ठोस या क्रिस्टल में दोष , अपूर्णता , अनादर्श : ठोसों में या क्रिस्टलों में अपूर्णताएं या दोष (defects in crystal or solid in hindi)

(defects in crystal or solid in hindi) ठोस या क्रिस्टल में दोष , अपूर्णता , अनादर्श : ठोसों में या क्रिस्टलों में अपूर्णताएं या दोष : जब किसी क्रिस्टल में उपस्थित अवयवी कण अपनी वास्तविक स्थितियों पर या नियमित क्रम में पाए जाते या इनमें किसी प्रकार की कोई अशुद्धि नहीं होती है तो क्रिस्टल आदर्श स्थिति में कहलाता है लेकिन यदि किसी क्रिस्टल में इसमें अवयवी कण अपनी वास्तविक स्थिति से विचलित हो जाते है या अवयवी कणों के स्थान पर कोई अशुद्धि आ जाती है तो ऐसे क्रिस्टल को अनादर्श क्रिस्टल कहते है और क्रिस्टल में उत्पन्न इन दोषों को क्रिस्टल दोष कहते है या क्रिस्टल में अपूर्णता कहते है।

प्रत्येक ठोस कई क्रिस्टलों से मिलकर बना होता है इसलिए जब किसी ठोस के क्रिस्टल में दोष उत्पन्न होते है तो वह क्रिस्टल जिस ठोस का भाग होता है हम कहते है कि उस ठोस में भी अपूर्णता या दोष उत्पन्न हो गए है।

“किसी ठोस या क्रिस्टल के अवयवी कणों की आदर्श व्यवस्था से अनियमितता या कोई विचलन या अशुद्धि उत्पन्न होना क्रिस्टल या ठोस में दोष या अपूर्णता कहलाता है। ”

जब किसी क्रिस्टल में केवल अवयवी कण अपनी नियमित व्यवस्था से विचलित हो जाते है तो इस प्रकार के दोष को बिंदु दोष (point defects) कहते है।

जब किसी क्रिस्टल जालक में इसके अवयवी कणों की पूरी पंक्ति अपनी नियमित व्यवस्था से विचलित हो जाती है या अनियमित हो जाती है तो ऐसे दोष को रेखीय दोष कहते है।

बिंदु दोष या अपूर्णता

जब कोई अवयवी कण अपने क्रिस्टल में अपनी निश्चित जगह से या नियमित व्यवस्था से विचलित हो जाता है या हट जाता है या गायब हो जाता है तो क्रिस्टल में इस प्रकार के दोष को बिन्दु दोष या बिंदु अपूर्णता कहते है।
किसी क्रिस्टल में बिंदु दोष तीन प्रकार की हो सकती है –
1. स्टाइकियोमीट्री दोष (stoichiometric defects)
2. नॉन स्टाइकियो मीट्री दोष (non stoichiometric defects)
3. अशुद्धि दोष या अपूर्णता (impurity defects)

1. स्टाइकियोमीट्री दोष (stoichiometric defects)

जब किसी क्रिस्टल में धनायन व ऋणायन का अनुपात समान रहता है लेकिन अवयवी कणों की स्थिति में विचलन आदि के कारण जो दोष उत्पन्न होता है अर्थात जब किसी क्रिस्टल में दोष उत्पन्न हो लेकिन उसमें धनायन और ऋणायन समान अनुपात में उपस्थित हो तो ऐसे दोषों को स्टाइकियोमीट्री दोष (stoichiometric defects) कहते है।

2. नॉन स्टाइकियो मीट्री दोष (non stoichiometric defects)

जब किसी क्रिस्टल में धनायन और ऋणायन का अनुपात अणुसूत्र के अनुपात में नहीं होता है अर्थात इसमें धनायन निश्चित अनुपात से या तो अधिक होते है या कम होते है इसलिए धनायन और ऋणायन का अनुपात समान नहीं होता है।
लेकिन क्रिस्टल उदासीन होते है , अनुपात समान नही होने के कारण इसमें इलेक्ट्रॉन या धनायन बाहर से क्रिस्टल को उदासीन करने के लिए आ जाते है जिससे क्रिस्टल में दोष उत्पन्न हो जाता है और इस प्रकार के दोष को नॉन स्टाइकियोमीट्री दोष कहते है।

3. अशुद्धि दोष या अपूर्णता (impurity defects)

किसी यौगिक के चालकता आदि गुणों में परिवर्तन करने के लिए इसमें बाहर से कुछ पदार्थ डाला जाता है जिससे यौगिक के गुण बदल जाते है जैसे चालकता बढ़ जाती है आदि , बाहर से जो पदार्थ मिलाया जाता है उसे अशुद्धि कहते है और इस प्रक्रिया को डोपिंग कहते है।

किसी यौगिक में डोपिंग करने के कारण अर्थात अशुद्धि मिलाने के कारण क्रिस्टल में या यौगिक में जो दोष उत्पन्न होता है उसे अशुद्धि दोष कहते है।

यह दोष सामान्यता आयनिक यौगिक में देखने को मिलता है क्यूंकि हम आयनिक यौगिको की चालकता बढ़ाने के लिए इसमें अशुद्धि मिला देते है।