(crocodylus alligator and gavialis difference in hindi) क्रोकोडाइलस , एलीगेटर तथा गैविएलिस के अंतर क्या है ?
पाइथन (python) :
वर्गीकरण (classification) :
संघ – कॉर्डेटा
उपसंघ – वर्टीब्रेटा
अधिवर्ग – टेट्रापोडा
वर्ग – रेप्टिलिया
गण – स्क्वेमेटा
उपगण – ओफीडिया
वंश – पाइथन
स्वभाव और आवास (habits and habitats)
यह सबसे बड़े विषहीन सर्प है जो सामान्यतया अंडज होते है। दक्षिणी पूर्व एशिया में पायी जाने वाली सबसे बड़ी जाति पाइथन रेटिकुलेटस (python reticulatus) है जो 10 मीटर तक लम्बी होती है।
भारत में पाइथन वंश की प्रमुख जाति पाइथन मोलुरस (python molurus) है जो साधारणतया “अजगर” कहलाता है। यह 6 मीटर तक लम्बा होता है। यह सामान्यतया जंगलो में वृक्षों पर पाया जाता है। इसका शरीर स्थूल और सुस्त होता है। रुडित (truncated) प्रोथ सहित सिर अवनमित होता है। पुच्छ छोटी तथा परिग्राही (prehensile) होती है। वयस्क में अवशेषी पश्च भुजाओं का निरूपण करता हुआ अवस्कर के दोनों ओर एक एक पंजा या पदकंट होता है। यह रात्रिचर होता है और चूहों , खरगोश , पक्षियों , छोटे हिरन आदि का भक्षण करता है। यह अपने शिकार के चारों ओर कुंडलियाँ बनाता है जिससे इसके शिकार का दम घुट जाता है। मादा एक बार में 80 से 100 तक लम्बे अंडे देती है जिनमें से बच्चे 58 से 72 दिनों तक के पश्चात् निकल जाते है।
क्रोकोडिलीयन्स (crocodilians)
क्रोकोडिलीयंस (मगर म ऐलीगेटर , घड़ियाल , केमेन) सबसे बड़े जीवित सरीसृपों में से कुछ होते है। ये भयंकर और मांसाहारी , छिपकली समान जीव मुख्यतया उष्णकटिबंधीय ताजे जल की नदियों में रहते है। उनका शरीर लम्बा , बेलनाकार एवं अवनमित और सिर अगले छोर पर नासारन्ध्रों सहित एक चपटे प्रोथ में दिर्घित होता है। पाशर्वों से संपीडित भारी पुच्छ एक शक्तिशाली तरण उपांग बनाती है। पाद छोटे लेकिन शक्तिशाली पंचांगुली , पंजेयुक्त तथा जालयुक्त होते है। त्वचा मोटी , चमडैली और श्रृंगी प्रशल्कों सहित होती है। पीठ तथा तुंद के प्रशल्क आयताकार और चर्मीय अस्थिल प्लेटों द्वारा आलम्बित होते है। पुच्छ पर पृष्ठ एवं चौड़ी प्लेटों का एक शिखर होता है। प्लेटें आधारीय अर्ध भाग पर दो पंक्तियों में , लेकिन दूरस्थ अर्द्ध पर एक पंक्ति में होती है। अवस्कर एक अनुदैधर्य छिद्र होता है। दो जोड़ी कस्तूरी ग्रंथियां (musk glands) होती है , एक कंठ पर तथा दूसरी अवस्कर में। ये बड़े सरीसृप जलीय जीवन के भली प्रकार अनुकूल होते है। नासारन्ध्र , नेत्र तथा कर्णछिद्र सिर पर ऊँचे स्थित होते है तथा जब पूरा जन्तु जलमग्न होता है तो भी अनाच्छादित रहते है। इस प्रकार श्वसन , दर्शन तथा श्रवण अबाधित रहते है। जब जन्तु डुबकी लगाता है तो
नासारन्ध्र कपाटों द्वारा बंद किये जाते है , नेत्रों पर निमेषक पटल खिंच जाती है तथा कर्ण त्वचा के पल्लों द्वारा बंद हो जाते है। एक पूरा कठोर तालु नासा तथा मुख गुहाओं को पृथक करता है तथा एक आंतर नासारंध्रिय घांटी ढक्कन श्वासनली को पीछे बंद कर देता है , ताकि जन्तु खाने के लिए पानी के नीचे मुख खोल सके तथा साथ ही पानी के ऊपर नासारन्ध्रों से श्वसन भी करता रहे।
क्रोकोडिलीयन्स अन्य सभी सरीसृपों से कतिपय उच्च अथवा प्रगतिशील लक्षणों के कारण भिन्न होते है , जैसे –
- गर्तो में स्थित गर्तदन्ती (thecodont) दांत।
- अपेक्षाकृत एक पूर्ण अस्थिल तालु।
- फुफ्फुसावरणी गुहाओं (pleural cavities) में फेफड़े।
- स्तनधारियों के अनुरूप , एक पेशीय तनुपट अथवा डायाफ्राम द्वारा प्ल्युरल गुहायें शेष देहगुहा से पृथक।
- पूर्णतया 4 कक्षीय ह्रदय।
- नर में एक साधारण लेकिन खाँचयुक्त मैथुन अंग।
सभी क्रोकोडिलीएंस अण्डज होते है। सामान्यतया 20 से 30 अंडे मृत वनस्पतियों के ढेर अथवा रेत में देते है। क्रोकोडिलीयन्स की 120 जातियों में सबसे बड़ा दक्षिण पूर्वीं एशिया का लवणजलीय या ज्वारनदमुखी (eustuarine) मगर क्रोकोडाइलस पोरोसस (crocodylus porosus) है। यह 8 से 9 मीटर तक वृद्धि करता है तथा बहुत डरावना होता है। अलवण जल का मगर , क्रोकोडाइलस पैलुस्ट्रिस (crocodylus palustris) , जो “मगर” नाग से जाना जाता है , भारत में विस्तृत रूप से पाया जाता है तथा 5 मीटर की लम्बाई तक पहुँचता है।
गैवियल अथवा घड़ियाल की एक मात्र जाति , गैविएलिस गैन्जेटिक्स (gavialis gangeticus) , गंगा तथा ब्रह्मपुत्र नदी तन्त्रों में रहता है तथा 8 मीटर तक वृद्धि करता है। एलीगेटरों की चीनी तथा अमेरिकी , 2 जातियाँ होती है। अमेरिकी ऐलीगेटर अथवा एलीगेटर मिसिसिपिएन्सिस (alligator mississippiensis) उत्तरी अमेरिका के दक्षिण पूर्वी भागों में वास करता है।
क्रोकोडाइलस , ऐलीगेटर तथा गैविएलिस के कुछ विभेदी लक्षणों को सारणी में सारिणीबद्ध किया गया है। जो निम्नलिखित है –
तालिका 1. क्रोकोडाइलस , एलीगेटर तथा गैविएलिस के अंतर (difference between crocodylus alligator and gavialis )
लक्षण | क्रोकोडाइलस पैलुस्ट्रिस (crocodylus palustris) | ऐलीगेटर मिसिसिपिएन्सिस(alligator mississippiensis) | गैविएलिस गैन्जेटिकस (gavialis gangeticus) |
1. वितरण | मध्य अमेरिका , अफ्रीका , एशिया , मलाया , इंडोनेशिया , उत्तरी ऑस्ट्रेलिया | उत्तरी अमेरिका , चीन | भारत |
2. स्वभाव | अधिक आक्रामक , मनुष्य के लिए खतरनाक | कम आक्रामक , जब छेड़ा जाता है तब आक्रमण करता है | | संकीर्ण कंठ के कारण केवल मछलियाँ खा सकता है | |
3. शरीर की लम्बाई | 8 मीटर | 3 मीटर | 6 मीटर |
4. रंग | काले धब्बों अथवा पट्टियों सहित जैतूनी हरा | | फौलादी भूरा | गहरा जैतूनी हरा |
5. प्रोथ | साधारणतया लम्बा तथा नोकीला | छोटा , चौड़ा तथा गोलाकार | बहुत लम्बा तथा पतला |
6. मैंडीबुलर शाखाएं | 8 वें दांत तक संयुक्त | 5 वें दांत तक संयुक्त | 14 वें दांत तक संयुक्त |
7. दांत | 18-19/15 , समान | 17-22 , थोड़े से भिन्न | 27-29 , समान |
8. चौथा मैंडीबुलर दांत | एक मैक्सिलरी खांच में बैठता है तथा बाहर से दिखाई देता है | | एक गर्त में बैठता है तथा बाहर से दिखाई नहीं देता | | – |