आवेशों के निकाय के कारण विद्युत क्षेत्र electric field due to a system of charges , due to multiple charges in hindi

अनेक या कई (electric field due to a system of charges in hindi ) आवेशों के निकाय के कारण विद्युत क्षेत्र due to multiple charges in hindi : हम पिछले टॉपिक में सिर्फ एक आवेश को ध्यान में रखकर विद्युत क्षेत्र की तीव्रता ज्ञात की।

अब हम बात करते है जब बहुत सारे आवेश उपस्थित हो और उन सब आवेशों के कारण किसी बिन्दु पर उत्पन्न विद्युत क्षेत्र की तीव्रता ज्ञात करेंगे।
आवेशों के निकाय के कारण किसी बिंदु पर विद्युत क्षेत्र की तीव्रता ज्ञात करने के लिए जिस सिद्धांत का उपयोग किया जाता है उसे विद्युत क्षेत्र का अध्यारोपण का सिद्धान्त कहते है।
विद्युत क्षेत्र के अध्यारोपण के सिद्धान्त के अनुसार ” किसी बिन्दु पर आवेशों के समूह के कारण उत्पन्न विद्युत क्षेत्र की तीव्रता उस बिंदु पर सभी आवेशों के कारण उत्पन्न विद्युत क्षेत्र की तीव्रता के सदिश योग के बराबर होती है “
माना एक आवेशों का निकाय है जिसमे q1 , q2 , q3 ……qn बिंदु आवेश उपस्थित है , इन आवेशों के कारण P बिंदु पर उत्पन्न विद्युत क्षेत्र की तीव्रता क्रमशः E1 , E2 , E3……. En है तो सभी आवेशों के कारण बिन्दु P पर कुल विद्युत क्षेत्र की तीव्रता सभी के सदिश योग के बराबर होगी।
प्रश्न : यदि आवेश q से निकलने वाली विद्युत क्षेत्र बल रेखाओं की संख्या 10 है तो आवेश 2q से निकलने वाली बल रेखाओं की संख्या ज्ञात करो ?
उत्तर : विद्युत बल रेखाओं की संख्या ∝ आवेश
10 ∝ q
20 ∝ 2q
इसलिए आवेश 2q से निकलने वाली बल रेखाओं की संख्या 20 होगी।
प्रश्न : यदि किसी आवेश को विद्युत क्षेत्र में छोड़ा जाता है तो , क्या यह बल रेखाओं का अनुसरण करेगा ?
उत्तर : स्थिति-1 : यदि आवेश के विद्युत बल रेखायें समान्तर है तो इस प्रकार के विद्युत क्षेत्र में यदि आवेश को छोड़ा जाता है तब इस पर लगने वाला बल q0E होगा एवं इसकी दिशा E के अनुदिश होगी अत: आवेश सरल रेखा में बल रेखाओं के अनुदिश गति करेगा।
स्थिति-2 : यदि बल रेखाएं वक्र है तो , आवेश बल रेखाओं का अनुसरण नहीं करेगा।
प्रश्न : एक द्विध्रुव दो बिंदु आवेश जिनका आवेश -q और +q है और प्रत्येक का द्रव्यमान m1 है से बना है। दोनों बिंदु आवेश l लम्बाई एवं m1 द्रव्यमान की छड से जुड़े हुए है। यह द्विध्रुव समान विद्युत क्षेत्र E में रखा है। यदि द्विध्रुव को स्थायी साम्यावस्था से θ कोण से विक्षेपित किया जाता है तो सिद्ध करो कि इसकी गति लगभग S.H.M. होगी। इसका कालांतर भी ज्ञात करो ?
उत्तर : यदि द्विध्रुव को θ कोण से विक्षेपित करे तब –
τnet = -PEsinθ (यहाँ ऋणात्मक चिन्ह यह दर्शाता है कि बलाघूर्ण θ के विपरीत है )
यदि θ बहुत छोटा है तो sinθ = θ
τnet = -PEθ
τnet ∝ (-θ)
अत: , गति सरल आवर्त गति है।
T = 2π√I/K
प्रश्न : एक चालक को आवेश देने पर आवेश उसके पृष्ठ पर फ़ैल जाता है , ऐसा क्यों होता है ?
उत्तर : मुक्त आवेश प्रतिकर्षण के कारण अधिकतम दूरी अर्थात न्यूनतम ऊर्जा की स्थिति में रहते है इसलिए चालक को दिया गया आवेश उसके पृष्ठ पर फ़ैल जाता है।
प्रश्न : किसी यादृच्छिक स्थिर विद्युत क्षेत्र विन्यास पर विचार कीजिये। इस विन्यास की किसी शून्य विक्षेप स्थिति अर्थात जहाँ E = 0 पर कोई छोटा परिक्षण आवेश रखा गया है। यह दर्शाइए कि परिक्षण आवेश का संतुलन आवश्यक रूप से अस्थायी है।
उत्तर : माना शून्य विक्षेप स्थिति में रखे परिक्षण आवेश का संतुलन स्थायी है। अब यदि परिक्षण आवेश को संतुलन स्थिति से थोडा सा विस्थापित किया जाए तो परिक्षण आवेश पर एक प्रत्यानयन बल लगना चाहिए जो उसे वापस संतुलन स्थिति की ओर ले जाए। इसका अर्थ यह हुआ कि उस स्थान पर शून्य विक्षेप बिंदु की ओर जाने वाली क्षेत्र रेखाएँ होनी चाहिए जबकि स्थिर विद्युत क्षेत्र रेखाएँ कभी भी शून्य विक्षेप बिन्दु तक नहीं पहुँचती। अत: हमारी यह परिकल्पना कि परिक्षण आवेश का सन्तुलन स्थायी है , गलत है। यह निश्चित रूप से अस्थायी संतुलन है।