digestion of carbohydrates proteins and fats in hindi कार्बोहाइड्रेट का पाचन , प्रोटीन का पाचन कहाँ होता है ? वसा का पाचन कैसे होता है ?
पाचन की कार्यिकी :-
कार्बोहाइड्रेट का पाचन :-
- मुख गुहा में: कार्बोहाइड्रेट का पाचन मुख से शुरू होता है। लारीय एमाइलेज या टायलिन एंजाइम स्टार्च को पूर्णतया उदासीन या हल्के क्षारीय माध्यम में माल्टेज , आइसोमाल्टोज और डैक्सट्रिन में तोड़ता है। स्टार्च का लगभग 30% मुँह में ही जल अपघटित हो जाता है। यदि आप कुछ कच्चे चावल के टुकड़े या ब्रेड के टुकड़ों को धीरे धीरे चबाते है तो यह मीठा स्वाद देता है क्योंकि स्टार्च का माल्टोज में जल अपघटन हो जाता है। चबाना टायलिन की क्रिया में मदद करता है।
कुछ स्तनी जैसे गाय , भैंस , चीता , शेर आदि की लार में लारीय एमाइलेज अनुपस्थित होता है परन्तु सूअर टायलिन स्त्रावित करते है क्योंकि ये जड और ट्यूबर युक्त संग्रहित स्टार्च से भोजन लेते है।
- आमाशय में: जठर रस में कार्बोहाइड्रेट जल अपघटनीय एंजाइम नहीं होते।
- ग्रहणी में: अग्नाशय रस में पाचक एंजाइम एमाइलेज और एमाइलोप्सिन उपस्थित होते है।
- छोटी आंत (आंत्र) में: आन्त्रिय रस या सकस एंटेरीकस निम्नलिखित कार्बोहाइड्रेट पाचक एंजाइमों युक्त होता है। उदाहरण : आइसोमाल्टेज , माल्टेज , लेक्टेज और सुक्रेज आदि।
- माल्टोज → ग्लूकोज + ग्लूकोज (माल्टेज की उपस्थिति)
- आइसोमाल्टोज → ग्लूकोज + ग्लूकोज (आइसोमाल्टेज की उपस्थिति)
- लेक्टोज → ग्लूकोज + गैलेक्टोज (लेक्टेज की उपस्थिति)
- सुक्रोज → ग्लूकोज + फ्रक्टोज (सुक्रेज की उपस्थिति)
ये सभी एंजाइम क्षारीय माध्यम में pH-8 पर कार्य करते है।
लेक्टोज और Flatulence का पाचन : लेक्टोज पाचक एंजाइम लेक्टेज अधिकांश व्यस्क स्तनियो में अनुपस्थित होता है। अपवाद मनुष्य। लेकिन कुछ व्यस्क मानव भी इसको पचा नही सकते क्योंकि इनमे लेक्टेज का उत्पादन उम्र के साथ कम होता जाता है। भोजन में अपचित लेक्टोज आंत्र में किण्वित होता है जिससे गैसों और अम्ल का उत्पादन होता है जिसके परिणामस्वरूप उदर-वायु , आंत्रीय एंठन और डायरिया हो जाता है लेकिन योगहर्ट तथा दही लेने से कोई पाचन समस्या नहीं होती क्योंकि दही में लेक्टोज का लेक्टिक अम्ल में किण्वन हो जाता है। तब ट्रिप्सिन बचे हुए ट्रिप्सिनोजन को सक्रीय ट्रिप्सिन में हाइड्रोलाइज करता है और काइमोट्रिप्सीनोजन को काइमोट्रिप्सीन में सक्रीय करता है।
सेल्युलोज का पाचन
सेल्युलोज हाइड्रोलाइजिंग एंजाइम सेल्युलेज [ß ग्लूकोसाइडेज] कहलाता है। यह केवल कुछ बैक्टीरिया , प्रोटोजोअन्स और कुछ अकशेरुकियो में पाया जाता है। वर्टीब्रेट सेल्युलेज उत्पन्न करने में अयोग्य होते है। शाकाहारी वर्टीब्रेट में सेल्यूलोज पचाने वाले सूक्ष्म जीव आहारनाल के विभिन्न भागो में सहजीवी के रूप में रहते है।
- जुगाली करने वाले स्तनी जैसे गाय , भैंस , भेड और बकरी में आमाशय में सेल्युलोज पाचक बैक्टीरिया होते है।
- चूहे में , गिनी पिग और खरगोश में सेल्यूलोज पाचक सूक्ष्मजीव सीकम तथा एपेंडिक्स में रहते है। ये जुगाली नहीं करते लेकिन ये इनके अपचयित सेल्यूलोज युक्त मल को खाते है। इसे विष्ठाभोगी कहते है। यह अपचित सेल्यूलोज का फिर से पाचन और अवशोषण में सहायक होता है।
- मनुष्य में सेल्यूलोज का पाचन नहीं होता लेकिन कब्ज के समय माइक्रोब द्वारा उत्पादित एंजाइमों से पाचन हो सकता है।
प्रोटीन का पाचन
प्रोटीन का पाचन आमाशय तथा आंत्र में होता है। प्रोटीन हाइड्रोलाइजिंग एंजाइम प्रोटीऐज और पेप्टाइडेज कहलाते है। ये सभी एंजाइम निष्क्रिय अवस्था में स्त्रावित होते है और ये प्रोएन्जाइम कहलाते है क्योंकि यदि ये सक्रीय अवस्था में स्त्रावित होते तो ये स्वयं जीवों के कोशिकीय और बाह्यकोशिकीय प्रोटीन का अपघटन कर देते है।
मुंह में प्रोटीन का हाइड्रोलाइसिस नहीं होता। लार कच्चे प्रोटीन को Denature करता है यदि यह बिना पका हुआ लिया जाता है।
- आमाशय में प्रोटीन का पाचन: जठर रस में पेप्सिन और रेनिन एंजाइम होता है।
- पेप्सिन: निष्क्रिय रूप पेप्सिनोजन के रूप में स्त्रावित होता है। यह अम्लीय माध्यम में सक्रीय पेप्सिन में परिवर्तित हो जाता है और निष्क्रिय पेप्टाइड में बदल जाता है। पेप्सिन एक एन्डोपेप्टाइडेज। यह pH-2 (अम्लीय) पर कार्य करता है और प्रोटीन को प्रोटीओजेज और पेप्टोन में हाइड्रोलाइज करता है।
प्रोटीन → प्रोटीओजेज + पेप्टोज (पेप्सिन की उपस्थिति)
पेप्सिन दूध के स्कंदन में मदद करता है। यह पैराकैसीन और व्हेप्रोटीन को हाइड्रोलाइज करता है। पैराकैसीन कैल्सियम पैराकैसीनेट के रूप में अवक्षेपित होता है और ठोस दही बनता है। यह दूध का स्कंदन कहलाता है।
पेप्सिन प्रोटीन की किस्मों यहाँ तक कि संयोजी उत्तकों की कोलेजन प्रोटीन को भी हाइड्रोलाइज कर सकता है। हालाँकि यह बालों की किरेटिन , त्वचा , नाख़ून और सिंग को हाइड्रोलाइज नहीं कर सकता है।
- रेनिन निष्क्रिय प्रोरेनिन के रूप में स्त्रावित होता है। अम्लीय pH पर रेनिन कैसिन को पैराकैसीन में अपघटित करता है जो कि दूध का स्कंदन (जमाव) करता है। यह सभी स्तनियो में स्त्रावित नहीं होता। यह व्यस्क गाय और मानव में अनुपस्थित होता है। मानव में स्कंदन पेप्सिन और अन्य दूध स्कंदक एंजाइमो द्वारा होता है।
- ग्रहणी में प्रोटीन का पाचन: अग्नाशयी प्रोटीऐज , ट्रिपसिन , काइमोट्रिपसीन तथा कार्बोक्सीपेप्टाइडेज है लेकिन या निष्क्रिय जाइमोजन या प्रोएन्जाइम के रूप में स्त्रावित होते है जिन्हें ट्रिप्सिनोजन और काइमोट्रिप्सिनोजन कहते है। प्रारंभ में आन्त्रिय प्रोटीऐज एंटरोकाइनेज या एंटरोपेप्टाइडेज निष्क्रिय ट्रिप्सिनोजन को सक्रीय ट्रिप्सिन और एक निष्क्रिय पेप्टाइड में अपघटित करता है।
ट्रिप्सिनोजन → ट्रिप्सिन ( एंटेरोकाइनेज की उपस्थिति)
काइमोट्रिप्सिनोजन → काइमोट्रिप्सिन (ट्रिप्सिन की उपस्थिति)
प्रोकार्बोक्सीपेप्टाइडेज → कार्बोक्सीपेप्टाइडेज (ट्रिप्सिन की उपस्थिति)
प्रोटीन → पेप्टोज + पोलीपेप्टाइड (काइमोट्रिप्सिन की उपस्थिति)
- ट्रिप्सिन: यह क्षारीय माध्यम (pH -8) में कार्य करता है और आधारीय प्रोटीन को पेप्टाइड्स में हाइड्रोलाइज करता है। यह किरेटिन और केसिन को जल अपघटित नहीं कर सकता और इसलिए यह दूध को स्कंदित नहीं कर सकता लेकिन रक्त प्रोटीन फाइब्रिनोजन को फ्राइब्रिन में जल अपघटित कर सकता है।
- काइमोट्रिप्सिन: यह भी pH-8 पर कार्य करता है। प्रोटीन को पेप्टाइड्स में जल अपघटित करता है और दूध को स्कंदित करता है।
- कार्बोक्सीपेप्टाइडेज: यह एक्सोपेप्टाइडेज है। यह पेप्टाइड श्रृंखला में C-सिरे से पेप्टाइड बंध को अपघटित करता है और इससे अंतिम अमीनो अम्ल को निकालता है।
इलास्टिन → वृहद पेप्टाइड्स (इलास्टेज की उपस्थिति)
C. आंत्र में प्रोटीन का पाचन
अन्त्रिय – रस भी क्षारीय होता है। यह प्रोटीन अपघटनी एंजाइमों युक्त होता है।
- एंट्रोपेप्टाइडेज (एन्टरोकाइनेज) अग्नाशय रस के ट्रिप्सिनोजन को सक्रीय करता है।
- डाइपेप्टाइडेज और ट्राइपेप्टाइडेज पोलीपेप्टाइड श्रृंखला को डाइपेप्टाइड और सम्बंधित ट्राइपेप्टाइड्स में अपघटित करते है।
- एमीनोपेप्टाइडेज पेप्टाइड श्रृंखला के N सिरे से पेप्टाइड बंध को जल अपघटित करता है और श्रृंखला से प्रथम एमिनो एसिड बाहर निकालता है।
एन्डोपेप्टाइडेज वो प्रोटीयोलायटिक और प्रोटीन अपघटनी एन्जाइम है जो मुख्य पोलीपेप्टाइड को श्रृंखला के मध्य से अपघटित करता है। संरचना के साथ पेप्टाइड बंध को अपघटित करता है। आमाशय में पेप्सिन और अग्नाशय रस के ट्रिप्सिन तथा काइमोट्रिप्सिन एंडोपेप्टाइडेज है।
एक्सोपेप्टाइडेज वो प्रोटीन अपघटनी एंजाइम है जो पोलीपेप्टाइड श्रृंखला से एमिनों एसिड को N- या C- सिरे पर क्रिया कर हाइड्रोलाइज करता है।
कार्बोक्सीपेप्टाइडेज वो प्रोटियोलायटिक एंजाइम है जो अंतिम कार्बोक्सी पेप्टाइड बंध पर आक्रमण करता है और एक एमिनों एसिड मुक्त करता है।
वसा का पाचन
वसा अपघटनी एंजाइम लाइपेजेज कहलाते है। ये जल में घुलनशील होते है। ये केवल वसा बूंदों की जल आसन्न सतह पर ही कार्य करते है। अत: लाइपेज की क्रियाशीलता वसा बूंदों की सतह क्षेत्रफल की उपलब्धता पर निर्भर करती है। द्रव्यमान के सम्बन्ध में बूंदों का आकार छोटा होने पर सतह क्षेत्रफल बढ़ता जाता है अत: लाइपेज वसा को केवल तब ही हाइड्रोलाइज करता है। जब इसके बड़े अणु छोटी बूंदों में टूटकर इमल्सन बनते है। इसका तात्पर्य यह है कि वसा का पायसीकरण पाचन का पूर्ववर्ती है जो की आवश्यक पद है। वसा मुख गुहा में अपरिवर्तित रहता है क्योंकि लार में वसा पायसीकरण कारक और लाइपेज दोनों की कमी होती है।
(a) ग्रहणी में वसा का पाचन : पित्त लवण पित्त पायस वसा को छोटी बूंदों में तोड़कर ग्रहणी में लाते है , अग्नाशयी लाइपेज अग्नाशयी रस में उपस्थित होता है जो ट्राईग्लिसराइड वसा को डाइग्लिसराइड तथा मोनोग्लिसराइड में अपघटित करता है।
(b) आंत्र में वसा का पाचन : आंत्रिय लाइपेज डाइग्लिसराइड और ट्राईग्लिसराइड को वसीय अम्ल और मोनो ग्लिसराइड में अपघटित कर देता है।
मानव में पाचन का हार्मोन नियंत्रण
हार्मोन | स्रोत | प्रेरण | क्रिया |
1. गैस्ट्रिन | पाइलोरिक आमाशय की गैस्ट्रिक श्लेष्मा | आंशिक पचित भोजन | जठर रस के स्त्रावण को उत्प्रेरित करता है | |
2. एन्टरोगैस्ट्रोन | ग्रहणी म्युकोसा | ग्रहणी में काइम की वसा | जठर स्त्रावण को रोकता है
गैस्ट्रिक मोबिलिटी कम करता है | |
3. सिक्रेटिन | ग्रहणी म्यूकोसा | आंशिक पचित प्रोटीन , वसा , अम्ल | अग्नाशय रस से बाइकार्बोनेट मुक्त कराने को उत्प्रेरित करता है | |
4. कोलेसिस्टोकाइनिन | ग्रहणी श्लेष्मा | वसा , आंशिक पचित काइम | पित्त स्त्रावण को उत्प्रेरित करता है | |
5. पेनक्रियोजाइमिन | ग्रहणी श्लेष्मा | ग्रहणी में उपस्थित भोजन | अग्नाशय रस में पाचक एंजाइम का स्त्रावण उत्प्रेरित करता है | |
6. ड्यूओक्राइनिन | ग्रहणी श्लेष्मा | काइम में एसिड की उपस्थिति | आन्त्रिय रस में ब्रूनर ग्रंथि से विस्कस श्लेष्मा के स्त्रवण को उत्प्रेरित करता है | |
7. एन्टरोक्राइनिन | ग्रहणी श्लेष्मा | काइम में एसिड की उपस्थिति | लिबरकुहन की दरारों से एंजाइम की मुक्ति को उत्प्रेरित करता है | |
8. विलिकाईनिन | आंत्रिय श्लेष्मा | छोटी आंत का भोजन | विलाई की गतियो को प्रेरित करता है | |