प्रतिध्वनि क्या है , ( echo in hindi ) : जब कोई ध्वनि तरंग किसी पृष्ठ से टकराकर श्रोता के पास पहुँचती है तो उस ध्वनि को ही प्रतिध्वनि कहते है।
आपने देखा होगा कि जब आप किसी पहाड़ पर खड़े होते है और जोर से आवाज देते है तो आपकी आवाज पहाड़ से टकराकर आप तक वापस आ जाती है , इस ध्वनि को जो टकराकर वापस आई है इसे प्रतिध्वनि कहते है।
मान लीजिये श्रोता से पहाड़ या परावर्तक पृष्ठ (जिससे आवाज टकराकर वापस लौटती है) d दूरी पर स्थिति है , माना ध्वनि की चाल v है तो ध्वनि को 2d दूरी तय करनी पड़ेगी , d दूरी जाते समय और d दूरी ही आते समय अत: ध्वनि द्वारा तय कुल दूरी 2d होगी , और ध्वनि को टकराकर वापस लौटने में लगा समय t = 2d/v होगा।
नोट : प्रतिध्वनि तभी उत्पन्न होती है जब परावर्तक सतह कम से कम श्रोता से 17 मीटर की दूरी पर स्थित हो , यही कारण है की पहाड़ो में सभी जगह प्रतिध्वनि उत्पन्न नही होती क्योंकि पहाड़ आपसे 17 मीटर की दूरी पर नही होते है ,अगर है तो प्रतिध्वनि उत्पन्न होती है।
अप्रगामी तरंग क्या है , अप्रगामी तरंगे किसे कहते है ? (standing waves or stationary wave) : जब दो तरंगे जिनका आयाम और तरंग दैर्ध्य , विपरीत दिशा में गति करती है तो दोनों तरंगों के कारण अध्यारोपण की घटना घटित होती है , अध्यारोपण के कारण एक नई तरंग उत्पन्न हो जाती है , जो स्थिर प्रतीत होती है। इस स्थिर तरंग को ही अप्रगामी तरंग कहते है।
उदाहरण : जब किसी रस्सी के दोनों सिरों को पकड़ कर दोनों सिरों को साथ में हिलाकर तरंग उत्पन्न की जाती है तो हम देखते है की यहाँ तरंग कही गति न करके , कम्पन्नित होती हुई प्रतीत होती है अर्थात ये तरंग एक स्थान पर ही स्थिर दिखाई देती है इन तरंगो को ही अप्रगामी तरंगे कहते है।
आपने देखा होगा कि जब आप किसी पहाड़ पर खड़े होते है और जोर से आवाज देते है तो आपकी आवाज पहाड़ से टकराकर आप तक वापस आ जाती है , इस ध्वनि को जो टकराकर वापस आई है इसे प्रतिध्वनि कहते है।
मान लीजिये श्रोता से पहाड़ या परावर्तक पृष्ठ (जिससे आवाज टकराकर वापस लौटती है) d दूरी पर स्थिति है , माना ध्वनि की चाल v है तो ध्वनि को 2d दूरी तय करनी पड़ेगी , d दूरी जाते समय और d दूरी ही आते समय अत: ध्वनि द्वारा तय कुल दूरी 2d होगी , और ध्वनि को टकराकर वापस लौटने में लगा समय t = 2d/v होगा।
नोट : प्रतिध्वनि तभी उत्पन्न होती है जब परावर्तक सतह कम से कम श्रोता से 17 मीटर की दूरी पर स्थित हो , यही कारण है की पहाड़ो में सभी जगह प्रतिध्वनि उत्पन्न नही होती क्योंकि पहाड़ आपसे 17 मीटर की दूरी पर नही होते है ,अगर है तो प्रतिध्वनि उत्पन्न होती है।
अप्रगामी तरंग क्या है , अप्रगामी तरंगे किसे कहते है ? (standing waves or stationary wave) : जब दो तरंगे जिनका आयाम और तरंग दैर्ध्य , विपरीत दिशा में गति करती है तो दोनों तरंगों के कारण अध्यारोपण की घटना घटित होती है , अध्यारोपण के कारण एक नई तरंग उत्पन्न हो जाती है , जो स्थिर प्रतीत होती है। इस स्थिर तरंग को ही अप्रगामी तरंग कहते है।
उदाहरण : जब किसी रस्सी के दोनों सिरों को पकड़ कर दोनों सिरों को साथ में हिलाकर तरंग उत्पन्न की जाती है तो हम देखते है की यहाँ तरंग कही गति न करके , कम्पन्नित होती हुई प्रतीत होती है अर्थात ये तरंग एक स्थान पर ही स्थिर दिखाई देती है इन तरंगो को ही अप्रगामी तरंगे कहते है।
अप्रगामी तरंगों के संचरण में हम देखते है कुछ बिन्दु हमें बिल्कुल स्थिर अवस्था में प्राप्त होते है जैसे रस्सी के दोनों सिरे हमें स्थिर लगते है इन स्थिर बिन्दुओ या स्थानों को निस्पंद (nodes) कहते है।
अप्रगामी तरंग के संचरण में कुछ बिन्दुओं या स्थानों पर तरंग का विस्थापन अधिकतम प्राप्त होता है इन बिन्दुओं को प्रस्पन्द (antinodes) कहते है।