फरक्का समझौता : भारत और बांग्लादेश के बीच फरक्का समझौता कब हुआ विवाद farakka barrage agreement between india and bangladesh

farakka barrage agreement between india and bangladesh in hindi फरक्का समझौता : भारत और बांग्लादेश के बीच फरक्का समझौता कब हुआ विवाद कहाँ स्थित है ?

गंगा जल का बंटवारा
भारत और बांग्लादेश के बीच विवाद की सबसे बड़ी हड्डी गंगा नदी के जल के बँटवारे से संबद्ध है। यह विवाद जनवरी से मई के बीच, खासकर मार्च के मध्य से मध्य मई तक गंगा के पानी के बँटवारे से जुड़ा हुआ है, जब गंगा का बहाव ५५,००० क्यूसेक के न्यूनतम स्तर पर पहुंच जाता है। समस्या का कुल निचोड़ यह है कि अगर भारत न्यूनतम ४०,००० कयूसेक पानी अपने लिए हुगली में छोड़ता है, जो कोलकाता बंदरगाह को बचाने के लिए कम से कम अनिवार्य है तो बांग्लादेश को सिर्फ १५,००० क्यूसेक पानी ही मिल पाता है जो उसकी आवश्यकताओं के हिसाब से बहुत कम है। भारत द्वारा इतनी मात्रा में पानी ले लेने से बांग्लादेश में कई स्तरों पर समस्याएँ पैदा हो जाती हैं। इस प्रकार भारत और बांग्लादेश के बीच मुख्य समस्या गंगा जल के समान बँटवारे को लेकर ही है। बंगाल-बिहार सीमा पर भारत द्वारा गंगा नदी पर बनाया गया फरक्का बैराज कोलकाता के उत्तर में ४०० किलोमीटर दूर स्थित है। इस बैराज के निर्माण का मुख्य कारण कोलकाता बंदरगाह का संरक्षण और रखरखाव तथा भगीरथी-हुगली की नौगम्यता को बनाए रखना था। बैराज निर्माण के बाद कोलकाता बंदरगाह का तो बचाव हो गया पर बंदरगाह से पानी की दिशा में परिवर्तन अंतरराष्ट्रीय विवाद का मुद्दा बन गया। गंगा के पानी के समान बँटवारे और फरक्का बैराज के मसले को हल करने के लिए कई समझौते किए गए लेकिन इस दिशा में आखिरी समझौता दोनों सरकारों के बीच १९९६ में संपन्न हुआ। शेख हसीना की सरकार ने भारत के साथ अगले तीस वर्षों तक गंगा जल के बँटवारे से संबंधित एक संधि की। इसमें भारत का प्रतिनिधित्व तत्कालीन प्रधानमंत्री एच.डी. देवेगौड़ा ने किया। इस संधि की मुख्य विशेषता यह है कि गंगा के पानी का निर्धारण १ जनवरी से ३१ मई तक की अवधि में १० दिनों के हिसाब से १५ हिस्सों में किया जाएगा।

बोध प्रश्न २
नोट: क) अपने उत्तर के लिए नीचे दिए गए रिक्त स्थान का उपयोग करें।
ख) अध्याय के अंत में दिए गए मानक उत्तरों से अपने उत्तरों का मिलान करें।
१) १९९० के दशक में भारत और नेपाल के बीच आर्थिक संबंधों के चरित्रा की व्याख्या कीजिए।

२) गंगा जल के बँटवारे पर भारत और बांग्लादेश विवाद में केंद्रीय मुद्दे क्या हैं?

 बोध प्रश्नों के मानक उत्तर

बोध प्रश्न २
१) दोनों ही देशों ने कमोबेश एकसाथ १९९० के प्रारंभिक दशक में आर्थिक उदारीकरण की शुरुआत की। भारत ने १९९१ में व्यापार और परिगमन संधि को बहाल किया और नेपाल के आर्थिक विकास के लिए विभिन्न कार्यक्रमों के माध्यम से प्रतिबद्धता जताई। भारत और नेपाल ने महाकाली परियोजना के विकास के लिए १९९६ में एक संधि पर दस्तखत किए। इस परियोजना का उद्देश्य दोनों देशों के हितों में नदी के पानी का उपयोग है।
२) यह विवाद जनवरी से मई के बीच, खासकर मार्च के मध्य से मध्य मई तक गंगा के पानी के बंटवारे से जुड़ा हुआ है, जब गंगा का बहाव ५५,००० क्यूसेक के न्यूनतम स्तर पर पहुंच जाता है। समस्या का कुल निचोड़ यह है कि अगर भारत न्यूनतम ४०,००० क्यूसेक पानी अपने लिए हुगली में छोड़ता है, जो कोलकाता बंदरगाह को बचाने के लिए कम से कम अनिवार्य है तो बांग्लादेश को सिर्फ १५,००० क्यूसेक पानी ही मिल पाता है जो उसकी आवश्यकताओं के हिसाब से बहुत कम है। इस प्रकार भारत और बांग्लादेश के बीच मुख्य समस्या गंगा जल के समान बँटवारे को लेकर ही है।

भारत और बांग्लादेश
दिसंबर1971 में बांग्लादेश का जन्म भारत-पाक युद्ध का सीधा नतीजा था जिसमें पाकिस्तानी सैन्य टुकड़ियों ने बिना किसी शर्त तत्कालीन पूर्वी पाकिस्तान में आत्मसमर्पण कर दिया था। भारतीय उपमहाद्वीप में बांग्लादेश के प्रादुर्भाव को एक महत्वपूर्ण घटना के रूप में परिभाषित किया गया। भारत को पूर्वी पाकिस्तान को मुक्त करने के लिए विवश होना पड़ा चूंकि भारत के समक्ष उस समय सबसे बड़ा संकट एक करोड़ शरणार्थियों के सीमा पार से घुस आने का था। भारतीय प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गाँधी द्वारा पाकिस्तान पर अवामी लीग के नेताओं के साथ समझौता करवाने के लिए बनाया गया दबाव भी विफल रहा और कोई नतीजा नहीं निकला।

९ मार्च १९७२ को दोनों देशों ने मित्राता और शांति की संधि पर दस्तखत किए। श्रीमती गाँधी ने बांग्लादेश को भारत के पूर्ण सहयोग और संयुक्त राष्ट्र में उसे प्रवेश दिलाने का पूरा भरोसा दिलाया। इस संधि की समय सीमा २५ वर्ष थी। पाकिस्तान इस संधि पर दस्तखत से असंतुष्ट था और उसने इसे सैन्य गठबंधन का नाम दिया। लेकिन संधि के प्रावधानों के अध्ययन से पता चलता है कि इसका मुख्य उद्देश्य द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करना, क्षेत्रीय शांति कायम करना और अंतरराष्ट्रीय सहयोग को बढ़ाना है। यह निश्चित तौर पर किसी देश या देशों के समूह के खिलाफ कोई सैन्य संधि नहीं थी। इस संधि के बाद २५ मार्च १९७२ को दोनों देशों के बीच एक संक्षिप्त व्यापार समझौता किया गया। इस तरह परस्पर समानता और आपसी हितों, मित्राता तथा सहयोग की पृष्ठभूमि में मित्राता संधि और व्यापार समझौता दोनों देशों के बीच हुआ।