चक्रवात और प्रतिचक्रवात में क्या अंतर है difference between cyclone and anticyclone in hindi

difference between cyclone and anticyclone in hindi चक्रवात और प्रतिचक्रवात में क्या अंतर है ?

चक्रवात और प्रतिचक्रवात
चक्रवात व प्रतिचक्रवात की उत्पत्ति विभिन्न प्रकार की वायुराशियों के मिश्रण के फलस्वरूप वायु के तीव्र गति से ऊपर उठकर बवंडर का रूप धारण करने से होती है।

चक्रवात (Cyclone)
जब केन्द्र में कम दाब के क्षेत्र का निर्माण होता है तो बाहर की ओर दाब बढ़ता जाता है। इस स्थिति में हवाएं बाहर से अंदर की ओर चलती हैं जिसे चक्रवात कहते हैं। चक्रवात में वायु की दिशा उत्तरी गोलार्ध में घड़ी की सुइयों की दिशा के विपरीत और दक्षिणी गोलार्ध में घड़ी की सूइयों की दिशा में होती है। चक्रवात में हवा केन्द्र की तरफ आती है और ऊपर उठकर ठंडी होती है।
उष्णकटिबंधीय चक्रवातों का व्यास 100-500 किमी तक होता है। अलग-अलग जगहों पर इन्हें अलग-अलग नामों से जाना जाता है।
 हरिकेन (यूएसए): यह एक उष्ण कटिबंधीय चक्रवात होता है जो वेस्टइंडीज तथा मैक्सिको की खाड़ी में अगस्त-सितंबर महीने में विकसित होते हैं।
 टाइफून (चीन): यह भी एक उष्ण कटिबंधीय चक्रवात है जो चीन सागर तथा उसके समीपवर्ती क्षेत्रों में विकसित होते हैं।
टॉरनेडो: चक्रवातों के आकार की दृष्टि से टारनैडो लघुतम होता है परन्तु प्रभाव के दृष्टिकोण से सबसे प्रलयकारी तथा प्रचण्ड होता है। टारनैडो मुख्य रूप से यूएसए तथा गौण रूप से ऑस्ट्रेलिया में उत्पन्न होते हैं। टारनैडो में हवाएं 800 किमी प्रति घंटे की चाल से प्रवाहित होती हैं, जो कि किसी भी प्रकार के चक्रवात से अधिक तेज है।
 विली-विली: ये उष्णकटिबंधीय तूफान हैं जो उत्तर-पश्चिम ऑस्ट्रेलिया में आते हैं।
 चक्रवात: ये उष्णकटिबंधीय कम दबाव के तूफान हैं जो बंगाल की खाड़ी और अरब सागर के भारतीय तटों पर आते हैं।

प्रतिचक्रवात (Anticyclone)
जब केन्द्र में दबाव अधिक हो जाता है तो हवाएं बाहर की ओर चलती हैं। इसे प्रतिचक्रवात कहते हैं और इसमें वाताग्र का अभाव होता है। इसमें वायु की दिशा उत्तरी गोलार्ध में घड़ी की सुइयों की दिशा में और दक्षिणी गोलार्ध में घड़ी की सुइयों की दिशा के विपरीत होती है।
प्रतिचक्रवात किसी भी निश्चित दिशा में नहीं चलता है। इससे जुड़ा हुआ मौसम मुख्यतः अच्छा और सूखा होता है।

समुद्र विज्ञान

महासागर और समुद्र
ऽ पृथ्वी पर व्याप्त विशाल जलीय भाग को चार महासागरों में विभक्त किया गया है:
(क) प्रशान्त महासागर
(ख) अटलांटिक महासागर
(ग) हिन्द महासागर
(घ) आर्कटिक महासागर
ऽ विभिन्न समुद्र, खाड़ियां, गर्त और उपखाड़ियां आदि इन्हीं महासागरों के भाग हैं।
ऽ पृथ्वी की सतह का 70 प्रतिशत से अधिक भाग महासागरों द्वारा घिरा हुआ है।
ऽ ये सौर ऊर्जा के लिए बचत कोष की भांति कार्य करते हैं। ग्रीष्म ऋतु एवं दिन में अतिरिक्त सौर उर्जा को संचित कर जाड़े में एवं रात में उसकी क्षतिपूर्ति करते हैं।
ऽ अपने व्यापक सतह के कारण सौर ऊर्जा का लगभग 71 प्रतिशत भाग प्राप्त करते हैं।
ऽ सौर ऊर्जा के अवशोषण से समुद्र की ऊपरी परत अपेक्षाकृत अधिक गर्म हो जाता है जिससे इसके घनत्व में कमी आती है।
ऽ विषुवतीय क्षेत्रों में समुद्री सतह ध्रूवीय क्षेत्रों की अपेक्षा ज्यादा गर्म होती है।
ऽ समुद्री क्षेत्रों में धात्विक एवं अधात्विक पदार्थों जैसे-पेट्रोलियम, गैसें, लवण, मैंगनीज, सोना, हीरा, लोहा आदि का अपार भंडार है।
ऽ ब्रोमीन और सल्फर, जो सतह पर बहुत विरले पाये जाते हैं, का बहुत बड़ा भंडार सागरीय क्षेत्रों में है।
ऽ समुद्र से लगभग 90 प्रकार से ऊर्जा प्राप्त की जा सकती है। इनमें महत्वपूर्ण है: तरंग ऊर्जा, वायु ऊर्जा, ज्वारीय ऊर्जा आदि ।

महासागरीय नितल उच्चावच
ऽ महासागरों के तल विश्व की सबसे बड़ी पर्वत श्रृंखलाओं, सबसे गहरी खाड़ियों और सबसे बड़े मैदानों से बने हुए हैं।
ऽ महासागरों के तल की सही मैपिंग सोनार (Sound Navigationand Ranging) की सहायता से संभव हुई है।
सागरीय नितल में चार प्रमुख उच्चावच मण्डल पाये जाते हैं:
(क) महाद्वीपीय मग्नतट (Continental Shel)ि
(ख) महाद्वीपीय मग्न ढाल (Continental Slope)
(ग) गहरा सागरीय मैदान (Abyssal Plain)
(घ) महासागरीय गर्त (Ocean’s Deep)

महाद्वीपीय मग्नतट
ऽ महाद्वीपों का किनारे वाला वह भाग जो कि महासागरीय जल में डूबा रहता है, उस पर जल की औसत गहराई 100 फैदम (1 फैदम = 6 फीट) तथा ढाल 1° से 3° के बीच होती है, महाद्वीपीय मग्नतट कहलाता है।
ऽ महाद्वीपीय मग्नतट का विस्तार महाद्वीपों की तटरेखा से महाद्वीपीय किनारे तक होता है।
ऽ महाद्वीपीय मग्नतट का छिछलापन सूर्य के प्रकाश को पानी के पार जाने में सक्षम बनाता है जिससे छोटे पौधे और अन्य सूक्ष्म जीवों के विकास को सहायता मिलती है।
ऽ इसलिए ये प्लवकों (Plankton) से समृद्ध होते हैं जहां पर सतह और तल से भोजन लेने वाली लाखों मछलियां आती हैं।
ऽ समुद्री खाद्य लगभग पूरी तरह से महाद्वीपीय मग्नतट से आता है।
ऽ महाद्वीपीय मग्नतट विश्व के सबसे समृद्ध मत्स्य क्षेत्र हैं जैसे- न्यूफाउंडलैण्ड का ग्रैण्ड बैंक, उत्तरी सागर का डोगर बैंक और दक्षिण पूर्वी एशिया का सण्डा सेल्फ।
ऽ ये मग्नतट खनिजों के प्रचुर भण्डार हैं। पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैसों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा इन्हीं से आता है।

महाद्वीपीय ढाल
ऽ जलमग्न तट तथा गहरे सागरीय मैदान के बीच तीव्र ढाल वाले मण्डल को ‘महाद्वीपीय मग्न ढाल‘ कहा जाता है। यह 200-3500 मीटर तक लंबी होती है।
ऽ समस्त सागरीय क्षेत्रफल के 8ण्5ः भाग पर मग्न ढाल पाये जाते हैं। इस क्षेत्र में दर्रे (Canyons) और खाइयां (Trenches) पाई जाती है।

गहरे सागरीय मैदान
ऽ सागरीय मैदान महासागरीय नितल का सर्वाधिक विस्तृत मण्डल होता है, जिसकी गहराई 3000 से 6000 मीटर तक होती है। समस्त महासागरीय क्षेत्रफल के लगभग 75ण्9ः भाग पर सागरीय मैदान का विस्तार पाया जाता है।

महासागरीय गर्त
ऽ महासागरीय गर्त महासागरों के सबसे गहरे भाग होते हैं जो महासागरीय नितल के लगभग 7ः भाग पर फैले हैं।
ऽ विश्व की सबसे गहरी गर्त मरियाना ट्रेंच है जो कि पश्चिम प्रशान्त महासागर में फिलिपीन्स के पास स्थित है।