सांद्रित अयस्क का धातु ऑक्साइड में परिवर्तन (CONVERSION OF ORE INTO METAL OXIDE in hindi)

(CONVERSION OF ORE INTO METAL OXIDE in hindi) सांद्रित अयस्क का धातु ऑक्साइड में परिवर्तन : अयस्कों के सांद्रण के बाद भी ये अयस्क अपने वास्तविक ऑक्साइड, कार्बोनेट, सल्फाइड या हैलाइड के रूप में रहते है , इन रसायनों से शुद्ध धातु को प्राप्त करने के लिए इन रसायनों या सांद्रित अयस्को को ऑक्साइड में परिवर्तित करना बेहतर है क्यूंकि धातुओं के ऑक्साइड को आसानी से हटाकर शुद्ध धातु को आसानी से प्राप्त किया जाता है अर्थात आसानी से धातु ऑक्साइड से धातु को प्राप्त किया जाता है इसलिए पहले इन अयस्को को धातु अयस्क में परिवर्तित किया जाता है।
सांद्रण के बाद प्राप्त सांद्रित अयस्क कार्बोनेट या सल्फाइड के रूप में होते है इन्हें आसानी से सीधे शुद्ध धातु के रूप में अपचयित नहीं किया जा सकता है इसलिए पहले इन सांद्रित अयस्को को ऑक्साइड में बदला जाता है। इसके बाद ऑक्साइड का अपचयन करके आसानी से शुद्ध धातु को प्राप्त किया जा सकता है।
सांद्रित अयस्को को धातु ऑक्साइड में परिवर्तित करने के लिए दो विधियाँ सबसे अधिक प्रचलित है जिन्हें हम प्राय: काम में लेते है जो निम्न है –
1. निस्तापन (Calcination)
2. भर्जन (Roasting)

1. निस्तापन (Calcination)

यह विधि सामान्यतया कार्बोनेट , जल योजित ऑक्साइड और हाइड्रोक्साइड अयस्को को उनके ऑक्साइड में परिवर्तन के लिए उपयोग में ली जाने वाली प्रक्रिया है। इस विधि में इन अयस्कों को वायु के अनुपस्थिति में ऊष्मा दी जाती है।
वायु की अनुपस्थिति और ऊष्मा CO3 को CO2 और O में परिवर्तित मे परिवर्तित कर देती है , यहाँ O धातु के साथ धातु-ऑक्साइड के रूप में बना रहता है , ऊष्मा या ताप से अयस्क में उपस्थित नमी या जल की मात्रा भी दूर हो जाती है , यदि अयस्क में वाष्पशील अशुद्धियाँ या कोई गैसीय अशुद्धियाँ उपस्थित है तो वे भी ऊष्मा या ताप देने पर दूर हो जाती है।
उदाहरण में नीचे दिखाया गया है कि कैसे जिंक कार्बोनेट या कैलामाइन अयस्क को कैसे निस्तापन विधि द्वारा जिंक ऑक्साइड (ZnO) में परिवर्तित किया जाता है –

2. भर्जन (Roasting)

इस विधि द्वारा सल्फाइड अयस्को को उनके धातु ऑक्साइड में परिवर्तित करने के लिए काम में लिया जाता है , इस प्रक्रिया में वायु के अधिक्य में सल्फाइड अयस्क को गर्म किया जाता है जिससे सल्फाइड (S) , सल्फर डाई ऑक्साइड में परिवर्तित हो जाता है।
धातु , ऑक्सीजन के साथ क्रिया करके धातु ऑक्साइड बना लेती है , तथा ऊष्मा या ताप देने से वाष्पशील अशुद्धियाँ और अन्य प्रकार की गैसीय अशुद्धियाँ दूर हो जाती है।
नीचे उदाहरण में दिखाया गया है कि कैसे जिंक ब्लेंड अयस्क या जिंक सल्फाइड को कैसे जिंक ऑक्साइड (ZnO) में भर्जन विधि द्वारा परिवर्तित किया जाता है –