ऊर्जा संकट क्या है , ग्रामीण भारत में ऊर्जा संकट किसे कहते है , कारण , समाधान उपाय energy crisis in india and its solution in hindi

energy crisis in india and its solution in hindi ऊर्जा संकट क्या है , ग्रामीण भारत में ऊर्जा संकट किसे कहते है , कारण , समाधान उपाय ?

ग्रामीण भारत में ऊर्जा संकट
यद्यपि ग्रामीण इलाकों में काफी उन्नति हुई है तथापि अब भी भारत के लाखों गांवों में लकड़ी को ईंधन के रूप में प्रयोग किया जाता है। गांवों के गरीब लोगों को ईंधन की लकड़ी को एकत्रित करने के लिए प्रतिवर्ष 100 मानव दिवस (man days) खर्च करने पड़ते हैं। यह लकड़ी प्रायः जंगलों से एकत्रित की जाती है और वन क्षेत्र की कमी एवं सुरक्षा के कारण इन लोगों को पर्याप्त लकड़ी नहीं मिल पाती, अतः ग्रामीण इलाकों में ईंधन की लकड़ी के कम होने से गंभीर ऊर्जा संकट पैदा हो गया है। किसानों को कृषि कार्यों के लिए उचित समय पर पर्याप्त बिजली नहीं मिलती। इससे कृषि संबंधी कई गतिविधियां अवरुद्ध हो जाती हैं और कृषि उत्पादन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। परिणामस्वरूप किसानों की आर्थिक दशा सुधारने में बड़ी मुश्किलें आती हैं।
भारत में ऊर्जा संकट से निपटने के उपाय
(Measures to tackle the Energy Crisis in India)
1. खनिज तेल के उत्पादन में वृद्धि करनाः जब 1973 में तेल निर्यातक देशों के संगठन (Organisation of Petroleum Exporting Countries-OPEC) ने अचानक ही तेल की कीमतें बढ़ा दी तब भारत में गंभीर ऊर्जा संकट छा गया था। आयात पर निर्भरता कम करने के लिए घरेलू उत्पादन में वृद्धि करने के उपाय किए गए। मुंबई हाई सहित कई नए तेल क्षेत्रों की खोज की गई और उत्पादन 1973-74 में केवल 7 मिलियन टन से बढ़कर 1990-91 में 32.2 मिलियन टन हो गया। इसके पश्चात् खनिज तेल के उत्पादन में कोई विशेष वृद्धि नहीं हुई। 2008-09 में कुल उत्पादन 33.5 मिलियन टन था।
2. खनिज तेल की खपत को कम करनाः 1973 के बाद भारत सरकार ने खनिज तेल की खपत को कम करने की नीति अपनाई परंतु इसमें कोई विशेष सफलता नहीं मिली। 1973 में तेल की खपत केवल 24 मिलियन टन थी जो बढ़कर 1979-80 में 30 मिलियन टन, 1995-96 में 75 मिलियन टन तथा 2006-07 में 145.5 मिलियन टन हो गई। इससे सरकार को तेल के आयात पर भारी विदेशी मुद्रा खर्च करनी पड़ती है। जनसंख्या तथा वाहनों में वृद्धि के साथ-साथ तेल की खपत में भी वृद्धि होने की पूरी संभावना है। तेल की खपत को सीमित करने के लिए औद्योगिक भट्टियों में तेल के स्थान पर कोयला, रेलों को चलाने के लिए डीजल के स्थान पर विद्युत तथा सिंचाई के लिए डीजल पम्प सेटों के स्थान पर विद्युत पम्प सेटों का प्रयोग करने की आवश्यकता है। परंतु ये सब तभी संभव है जब कोयला और विद्युत प्रचुर मात्रा में उपलब्ध हों। ताप विद्युत घरों में 10 मिलियन टन कोयला जलाने से 4 मिलियन टन तेल की बचत होती है, परंतु जिस गति से कोयले की खपत बढ़ रही है उस हिसाब से हमारे वर्तमान कोयला भंडार 2035-40 में समाप्त हो जाएंगे। अतः तेल के स्थान पर कोयले का प्रयोग कोई अच्छा विकल्प नहीं है।
3. जल विद्युत का अधिकतम उपयोगः जल विद्युत एक असमाप्य, साफ-सुथरा, प्रदूषण रहित तथा आसानी से एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाए जाने वाला ऊर्जा संसाधन है जिसका अधिकतम उपयोग किया जाना चाहिए। बहुत-सी नदियों के जल का प्रयोग विद्युत के उत्पादन के लिए किया जाता है। परंतु सम्भाव्य जल विद्युत का वितरण उत्तर-पूर्व के दुर्गम तथा ऊबड़-खाबड़ इलाकों में है। अतः जल विद्युत के विकास की कोई विशेष सम्भावनाएं नहीं हैं। बल्कि इसके विपरीत भारत के कुल ऊर्जा उत्पादन में जल विद्युत का महत्व कम होता जा रहा है। 1970-71 में जल विद्युत भारत के कुल ऊर्जा उत्पादन का 43.5 प्रतिशत था, जो 2008-09 में घटकर 24.9 प्रतिशत रह गया।
4. ऊर्जा का सरंक्षणः ऊर्जा संकट की पृष्ठभूमि में ऊर्जा की बचत करके उसका सरक्षण करना अति आवश्यक है। इसके लिए ऊर्जा के स्रोत से खपत तक पहुंचाने में ऊर्जा के ह्रास

प्रश्न
(क) निम्नलिखित प्रश्नों का लगभग 200 शब्दों में उत्तर दीजिएः
1. परती भूमि किसे कहते हैं? यह कितने प्रकार की होती है? भूमि उपयोग में इसका क्या महत्व है?
2. राष्ट्रीय जल संसाधन नीति 2002 का वर्णन कीजिए। यह 1987 की नीति से किस प्रकार भिन्न है?
3. भारत में अभ्रक के उत्पादन तथा वितरण का वर्णन करते हुए इसके आर्थिक महत्व का उल्लेख कीजिए।
4. बॉक्साइट का क्या लाभ है? भारत में इसके उत्पादन तथा वितरण का वर्णन कीजिए।
5. भारत में नाभिकीय खनिजों के सदुपयोग और प्रक्रमण की वर्तमान स्थिति पर प्रकाश डालिए। U.P.S.C.;M)1998
6. भारत में जीवीय संसाधनों के संरक्षण की आवश्यकता का परीक्षण कीजिए। U.P.S.C.;M)1999
7. भारत की राष्ट्रीय वन नीति का परीक्षण कीजिए। U.P.S.C.(M) 2000
8. भारत में ऊर्जा संकट के सदंर्भ में गैर-परंपरागत ऊर्जा संसाधनों के महत्व पर प्रकाश डालिए।
9. भारत में ऊर्जा संकट के न्यूनतमीकरण के लिए उपयुक्त ऊर्जा नीति सुझाइए। U.P.S.C.;M) 2008
(ख) निम्नलिखित प्रश्नों का लगभग 600 शब्दों में उत्तर दीजिएः
1. भारत में भूमि उपयोग के प्रतिरूप का वर्णन कीजिए।
2. भारत के भौम जल संसाधनों का वर्णन कीजिए और इसके ह्रास के कारण बताइए। जल संसाधनों के संरक्षण के उपाय बताइए।
3. भारत में जल संसाधनों के संरक्षण की आवश्यकता एवं उपयोगिता पर चर्चा कीजिए। U.P.S.C.;M) 2007
4. भारत के धात्विक खनिज संसाधनों का आलोचनात्मक परीक्षण उनकी वर्तमान एवं भावी मांगों के विशेष संदर्भ में कीजिए। न्ण्च्ण्ैण्ब्ण्;डद्ध 1996
5. भारत में बॉक्साइट के वितरण प्रारूप और सदुपयोग विधि का परीक्षण कीजिए। U.P.S.C.;M) 1998
6. दक्कन पठार के प्रमख खनिज संसाधनों के वितरण की व्याख्या. खनिजों की संदोहन-मात्रा का बताते हुए कीजिए। U.P.S.C.;M) 1992
7. भारत के जीवाश्म ईंधन संसाधनों का परीक्षण ऊर्जा की वर्तमान एवं भावी मांगों के विशेष सदंर्भ में कीजिए। U.P.S.C.;M) 1995
8. भारत के महत्वपर्ण जीवीय संसाधन प्रदेश की पहचान कीजिए। भारत में जीवीय संसाधन संरक्षण का समस्याआंे एवं उपचारी उपायों पर संक्षेप में प्रकाश डालिए। U.P.S.C.;M) 2004
9. ऊर्जा की वर्तमान एवं भावी मांगों के सन्दर्भ में भारत के जीवश्मी ईधन-संसाधनों का मूल्यांकन काजिए। उनका की वर्तमान एवं भावी संभावनाओं का परीक्षण कीजिए। U.P.S.C.;M) 1990
10. ‘‘गैर पारंपरिक ऊर्जा ही भारत में भविष्य की ऊर्जा है।‘‘ इस कथन के पक्ष में तर्क दीजिए। U.P.S.C.;M) 2007
11. भारत के समुद्री-संसाधनों का आलोचनात्मक परीक्षण कीजिए तथा उनकी विकास सबंधी समस्याओं का विवचेन कीजिए। U.P.S.C.;M) 1993
12. भारत के वन-संसाधनों का परीक्षण कीजिए तथा उन संरक्षण-सिद्धान्तों को समझाइए, जो देश की वन-सम्पदा के विकास में प्रयुक्त किए जा सकते हैं। U.P.S.C.;M) 1994
13. भारत में वन्य प्राणियों का उल्लेख कीजिए तथा उनके संरक्षण के लिए किए गए प्रयासों का वर्णन कीजिए।
14. भारत में ऊर्जा संकट के कारण बताइए तथा इस संकट से निपटने के लिए उपाय सुझाइए।