदोलन के विकास को गति प्रदान करना भी है जिसका राष्ट्रीय सूचना, संचार और एकता के क्षेत्र में बड़ा महत्व है। प्रभाग वृत्तचित्र, लघु फिल्में, एनीमेशन फिल्में और समाचार पत्रिकाएं तैयार करता है। फिल्म प्रभाग, देशभर के 8,500 सिनेमाघरों, देशभर में फेले गैर-थियेटर क्षेत्रों जैसे क्षेत्रीय प्रचार इकाइयों, राज्य सरकार की सचल इकाइयों, दूरदर्शन, परिवार कल्याण विभाग की क्षेत्रीय इकाइयों, शैक्षिक संस्थाओं, फिल्म समितियों और स्वैच्छिक संगठनों को अपनी सेवाएं प्रदान करता है। राज्य सरकारों के वृत्तचित्रों तथा न्यूज रीलों को भी प्रभाग थियेटर क्षेत्र में प्रदर्शित करता है। फिल्म प्रभाग वृत्तचित्र और फिल्मों के प्रिंट, स्टाॅक शाॅट, वीडियो कैसेट तथा अधिकारों को देश-विदेश में बेचता है। फिल्म निर्माण के अलावा फिल्म प्रभाग गिजी फिल्म निर्माताओं को अपने स्टूडियो, रिकाॅर्डिंग थियेटर, संपादन कक्ष और सिनेमा उपकरण भी किरा, पर देता है। वितरण विंग ने खुद को पुनः परिभाषित किया है और राज्य जिलास्तर पर स्वतंत्र रूप से, साथ ही एगजीओ, फिल्म समितियों, शैक्षिक संस्थाओं आदि के साथ मिलकर फिल्म समारोहों को नियमित गतिविधि बनाया है ताकि जनता तक पहुंचा जा सके और वृत्तचित्र आंदोलन को प्रोत्साहन दिया जा सके। वितरण विंग विदेश मंत्रालय के बाह्य प्रचार प्रभाग के जरिए विदेशों में भारतीय मिशनों को फिल्म प्रभाग की चुनिंदा फिल्मों के प्रिंट भी वितरित करता है। यह राॅयल्टी आधार पर, साथ ही स्टाॅक शाॅट्स, फिल्म स्ट्रिप्स, वीडियो क्लिपिंग्स आदि की बिक्री करता है। वितरण विंग का प्रचार अनुभाग राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय फिल्म समारोह में फिल्म प्रभाग की फिल्मों की भागीदारी का प्रबंध करता है।
भारतीय बाल फिल्म समिति
भारतीय बाल फिल्म समिति की स्थापना 1955 में बच्चों को फिल्मों के माध्यम से उच्च आदर्शों की प्रेरणा देने वाला मनोरंजन प्रदान करने के उद्देश्य से की गई थी। समिति बच्चों की फिल्मों का निर्माण, संग्रहण, वितरण, प्रदर्शन और संवर्धन करती है। बाल फिल्म समिति का मुख्यालय मुंबई में है और नई दिल्ली तथा चेन्नई में इसके क्षेत्रीय शाखा कार्यालय हैं। सीएफएसआई का मिशन देश-विदेश में बाल फिल्म आंदोलन को फैलाने, प्रोत्साहित कर बाल फिल्मों को बढ़ावा देना है। समिति द्वारा निर्मित संग्रहित फिल्मों का प्रदर्शन राज्य जिलावार बाल फिल्म समारोहों, थिएटरों और स्कूलों में गैर-थिएटर मंचों के माध्यम से वितरकों तथा गैर-सरकारी संगठनों के जरिए किया जाता है।
भारतीय बाल फिल्म समिति की मुख्य बातें इस प्रकार हैं
1- गुरु रविन्द्रनाथ टैगोर की 150वीं जयंती के अवसर पर कोलकाता में भारतीय बाल फिल्म समिति की दो क्लासिक फिल्में दिखाई गईं।
2- बिहार राज्य की स्थापना के 100 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में भारतीय बाल फिल्म समिति की एक फिल्म को पूरे राज्य में एकसाथ यूएफओ फाॅर्मेट में 98 थिएटरों पर दिखाया गया।
3- हिन्दी फीचर फिल्म ‘गट्टई’ को बर्लिन अंतरराष्ट्रीय फिल्म समारोह, 2012 में अंतरराष्ट्रीय ज्यूरी का ‘स्पेशल मेंशन’ मिला। इस फिल्म ने लाॅस ऐंजेल्स में भारतीय फिल्म समारोह, 2012 में ‘श्रोता पुरस्कार’ भी जीता।
4- बच्चों की फिल्मों का समारोह ‘माॅनसून धमाल’ नौ शहरों में आयोजित किया गया।
सत्यजीत रे फिल्म एवं टेलीविजन संस्थान
सत्यजीत रे फिल्म एवं टेलीविजन संस्थान, कोलकाता को भारत सरकार ने सूचना और प्रसारण मंत्रालय के प्रशासकीय नियंत्रण में एक स्वायत्तशासी संस्थान के रूप में शामिल किया था और इसे पश्चिम बंगाल सोसायटीज पंजीकरण कानून, 1961 के अधीन पंजीकृत कराया गया। फिल्म जगत की मशहूर हस्ती सत्यजीत रे के नाम पर कोलकाता में स्थापित यह संस्थान देश का दूसरा इस प्रकार का संस्थान है। संस्थान, निर्देशन और पटकथा लेखन, सिनामाटोग्राफी, संपादन और आॅडियोग्राफी में तीन वर्षीय स्नातकोत्तर डिप्लोमा पाठ्यक्रम चलाता है। इनके अलावा संस्थान टेलीविजन और फिल्म से संबंधित लघु और मध्यम अवधि के पाठ्यक्रम भी चलाता है।