(coordination compounds in hindi) संकुल यौगिक या उपसहसंयोजक यौगिक क्या है , उदाहरण , सूत्र किसे कहते है ? : इस यौगिक का निर्माण तब होता है जब दो समान ऋण आयन युक्त दो सामान्य लवणों को आपस में मिश्रित कर शुष्क होने तक वाष्पित किया जाता है।
(1) इससे यह ज्ञान होता है कि कोई संकुल उच्च चक्रण है अथवा निम्न चक्रण , स्पष्ट करने के लिए यहाँ दो उदाहरण दिए जा रहे है –
(a) K3[Fe(CN)6] के चुम्बकीय आघूर्ण का मान 1.9 BM है जबकि K3[Fe(F)6] के चुम्बकीय आघूर्ण का मान 5.9 BM है।
3d धातु संकुलों में कक्षकीय आघूर्ण का योगदान नगण्य होता है अत: इनके चुम्बकीय आघूर्ण पर चक्रण मात्र सूत्र का उपयोग करके इनमें विद्यमान अयुग्मित इलेक्ट्रॉनों की संख्या को ज्ञात किया जा सकता है। अत:
(i) K3[Fe(CN)6] के लिए –
μ = √n(n+2) BM = 1.9 BM
या
n(n+2) = 1.9 x 1.9
या n2 + 2n – 3.61 = 0
हल करने पर n = -2.9 (काल्पनिक) या n = 0.9 या 1 (लगभग)
अत: इस संकुल अणु में एक अयुग्मित इलेक्ट्रॉन होना चाहिए तथा यह तभी सम्भव है यदि यह संकुल निम्न चक्रण वाला आंतरिक कक्षक संकुल बने। अत: K3[Fe(CN)6] संकुल d2sp3 संकरण के साथ अष्टफलकीय संकुल आयन बनते है।
(ii) K3[Fe(F)6] के लिए
μ = √n(n+2) = 5.9
या n(n+2) = 5.9 x 5.9
या n2 + 2n – 34.81 = 0
हल करने पर
n = -6.9 (काल्पनिक)
या
n = +4.9 या 5 (लगभग)
अर्थात इस संकुल में पांच अयुग्मित इलेक्ट्रॉन होने चाहिए तथा यह तभी संभव है यदि यह संकुल उच्च चक्रण वाला बाह्य कक्षक संकुल बने। अत: K3[Fe(F)6] संकुल sp3d2 संकरण के साथ अष्टफलकीय संकुल आयन बनते है।
(b) K4[MnF6] का चुम्बकीय आघूर्ण 5.9 है जो पाँच अयुग्मित इलेक्ट्रॉनों के अनुरूप है जबकि K4[Mn(CN)6] के चुम्बकीय आघूर्ण का मान 1.9 है जो एक अयुग्मित इलेक्ट्रॉन के अनुरूप है। अत: निष्कर्ष निकाल सकते है कि K4[MnF6] संकुल में △0 का मान कम होगा तथा d5 का विवरण t32ge2g के रूप में होगा जबकि K4[Mn(CN)6] में △0 का मान अधिक होगा अत: इसमें d5 का विवरण t52ge2g के रूप में होगा।
(2) चार उपसहसंयोजन संख्या के साथ बना हुआ संकुल sp3 संकरित चतुष्फलकीय आकृति में होगा या dsp2 संकरित वर्ग समतल आकृति में होगा , इसका ज्ञान संकुल के चुम्बकीय आघूर्ण के मान से आसानी से हो जाता है।
उदाहरण : (a) [Ni(CN)4]2- एक प्रतिचुम्बकीय संकुल है जबकि [NiCl4]2- एक अनुचुम्बकीय संकुल है , इन चुम्बकीय गुणों के आधार पर ही यह निश्चित हुआ कि [Ni(CN)4]2- एक वर्ग समतल अणु है जबकि [NiCl4]2- एक चतुष्फलकीय अणु है।
(b) [Cu(CN)4]2- के चुम्बकीय आघूर्ण का मान बहुत ही कम होता है। इस संकुल में कॉपर +2 ऑक्सीकरण अवस्था में है तथा इसका इलेक्ट्रॉनिक विन्यास 3d9 होता है। ऐसी स्थिति में चार सायनाइड लिगेंडो से जुड़ने के लिए कॉपर आयन दो प्रकार से संकरित हो सकता है –
(अ) एक अयुग्मित इलेक्ट्रॉन लिगेंड की उपस्थिति में ऊर्जा पाकर 4p कक्षक में उत्तेजित होकर चला जाए तथा dsp2 संकरण द्वारा Cu2+ आयन एक वर्ग समतलीय संकुल बनाये तथा
(ब) कॉपर आयन sp3 संकरण करके एक चतुष्फलकीय संकुल बनाये। दोनों ही स्थितियों में संकुलों में 1-1 अयुग्मित इलेक्ट्रॉन होगा। परन्तु इस संकुल का चुम्बकीय आघूर्ण एक अयुग्मित इलेक्ट्रॉन से भी कम होता है। अत: पॉलिंग के अनुसार इस संकूल में एक अयुग्मित इलेक्ट्रॉन उत्तेजित होकर 4p कक्षक में चला जाता है। इस प्रकार dsp2 संकरण के लिए एक रिक्त d कक्षक उपलब्ध हो जाता है। इस संकरण के परिणामस्वरूप वर्ग समतलीय संकुल बनेंगे , जो यदि सतह में एक दुसरे के ऊपर व्यवस्थित हो तो उनके अयुग्मित इलेक्ट्रॉन एक दुसरे के चक्रण को कुछ हद तक उदासीन कर सकते है , फलत: इनके द्विध्रुव आघूर्ण का मान अपेक्षा से कम हो जाता है।