Definition of Transition Elements in hindi संक्रमण तत्वों की परिभाषा क्या है , किसे कहते है ?
प्रथम संक्रमण श्रेणी के तत्वों का रसायन (Chemistry of Elements of First Transition Series)
संक्रमण तत्वों का परिचय (Introduction of transition elements
आधुनिक आवर्त सारणी चित्र 1.1 में दिखाई गई है। यह चार स्पष्ट भागों से मिलकर बनती है- आरम्भ के दो स्तम्भों का बना s-ब्लॉक, मध्य के 10 स्तम्भों का बना d – ब्लॉक, अन्तिम 6 स्तम्भों का बना p-ब्लॉक तथा नीचे दो श्रृंखलाओं का बना f-ब्लॉक। इन ब्लॉक को ये नाम इसलिए दिये गये हैं क्योंकि इनके तत्वों में प्रवेश करने वाले अन्तिम इलेक्ट्रॉन क्रमश: s, p, d तथा कक्षकों में प्रवेश करते हैं। 5- ब्लॉक के सभी तत्व प्रबल विद्युतधनीय धातु हैं, d-ब्लॉक के भी सभी तत्व धातु हैं लेकिन इनकी विद्युतधनीयता अपेक्षाकृत कम है जबकि p-ब्लॉक तत्वों में अधात्विक एवं विद्युतऋणीय गुण अधिक प्रबल होते हैं-हैलोजन तो अत्यधिक क्रियाशील अधातु हैं | d-ब्लॉक धातुओं को s-ब्लॉक के पश्चात् रखते हैं। आरम्भिक d-ब्लॉक धातुएँ ( Ss, Y, La व Ac) जो s-ब्लॉक के निकटवर्ती हैं, भी प्रबल विद्युतधनीय धातुयें हैं। d-ब्लॉक में दायीं ओर चलने पर ये दोनों गुण कम होने लगते हैं जिसके परिणामस्वरूप, d – ब्लॉक के अन्तिम तत्व (Zn, Cd तथा Hg) तथा उनके एकदम बाद में आने वाले p-ब्लॉक के तत्व (Ga, In तथा TI) विद्युतधनीयता तथा धात्विक गुणों में काफी मेल खाते हैं। गुणों का एक स्थिति से दूसरी स्थिति में हस्तान्तरण संक्रमण (transition) कहलाता है । अतः d-ब्लॉक तत्वों को संक्रमण तत्व भी कहा जाता है क्योंकि ये तत्व किसी आवर्त में विद्युतधनीय तथा धात्विक गुणों को एक छोर से दूसरे छोर को स्थानान्तरित कर देते हैं ।
तृतीय कोश में सर्वप्रथम d कक्षक प्रकट होते हैं, अतः 3d कक्षकों के भरने से प्राप्त तत्वों की श्रेणी प्रथम संक्रमण श्रेणी कहलाती है। 3d – कक्षकों की ऊर्जा 4s कक्षकों से अधिक होती है, अतः चतुर्थ आवर्त में 4s कक्षक के भर जाने के उपरान्त 3d कक्षक भरने लगते हैं जिससे प्रथम संक्रमण श्रेणी चतुर्थ आवर्त में पड़ती है। इसी प्रकार, 4d, 5d तथा 6d कक्षकों के भरने से क्रमशः द्वितीय, तृतीय तथा चतुर्थ संक्रमण श्रेणियां प्राप्त होती हैं जो क्रमानुसार पांचवे, छठे, तथा सातवें आवर्तों में पड़ती हैं। ये श्रेणियां सारणी 1.2 में दिखाई गई है।
उपर्युक्त श्रेणियों में से प्रथम, द्वितीय तथा तृतीय श्रेणियाँ तो पूर्ण हैं अर्थात् उनके सभी तत्व ज्ञात हैं लेकिन चतुर्थ श्रेणी, जो मुख्यतः मानव द्वारा प्रयोगशाला में संश्लेषित तत्वों से निर्मित हैं, अभी अपूर्ण है। ये तत्व अत्यधिक अस्थायी हैं। सभी संक्रमण श्रेणियां IIIB वर्ग से आरम्भ होकर IB वर्ग के सदस्यों पर समाप्त होती है- IIB वर्ग के तत्वों को संक्रमण तत्व न मानने के कारण इन्हें संक्रमण श्रेणियों में सम्मिलित नहीं किया गया है।
संक्रमण तत्वों की परिभाषा ( Definition of Transition Elements)
संक्रमण तत्वों का एक विशिष्ट गुण यह है कि रासायनिक बंध बनाने में ये अपने d-कक्षकों को काम में लेते हैं। इसी आधार पर संक्रमण तत्वों की सर्वाधिक मान्य परिभाषा दी गई है जिसके अनुसार ये वे तत्व हैं जिनमें परिमाण्वीय अवस्था में या उस तत्व की किसी सामान्य ऑक्सीकरण अवस्था में d- कक्षक आंशिक रूप से भरे हों। दूसरे शब्दों में, किसी तत्व की परमाण्वीय या सामान्य ऑक्सीकरण अवस्था में किसी भी एक अवस्था में यदि उसका इलेक्ट्रॉनिक विन्यास dld है तो वह संक्रमण तत्व कहलायेगा। लेकिन, या 10 विन्यास होने पर उसे संक्रमण तत्व की श्रेणी में नहीं रखा जा सकेगा। इससे स्पष्ट है कि :
1.s – ब्लॉक धातु संक्रमण धातु नहीं है क्योंकि इनमें d कक्षक पूर्णतः रिक्त होते हैं (d° विन्यास) ।
- d – ब्लॉक में (n-1) d कक्षक III B वर्ग से भरना आरम्भ (dl) करते हैं तथा इन d-कक्षकों के पूर्ण भर जाने (all) तक इनमें इलेक्ट्रॉन बढ़ते चले जाते हैं । फलतः
(i) III B वर्ग के सदस्य SC, Y, La तथा Ac संक्रमण श्रेणियों के प्रथम सदस्य हैं ( परमाण्वीय अवस्था में dl विन्यास) ।
(ii) III B से VIII B वर्गों के सभी तत्व संक्रमण तत्व हैं क्योंकि इनमें (n-1) d कक्षक आंशिक रूप से भरे होते हैं (d’ से d) विन्यास |
(iii) Pd (विन्यास 4d10) तथा IB वर्ग के तत्वों Cu Ag व Au [ विन्यास (n-1) dlo ns] परमाण्वीय अवस्था में d कक्षक पूर्ण रूप से भरे होते हैं तथापि इनकी निम्न सामान्य ऑक्सीकरण अवस्थाओं में (n-1) d कक्षक आंशिक रूप से भरे होते हैं।
Pd 4d10 → Pd (II)] 14d8 ] Cu(3d10 4s1) → Cu(II) [3ď]
Ag(4d10 5s1)- → Ag(II) [4d0]
Au(5d10 6s1) → Au(III) [5d8]
(iv) Zn, Cd, Hg संक्रमण तत्व नहीं है। इनका परमाणवीय अवस्था में विन्यास (n-ns2 है तथा सामान्य ऑक्सीकरण अवस्था +2 में भी d कक्षक पूर्ण रूप भरे होते हैं।
(v) p-ब्लॉक तत्वों के आरम्भ होने से पहले (n-1) d तथा ns कक्षक पूर्ण रूप होते हैं तथा इलेक्ट्रॉन np कक्षकों में प्रवेश करते हैं। इनकी विभिन्न ऑक्सीकरण अवस्थाओं में अलावा ns कक्षक भाग ले सकते हैं लेकिन (n-1) d कक्षक अप्रभावित रहते हैं, अर्थात् p-तत्वों की दोनों ि अवस्थाओं में विन्यास (n – 1) al° तो रहता ही है। अतः p-ब्लॉक तत्व संक्रमण तत्व नहीं है।
संक्रमण तत्वों की इलेक्ट्रॉनिक विन्यास आधारित परिभाषा के उपर्युक्त विवेचन से निष्कर्ष निकलता . . है कि संक्रमण तत्व केवल d-ब्लॉक में पाये जाते हैं तथा विभिन्न संक्रमण श्रृंखलायें III B तत्वों (Sc, Y, La व Ac) से आरम्भ होकर IB वर्ग के तत्वों पर समाप्त हो जाती हैं।
संक्रमण तत्वों के सामान्य विशिष्ट गुण तथा उनके परिवर्तन में क्रमता (General characteristics and periodicity in properties of transition elements)
संक्रमण धातुओं की विशिष्टतायें एक वर्ग से दूसरे वर्ग के लिए परिवर्तित होती हैं, तथापि बहुत से भौतिक गुण तत्वों के इस समूह से जुड़े रहते हैं। उच्च घनत्व, छोटे परमाणु आकार, उच्च गलनांक तथा क्वथनांक, बहुत से उपसहसंयोजक यौगिक तथा रंगीन यौगिक बनाने की क्षमता तथा परिवर्ती ऑक्सीकरण अवस्था ऐसे भौतिक गुण हैं जो संक्रमण तत्वों के अतिरिक्त अन्य तत्वों द्वारा प्रदर्शित नहीं किये जाते हैं। किसी ‘संक्रमण श्रृंखला में सदस्यों के मध्य काफी समानता पाई जाती है।
संक्रमण तत्वों के रासायनिक गुणों के परिवर्तन में कोई नियमितता नहीं पाई जाती है। ये गुण इतनी तेजी से परिवर्तित होते हैं कि श्रृंखला के आरम्भ में अत्यधिक क्रियाशील तत्व होते हैं तथा अन्त में लगभग अक्रिय धातुएँ. (प्लेटीनम धातुएँ) । एक वर्ग में भी तत्वों के गुणों में महत्वपूर्ण असमानताएँ देखने को मिलती हैं। इस प्रकार की भिन्नता संक्रमण तत्वों की श्रृंखलाओं के आरम्भ में आने वाले वर्गों में कम तथा अन्त में आने वाले वर्गों में अधिक देखने को मिलती हैं।
तत्वों गुण मुख्यतः उनके इलेक्ट्रॉनिक विन्यास तथा उनके आकार पर निर्भर करते हैं। सभी संक्रमण तत्वों में यदि बाह्यतम इलेक्ट्रॉनिक विन्यास ns 2 अपरिवर्तनीय मान लिया जाय तो इन तत्वों के गुणों में परिवर्तन मुख्य रूप से इनके परमाणुओं के आकार में परिवर्तन पर निर्भर करेंगे। इस प्रकार, संक्रमण तत्व अपने पड़ौसी तत्वों से गुणों में किस सीमा तक भिन्न है, इस बात का अनुमान, कम से कम गुणात्मक (qualitatively) रूप से ही, उनके परमाणु आकारों के अन्तर के आधार पर लगाया जा सकता है। आकार में जितना अधिक अन्तर होगा गुणों में भी भिन्नता उतनी ही अधिक होगी। चूंकि एक संक्रमण वर्ग की अपेक्षा एक संक्रमण श्रृंखला के सदस्यों के परमाणु आकारों में परिवर्तन अधिक धीरे- धीरे आता है, एक तत्व अपने सवर्गीय तत्वों (congeners) की अपेक्षा अपनी श्रृंखला के तत्वों से गुणों में अधिक समान होगा। तृतीय संक्रमण श्रृंखला के सदस्यों के परमाणु आकार अपने ऊपर के द्वितीय संक्रमण श्रृंखला के परमाणु आकार के लगभग समान होते हैं (दोनों श्रृंखलाओं के सदस्यों का त्रिज्या अन्तर ~ 0 से 0.2 Á) जबकि द्वितीय संक्रमण श्रृंखला के सदस्य अपने आप के प्रथम संक्रमण श्रृंखला के सदस्यों की तुलना में काफी बड़े होते हैं। (त्रिज्या अन्तर ~ 0.8 से 1.7 A ) । फलतः एक संक्रमण वर्ग के अन्तिम दोनों सदस्य प्रथम दोनों सदस्यों की अपेक्षा गुणों में परस्पर बहुत अधिक मिलते हैं। गुणों में भिन्नता के आधार पर त-खण्ड तत्वों के विवेचन को सुविधा के लिए दो भागों में विभाजित किया जा सकता है।
अतः इस अध्याय में प्रथम संक्रमण श्रृंखला का अध्ययन किया जा रहा है तथा आगामी अध्याय में द्वितीय तथा तृतीय श्रृंखला के बारे में बताया जायेगा ।
ऊपर बताया जा चुका है कि अधिकांश विशिष्ट गुण तत्वों के इलेक्ट्रॉनिक विन्यास तथा परमाणु विज्या (या आयनिक त्रिज्या) पर निर्भर करते हैं। यहां तक कि आकार में परिवर्तन का सम्बन्ध भी इलेक्ट्रॉनिक विन्यास से जोड़ा जा सकता है। प्रतिनिधि तत्वों (s तथा p खण्ड) में आने वाले इलेक्ट्रॉन बातम कोश में ही जुड़ते हैं इसलिए बाह्यतम इलेक्ट्रॉनों का न्यूनतम परिरक्षण होता है। फलतः इन तत्वों के आकार तथा अन्य गुण एक आवर्त में तेजी से परिवर्तित होते हैं। संक्रमण तत्वों में आने वाले इलेक्ट्रॉन (n-1) d कक्षकों में प्रवेश करते हैं। इस कारण से ये तत्व प्रतिनिधि तत्वों से अत्यधिक भिन्न है क्योंकि यहाँ परमाणु में आकर जुड़ने वाले इलेक्ट्रॉन बाह्यतम इलेक्ट्रॉनों का अत्यधिक परिरक्षण करते हैं। इस कारण से एक संक्रमण श्रृंखला में परमाणु संख्या बढ़ने पर आकार बहुत कम घटता है। ऑक्सीकरण अवस्था, चुम्बकीय गुण, आयनिक तथा संकुल प्रजातियों के रंग, संकूल एवं अन्तराकाशी (interstitial) यौगिक बनाने की प्रवृत्ति तथा धात्विक त्रिज्या (जो गलनांक एवं क्वथनांक को प्रभावित करती है) इलेक्ट्रॉनिक विन्यास से सीधा सम्बन्ध रखने वाले गुण हैं। घनत्व, आयनन ऊर्जा तथा विद्युतऋणता आदि गुण तत्वों के आकार से प्रभावित होते हैं।