electromagnetic force in hindi , विद्युत चुंबकीय बल की परिभाषा क्या है ? उदाहरण , मात्रक , इकाई :-
परिनालिका एवं टोराइड : परिनालिका और टोरोइड ऐसे उपकरण है जिनकी सहायता से चुम्बकीय क्षेत्र उत्पन्न किया जा सकता है | परिनालिका से उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र का उपयोग टेलीविजन में किया जाता है जबकि सिक्रोटोन में चुम्बकीय क्षेत्र दोनों से संयुक्त रूप से उत्पन्न किया जाता है |
परिनालिका : इसमें एक कुचालक खोखला बेलन होता है जिसकी लम्बाई इसकी त्रिज्या की तुलना में अधिक होती है | इस बेलन पर लम्बाई के अनुदिश ताम्बे के विद्युतरोधी तार लपेट दिए जाते है |
जब इस परिनालिका में धारा प्रवाहित की जाती है तो परिनालिका के भीतर सम चुम्बकीय क्षेत्र उत्पन्न हो जाता है परन्तु परिनालिका के बाहर चुंबकीय क्षेत्र का मान शून्य होता है |
यदि n = एकांक लम्बाई में फेरो की संख्या
N = कुल फेरों की संख्या
तो परिनालिका के भीतर चुम्बकीय क्षेत्र निम्न प्रकार ज्ञात कर सकते है |
परिनालिका के भीतर चुम्बकीय क्षेत्र B है जो परिनालिका की अक्ष के सामानांतर है | इस चुम्बकीय क्षेत्र B का मान ज्ञात करने के लिए एक आयताकार बंद पृष्ठ abcd की कल्पना करते है |
ab = l
bc = h
∫B.dl = u0 εi समीकरण-1
∫B.dl = Bl समीकरण-2
माना एकांक लम्बाई में फेरों की संख्या n
l लम्बाई में फेरों की संख्या = nl समीकरण-3
फेरों में धारा = i
nl = εi = nli समीकरण-4
समीकरण-1 में 2 व 4 से मान रखने पर –
B = u0ni
टोरॉइड : यदि किसी परिनालिका के दोनों सिरों को मोड़कर जोड़ दिया जाए तो इसे टोरॉइड कहते है |
माना टोरॉइड की माध्य त्रिज्या r , कुल फेरों की संख्या N तथा एक फेरे में प्रवाहित धारा i है |
माना टोरॉइड पर कोई अल्पांश dl है एवं अल्पांश पर चुम्बकीय क्षेत्र B है , एम्पियर के नियम से –
∫B.dl = u0 εi
∫ B.dlcosθ = u0 εi समीकरण-1
चूँकि dl व B एक ही दिशा में है
θ = 0
cos0 = 1
B∫ dl = u0 εi
B2πr = u0Ni
B = u0Ni/2πr समीकरण-2
N/2πr = n एकांक लम्बाई में फेरो की संख्या –
B = u0ni
एम्पियर की अन्तराष्ट्रीय परिभाषा : दो लम्बे सीधे समान्तर धारावाही चालक तारों की एकांक लम्बाई पर लगने वाला बल |
F/l = u0i1i2/2πr समीकरण-1
I1 = i2 = 1 एम्पियर
r = 1 मीटर
F/l = u0/2π समीकरण-2
u0 = 4π x 10-7
F/l = 2 x 10-7 न्यूटन/मीटर
1 मीटर दूरी पर स्थित दो लम्बे सीधे समान्तर तारो में समान प्रबलता की धारा प्रवाहित करने पर तार की एकांक लम्बाई में लगने वाला बल 2 x 10-7 न्यूटन/मीटर हो तो प्रवाहित धारा का मान 1 एम्पियर होगा |
एक समान चुम्बकीय क्षेत्र आयताकार विद्युत धारा पाश पर बल आघूर्ण : abcd एक आयताकार पाश है जिसकी लम्बाई a तथा चौड़ाई b है | इस पाश में प्रवाहित धारा i है तथा यह सम चुम्बकीय क्षेत्र में स्थित है |
अत: आयताकार पाश की भुजा ab तथा bc पर कोई चुम्बकीय बल कार्य नहीं करता है |
ab भुजा पर लगने वाला बल F1 = ibB समीकरण-1
cd भुजा पर लगने वाला बल F1 = ibB समीकरण-2
F1 व F2 बराबर व विपरीत है परन्तु क्रिया रेखा अलग अलग है अत: ये एक बल युग्म का निर्माण करेगी जो इसे घुमाने का प्रत्यन्न करती है |
इस बल युग्म का आघूर्ण
T = i(ab)B
चूँकि ab = A (क्षेत्रफल)
T = iAB
आयताकार पाश का तल चुम्बकीय क्षेत्र के साथ θ कोण बनाता है |
abcd एक आयताकार पाश है जिसकी लम्बाई a तथा चौड़ाई b है , इस पाश में प्रवाहित धारा i है |
यह सम चुम्बकीय क्षेत्र B में स्थित है |
अत: आयताकार पाश की भुजा ad तथा bc पर कोई चुम्बकीय बल कार्य नहीं करता |
जबकि
ab भुजा पर लगने वाला बल F1 = ibB समीकरण-1
cd भुजा पर लगने वाला बल F1 = ibB समीकरण-2
F1 व F2 बराबर व विपरीत है लेकिन क्रिया रेखाएँ भिन्न भिन्न है अत: ये एक बल युग्म का निर्माण करेगी जो इसे घुमाने का प्रयत्न करती है |
इस बल युग्म का आघूर्ण
T = i(ab) B sinθ
चूँकि ab = A (क्षेत्रफल)
T = iAB sinθ
iA = M
धारावाही पाश का चुम्बकीय आघूर्ण
T = MB sinθ
यदि धारावाही पाश में फेरों की संख्या N तथा प्रवाहित धारा i और पाश का क्षेत्रफल A हो तो –
धारावाही पाश का चुम्बकीय आघूर्ण –
M = NIA
विद्युत द्विध्रुव के कारण उत्पन्न विद्युत क्षेत्र की धारावाही पाश के कारण उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र से तुलना : धारावाही लूप के कारण केंद्र O से x दूरी पर अक्ष पर स्थित किसी बिंदु पर चुम्बकीय क्षेत्र –
B = u0iR2/2(R2+x2)3/2 समीकरण-1
x >> R अत: x2 की तुलना में R2 को नगण्य मानने पर –
अत:
B = u0iR2/2x3 समीकरण-2
π से ऊपर नीचे गुणा करने पर –
B = u0iπR2/2πx3
πR2 = A क्षेत्रफल
B = u0iA/2πx3 समीकरण-3
iA = M चुम्बकीय आघूर्ण
B = u0M/2πx3 समीकरण-4
RHS में 2 से ऊपर निचे गुणा करने पर –
B = u02M/4πx3
B = u0/4π [2M/x3] समीकरण-5
विद्युत द्विध्रुव के केंद्र से अक्ष पर r दूरी पर स्थित बिंदु पर विद्युत क्षेत्र = E = 1/4πε0[2P/r3] समीकरण-6
अत: धारावाही पाश के कारण उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र तथा विद्युत द्विध्रुव के कारण उत्पन्न विद्युत क्षेत्र समतुल्य है |
इसी प्रकार द्विध्रुव की निरक्ष पर विद्युत क्षेत्र E = 1/4πε0[P/r3]
धारावाही लूप की निरक्ष पर चुम्बकीय क्षेत्र B = u0/4π [M/x3]