(current density in hindi) धारा घनत्व क्या है , परिभाषा , मात्रक , विमा , धारा घनत्व किसे कहते है , विमीय सूत्र ?
धारा घनत्व की परिभाषा : किसी एकांक अनुप्रस्थ परिच्छेद क्षेत्रफल से प्रवाहित धारा के मान को धारा घनत्व कहते है , यह एक सदिश राशि है तथा इसकी दिशा धारा की दिशा में होती है इसको प्राय: J से व्यक्त किया जाता है।
धारा घनत्व का मात्रक तथा विमा :
धारा घनत्व (current density in hindi) : एकांक अनुप्रस्थ परिच्छेद क्षेत्रफल से होकर बहने वाली धारा को धारा घनत्व कहते है।
धारा घनत्व को J से व्यक्त करते है। यह सदिश राशि है जिसकी दिशा धारा की दिशा में होती है। यदि A अनुप्रस्थ क्षेत्रफल वाले चालक में i धारा बहती है तो धारा घनत्व –
J = i/A
लेकिन यदि चालक का परिच्छेद क्षेत्रफल धारा के लम्बवत नहीं है बल्कि अभिलम्ब से θ कोण बनाता है तो धारा घनत्व के लिए परिच्छेद क्षेत्रफल A का धारा के अभिलम्बवत घटक An लेना होगा।
An = A cosθ
धारा घनत्व J = i/An = i/A cosθ
अथवा
J = i/A cosθ
मात्रक और विमीय सूत्र –
चूँकि J = i/A
J का मात्रक = A/m2 = Am-2
और J का विमीय सूत्र = A1/L2 = [M0L-2T0A1]
आंकिक प्रश्न और हल
उदाहरण : यदि किसी चालक के अनुप्रस्थ परिच्छेद से एक मिली सेकंड में एक मिलियन इलेक्ट्रॉन गुजरते है तो चालक से प्रवाहित धारा कितनी होगी ?
हल : q = ne = 106 e = 106 x 1.6 x 10-19
q = 1.6 x 10-13 कूलाम
t = 1 मिली सेकंड
= 1 x 10-3 सेकंड
धारा I = q/t = 1.6 x 10-13/1x 10-3
I = 1.6 x 10-10 एम्पियर
उदाहरण : बिंदु A से B की ओर 1016 इलेक्ट्रॉन 10-3 सेकंड में प्रवाहित होते है। कितनी धारा किस दिशा में प्रवाहित हो रही है ?
हल : q = ne = 1016 x 1.6 x 10-19
= 1.6 x 10-3 C
t = 10-3 s
I = q/t = 1.6 x 10-3/10-3 = 1.6 एम्पियर , B से A की ओर
उदाहरण : ताम्बे के तार की अनुप्रस्थ काट का क्षेत्रफल 3 x 10-4 मीटर2 है। इसमें 4.8 एम्पियर की धारा बह रही है .तार में धारा घनत्व ज्ञात कीजिये।
हल : A = 3 x 10-4 m2 , I = 4.8 A
धारा घनत्व j = I/A = 4.8/3×10-4
J = 1.6 x 104 Am2
चालक में विद्युत धारा का प्रवाह (flow of electric current in a conductor)
सभी धातुएँ विद्युत की सुचालक होती है। इनमें विद्युत चालन मुक्त इलेक्ट्रॉनों द्वारा होता है। मुक्त इलेक्ट्रॉन मॉडल के आधार पर चालन की व्याख्या अग्र प्रकार से की जाती है –
प्रत्येक पदार्थ परमाणुओं से मिलकर बना होता है तथा परमाणु में एक धनावेशित नाभिक के परित: कुछ निश्चित कक्षाओं में इलेक्ट्रॉन गतिशील रहते है। ये इलेक्ट्रॉन दो प्रकार के होते है –
- समबद्ध इलेक्ट्रॉन और
- मुक्त इलेक्ट्रॉन
नाभिक के पास वाली कक्षाओं के इलेक्ट्रॉनों पर नाभिक का नियंत्रण अधिक होता है , ये सामान्यतया अपनी कक्षा नहीं छोड़ सकते है। इन्ही को सम्बद्ध इलेक्ट्रॉन कहते है। इलेक्ट्रॉनों की नाभिक से दूरी जैसे जैसे बढती जाती है , इन पर नाभिक का नियंत्रण कम होता जाता है। आखिरी कक्षा के इलेक्ट्रॉनों पर नियन्त्रण इतना कम हो जाता है कि इन्हें थोड़ी भी ऊर्जा देकर संगत परमाणु से अलग किया जा सकता है। ये इलेक्ट्रॉन ही मुक्त इलेक्ट्रॉन कहलाते है। सामान्य ताप पर भी अनेक इलेक्ट्रॉन मुक्त होकर चालक की परिसीमाओं के अन्दर उसी प्रकार अनियमित गति करते रहते है जिस प्रकार आदर्श गैस के अणु बर्तन के अन्दर गति करते है।
नोट : यदि हम प्रति परमाणु एक मुक्त इलेक्ट्रॉन मान ले तो चालक के 1 m3 में लगभग 1029 मुक्त इलेक्ट्रॉन होंगे।
धातुओं में मुक्त इलेक्ट्रॉन ही आवेश वाहक का कार्य करते है। इसलिए धातुओं की विद्युत चालकता उनमें उपस्थित मुक्त इलेक्ट्रॉनों की संख्या पर निर्भर करती है। जिस धातु में मुक्त इलेक्ट्रॉनों की संख्या जितनी अधिक होती है , उसकी चालकता उतनी ही अधिक होती है। ऐसी धातुएं ही विद्युत की सुचालक होती है। चांदी की चालकता सबसे अधिक होती है। इसके बाद तांबा , सोना , एलुमिनियम आदि का क्रम आता है।
जिन पदार्थो में मुक्त इलेक्ट्रॉनों की संख्या बहुत कम होती है , उन्हें विद्युतरोधी या कुचालक कहते है ; जैसे – काँच , क्वार्टज़ , एबोनाइट , अभ्रक , मोम आदि।